इस ब्लॉग में जानिए डिविडेंड से जुड़ी जरूरी तारीखें और आसान तरीका, वो भी बिल्कुल सरल भाषा में। dividend kab milta hai और कैसे मिलता है? इन सब बातों के बारे में हमने बड़ी गहराई से चर्चा किया हुआ है।
डिविडेंड की अनाउंसमेंट से लेकर डिविडेंड का पैसा हमारे बैंक अकाउंट तक आने तक के प्रोसेस के बीच में दो बहुत ही इंपॉर्टेंट डेट होती है, एक होती है एग्जिट डेट और रिकॉर्ड डेट (Record date aur ex-dividend date) इन दोनों ही डेट्स का मतलब क्या होता है? अंतिम डिविडेंड, फाइनल डिविडेंड, स्पेशल डिविडेंड आखिर इन तीनों में डिफरेंस क्या है? इसके अलावा डिविडेंड की परसेंटेज को देखकर हम कैसे पता लगा सकते हैं कि, हमें कितना डिविडेंड मिलेगा और सबसे इंपॉर्टेंट कि, कितने डिविडेंड इनकम पर हमें टैक्स जमा नहीं करना होता और कितनी इनकम पर हमें टैक्स देना होता है।
यह सारी ए टू जेड जरूरी डिविडेंड से रिलेटेड चीजें आप इस वीडियो में जानेंगे सीखेंगे हो सकता है आप में से कई सारे लोगों को डिविडेंड के बारे में पता भी हो लेकिन आई एम श्यर इस वीडियो में आपको कई नई चीजें सीखने को मिलेंगी।
dividend kab milta hai
यदि आप लाभांश की संपूर्ण अवधारणाएँ सीखना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए बहुत उपयोगी होगा। मैंने लाभांश और लाभांश आय से संबंधित अधिकांश महत्वपूर्ण अवधारणाओं को कवर किया है।
Dividend Concept with Example
इस लेख को पढ़ने के बाद आपके डिविडेंड से रिलेटेड ए टू जेड कांसेप्ट क्लियर हो जाएंगे। तो सबसे पहले शुरुआत करते हैं कि, डिविडेंड को ही समझकर देखो जब भी हम किसी कंपनी में इन्वेस्ट करते हैं, तो हम अपने पैसे उस कंपनी को देते हैं और उस कंपनी के इक्विटी शेयर्स को ले लेते हैं।
इसका मतलब यह है कि, हमने अपने पैसे देकर उस कंपनी का मालिकाना हक खरीद लिया है। अब जिन लोग के पास उस कंपनी के शेयर्स होते हैं, उन्हें बोला जाता है शेयर होल्डर। अब कंपनियां जब भी प्रॉफिट कमाती हैं, तो उस प्रॉफिट में से एक छोटा सा हिस्सा अपने शेयर होल्डर्स को बांट देती हैं। इस प्रॉफिट के छोटे से हिस्से को ही डिविडेंड बोलते हैं।
Why & How Company give Dividend
dividend kab milta hai
अब देखो यह तो पता चल गया कि, डिविडेंड होता क्या है? लेकिन कंपनी डिविडेंड क्यों और कैसे इशू करती है? अब यह समझते हैं, देखो जब किसी भी कंपनी को प्रॉफिट होता है। तो कंपनी उस प्रॉफिट वाले पैसे का दो इस्तेमाल कर सकती है। पहला उपयोग तो यह है कि, कंपनी उस पैसे का इस्तेमाल करके अपने बिजनेस को और बड़ा करें। अपने बिजनेस बिजनेस को और एक्सपेंड करें। इसके अलावा कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं।
जो ऑलरेडी बहुत बड़ी हो गई होती हैं, उन्हें और एक्सपेंशन की जरूरत नहीं होती। तो इस तरह की जो कंपनियां होती हैं, वो अपने प्रॉफिट को डिविडेंड के रूप में बांट देती हैं। अब ऐसा नहीं है कि, जो कंपनियां ग्रोथ करती है, वो डिविडेंड इशू नहीं करती। ज्यादातर कंपनी डिविडेंड इशू करती है ताकि उनके इन्वेस्टर्स जो है वो खुश रहे, लेकिन जो कंपनियां ऑलरेडी एक्सपेंड हो चुकी होती है।
वो कंपनियां ज्यादा डिविडेंड इशू करती है जैसे, वेदांता जैसी कंपनी हो गई। तो अब तक हमने यह जाना कि, कंपनी को जो प्रॉफिट होता है। कंपनी उसी प्रॉफिट में से थोड़ा सा हिस्सा अपने शेयर होल्डर्स को बांट देती है। डिविडेंड के रूप में लेकिन इसकी एक एक्सेप्शन भी है कई बार वो कंपनियां भी डिविडेंड इशू कर देती हैं, जिनको लॉस (loss) हो रहा होता है। अब यहां पर समझने वाली बात यह है कि, अगर कंपनियों को लॉस हो रहा है तो वो डिविडेंड कैसे इशू कर रही हैं। देखो बेशक कंपनी को चाहे प्रॉफिट हो चाहे लॉस हो अगर कंपनी के पास अच्छा खासा कैश रिजर्व पड़ा है कैश रिजर्व यानी कि, उनके पास ऑलरेडी काफी सारा पैसा पड़ा हुआ है और उस पैसे का कंपनी को अभी कोई यूज नहीं दिख रहा।
तो कंपनी अपने शेयर होल्डर को वो पैसा डिविडेंड के रूप में बांट देती है। अगर आप एक पुरानी इन्वेस्टर हो तो आपने देखा होगा कि, वेदांता ग्रुप को लॉस होने के बावजूद वो बहुत सारा पैसा डिविडेंड में बांट देती है। तो कोई भी कंपनी डिविडेंड अपने शेयर होल्डर को दो केसेस में देती है या तो उसे प्रॉफिट हो या तो उसके पास अच्छा खासा कैश रिजर्व हो।
Dividend Approver
अब हमें यह तो पता चल गया कि, कंपनी डिविडेंड कब दे सकती है? लेकिन कंपनी को डिविडेंड देना है या नहीं देना और अगर डिविडेंड देना भी है तो कितने रुपए डिविडेंड में देना है। यह चीज कौन डिसाइड करता है, यह चीजें डिसाइड करते हैं कंपनी के बोर्ड मेंबर्स। ये बोर्ड मेंबर्स ही डिसाइड करते हैं कि, कितने परसेंट डिविडेंड इन्हें इशू करना है।
Percentage Misconceptions
आपने अक्सर देखा होगा लिखा रहता है 100% डिविडेंड मिलेगा अब कई लोग इस परसेंटेज का मतलब गलत समझ लेते हैं उन्हें लगता है कि कंपनी का जो शेयर प्राइस है उसका 100% उन्हें डिविडेंड मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं होता कंपनी की जो फेस वैल्यू होती है उस पर ये परसेंटेज कैलकुलेट करी जाती है जैसे मान लो अगर कंपनी की फेस वैल्यू ₹10 है और 100% डिविडेंड मिलता है।
तो इसका मतलब यह है कि, ₹10 का 100% यानी कि ₹10 आपको डिविडेंड मिलेगा हर शेयर पर मतलब आपको एक शेयर पर ₹10 का डिविडेंड मिलेगा और अगर यही फेस वैल्यू ₹5000000 डिविडेंड कहते हैं यह इंटरम डिविडेंड यूजुअली (Dividend kab milta hai) बहुत छोटा अमाउंट होता है काफी कम डिविडेंड इसमें मिलता है इसके बाद आता है फाइनल डिविडेंड फाइनल डिविडेंड यूजुअली कंपनी साल में एक ही बार इशू करती है और यह डिविडेंड कंपनी फाइनेंशियल ईयर के एंड में इशू करती है
Types of Dividend
Interim dividend
अंतरिम डिवीडेंड का मतलब है कि, वार्षिक सामान्य सभा (AGM) से पहले दिया गया डिवीडेंड। एक कंपनी इसे वित्तीय वर्ष के अंत से पहले शेयर होल्डर्स को घोषित करती है। यह पूरे वर्ष के लिए होने वाले डिवीडेंड भुगतान का हिस्सा माना जाता है।
कंपनियाँ केवल तभी अंतरिम डिवीडेंड देती हैं, जब उनके पास पर्याप्त मुनाफा होता है। यह शेयर होल्डर्स को उनके निवेश के लिए मुआवजा देने में मदद कर सकता है और उन्हें नियमित आजीविका प्रदान कर सकता है।
Final Dividend
फाइनल डिविडेंड में हमें डिविडेंड ज्यादा मिलता है एज कंपेयर टू इंटरम डिविडेंड अब ये फाइनेंशियल ईयर क्या होता है आपके दिमाग में ये डाउट आ सकता है तो देखो कंपनियों का फाइनेंशियल ईयर शुरू होता है 1 अप्रैल से अगले साल की 31 मार्च तक जैसे अभी चल रहा है 2024 तो कंपनी का फाइनेंशियल ईयर होगा।
1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 आई होप अब आपको फाइनेंशियल ईयर भी समझ आ गया होगा। तो फाइनेंशियल ईयर की बात हटाकर अब हम वापस चलते हैं स्पेशल डिविडेंड के ऊपर देखो ये डिविडेंड कंपनियां बहुत कम इशू करती हैं।
Special Dividend
स्पेशल डिविडेंड कंपनी जब इशू करती है जब उसके पास बहुत सारा पैसा आ जाए जब उस कंपनी के पास किसी स्पेशल इवेंट की वजह से बहुत सारा पैसा आ जाए और वह कंपनी उस पैसे को अपने शेयर होल्डर को बांटे तो उस डिविडेंड को हम बोलते हैं स्पेशल डिविडेंड।
ये स्पेशल डिविडेंड इंटरम डिविडेंड फाइनल डिविडेंड से भी कहीं ज्यादा अमाउंट का होता है हालांकि कंपनियां स्पेशल डिविडेंड बहुत कम ही इशू करती हैं।
Dividend Process
तो आई होप अब आपको इन तीनों तरह के डिविडेंड के बारे में पता चल गया होगा अब हम डिविडेंड के प्रोसेस (Dividend date kaise check kare) को जानते हैं देखो सबसे पहले होता है डिविडेंड डिक्लेरेशन उसके बाद आता है रिकॉर्ड डेट फिर एग्जिट डेट और लास्ट में आता है
सबसे पहले समझते हैं डिविडेंड डिक्लेरेशन को ये वो दिन होता है जिस दिन कंपनी डिक्लेयर करती है कि हम इतने रुपए का डिविडेंड देने वाले हैं इसके बाद आता है रिकॉर्ड डेट ये वो डेट होती है
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Record Date
इसके बाद आता है रिकॉर्ड डेट ये वो डेट होती है, जिस दिन कंपनी अपनी किताब खोलती है और यह देखती है कि किन-किन लोगों के पास हमारे शेयर्स हैं उस दिन जिन-जिन लोगों के पास उस कंपनी के शेयर्स होते हैं कंपनी उन्हीं लोगों को डिविडेंड देती है। ट्रेडिंग में सफलतापाने के लिए आपको रिकॉर्ड डेट को भी ध्यान रखना होगा।
जिन व्यक्तियों के नाम रिकॉर्ड दिवस पर कंपनी के शेयर धारक रिकॉर्ड में दर्ज हैं, वे संबंधित संगठन द्वारा घोषित लाभांश या वितरण पाने के हकदार हैं। इसलिए, जो निवेशक उस तिथि के बाद शेयर खरीदते हैं या जिनके नाम रिकॉर्ड तिथि बीत जाने के बाद कंपनी के शेयर धारक रिकॉर्ड में दिखाई देते हैं, वे उस विशिष्ट लाभांश वितरण के लिए पात्र नहीं हैं।
Ex-Date
इसके बाद आता है एज डेट ये वो डेट होती है जिस दिन अगर आप उस कंपनी के शेयर को खरीद रहे हो तो आपको डिविडेंड नहीं मिलेगा जो आदमी उस कंपनी के शेयर्स को बेच रहा है उसे ही डिविडेंड मिलेगा और अगर आप एग्जिट डेट के बाद शेयर्स को खरीदते हो तो भी आपको डिविडेंड नहीं मिलेगा।
पहले एग्जिट डेट रिकॉर्ड डेट से एक दिन पहले होती थी लेकिन अब t+1 व सेटलमेंट (Dividend payment kaise hoti hai) की वजह से रिकॉर्ड डेट और एग्जिट डेट दोनों एक ही दिन रहती है अभी मैं एक छोटा सा एग्जांपल लूंगा जिससे आपको एकदम क्लियर हो जाएगा अगर कोई कंफ्यूजन होगी भी वो क्लियर हो जाएगी।
Dividend Payout Date
इसके बाद है डिविडेंड पेआउट डेट यह वो डेट होती है। जब कोई कंपनी अपने त्रैमासिक परिणामों में अपने अर्जित मुनाफे की घोषणा करती है, तो वह शेयरधारकों को अपनी कमाई का हिस्सा दे सकती है। शेयर व्यक्ति के स्वामित्व में शेयरों की संख्या के आनुपातिक होती है। इसे डिविडेंड के रूप में जाना जाता है। एक कंपनी शेयरों को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए और उन्हें बनाए रखने के लिए डिविडेंड का भुगतान करती है।
जिस दिन आपके बैंक अकाउंट में डिविडेंड का पैसा (Dividend ka paisa bank me kaise aata hai) आ जाता है। डिविडेंड भुगतान कंपनी की शुद्ध आय के साथ प्रति शेयर वार्षिक डिविडेंड का अनुपात है। उदाहरण के लिए, यदि डिविडेंड 10 प्रति शेयर है और आपके पास 100 शेयर हैं, तो आपको 1000 का डिविडेंड प्राप्त होगा। डिविडेंड भुगतान 2 व्यावसायिक दिनों में प्राप्त होता है।
Example of Dividend Process
dividend kab milta hai
तो अब एक छोटा सा एग्जांपल ले लेते हैं सपोज करो एक कंपनी है एबीसी लिमिटेड। इस कंपनी ने डिसाइड किया कि, कंपनी 100% फाइनल डिविडेंड इशू करेगी तो जैसा कि मैंने आपको बताया था कि यह परसेंटेज फेस वैल्यू पर कैलकुलेट होती है। मान लो ये जो एबीसी लिमिटेड कंपनी है उसकी फेस वैल्यू ₹10 की है तो इसका मतलब यह हुआ कि, ₹10 का 100% यानी कि ₹10 पर शेयर कंपनी डिविडेंड इशू कर रही है।
तो जिसके पास जितने शेयर रहेंगे उसी हिसाब से उसको डिविडेंड मिलेगा सपोज करो मेरे पास इस कंपनी के 100 शेयर्स हैं। तो 101 एक शेयर पर मुझे मिलेगा तो यानी कि 100 शेयर्स पर मुझे ₹1 का डिविडेंड मिलेगा तो यह तो बात होगी मुझे डिविडेंड कितना मिलेगा अब इसी एग्जांपल में हम रिकॉर्ड डेट और एग्जिट डेट को भी समझ लेते हैं।
Example of Record Date
अब इसी एग्जांपल में हम रिकॉर्ड डेट और एग्जिट डेट को भी समझ लेते हैं तो जैसा कि मैंने आपको बताया कि, t+1 सेटलमेंटकी वजह से रिकॉर्ड डेट और एग्जिट डेट दोनों ही Same Day हो गई है यानी कि, जिस दिन रिकॉर्ड डेट रहेगी उसी दिन एग्जिट डेट रहेगी।
तो मान लो कंपनी की रिकॉर्ड डेट और एग्जिट डेट सेम डे वेडनेसडे को है, तो इसका मतलब यह होगा कि, ट्यूजडे यानी कि एक दिन पहले जिन लोगों के पास इस कंपनी के शेयर्स होंगे उन सभी लोगों को इस कंपनी का डिविडेंड मिलेगा। लेकिन वेडनेसडे को जिस दिन रिकॉर्ड डेट और एग्जिट डेट है। उस दिन अगर कोई इस कंपनी के शेयर को खरीदता है। तो उसको उस कंपनी का डिविडेंड नहीं मिलेगा जो आदमी वेडनेसडे को अपने शेयर्स बेचेगा। उसको डिविडेंड मिलेगा क्योंकि कंपनी के रिकॉर्ड में तो वेडनेसडे को जो आदमी शेयर्स बेच रहा है वो उस कंपनी के शेयर्स का मालिक है और वेडनेसडे के बाद अगर कोई भी शेयर्स को खरीदेगा तो उसको वो डिविडेंड नहीं मिलेग।
तो यहां पर आप समझ गए होंगे कि, रिकॉर्ड डेट एग्जिट डेट दोनों ही सेम डे को रहता है। उससे एक दिन पहले जिन लोगों के पास शेयर रहेगा उसे डिविडेंड मिलेगा और रिकॉर्ड डेट (Record Date) और एग्जिट डेट (Exit Date) वाले दिन जो भी उस कंपनी के शेयर खरीदेगा। उसे डिविडेंड नहीं मिलेगा उसके बाद भी जो उस कंपनी के शेयर्स खरीदेगा उसे भी डिविडेंड नहीं मिलेगा।
Dividend E-Mail Explanation
अब जब भी आपको डिविडेंड मिलेगा तो आपकी ईमेल आईडी पर एक ऐसा मेल आ जाएगा जिसमें लिखा रहेगा कि, वो डिविडेंड कैसा है? फाइनल डिविडेंड है या कौन सा डिविडेंड है? यहां पर लिखा रहेगा। इसके अलावा किस परसेंटेज % में आपको डिविडेंड मिलेगा यह भी लिखा होगा और कितने रुपए का डिविडेंड मिलेगा।
Dividend Recieving SMS
पको यह भी दिखाएगा और जब डिविडेंड का पैसा आपके बैंक अकाउंट में आ जाएगा तो एक ऐसा मैसेज आएगा जिसमें लिखा रहेगा कि इस कंपनी का डिविडेंड आप को मिला है और इतने रुपए का डिविडेंड आपको मिला है इसके अलावा आप जिस ऐप का इस्तेमाल करके इन्वेस्टमेंट करते हो उसमें भी चेक कर सकते हो कि आपको कितने रुपए के डिविडेंड मिला है।
How to Check Dividend in your App
जैसे मैं यहां पर एजल व ऐप यूज करता हूं तो मैं यहां पर आसानी से उस कंपनी के शेयर पर क्लिक करके ये देख सकता हूं कि, मुझे उस कंपनी पर कितना डिविडेंड मिला है। मेरे को सिंपली इस ऑप्शन पर क्लिक करना है और मेरे को ये दिखा देगा कि, मेरे को इस कंपनी के शेयर पर इतना डिविडेंड मिला है। मैं इस तरह से किसी भी कंपनी के शेयर पर क्लिक करके यह चेक कर सकता हूं कि, मुझे किस साल उस कंपनी के शेयर पर कितना डिविडेंड मिला है।
Tax on Dividend
तो अब फाइनली हमें डिविडेंड के बारे में काफी कुछ पता चल गया है लेकिन अभी भी डिविडेंड से रिलेटेड सबसे जरूरी चीज को जानना हमारे लिए अभी रह रहा है वह है टैक्सेस ऑन डिविडेंड इनकम देखो अगर 1 साल में आपकी जो टोटल डिविडेंड से इनकम हो रही है वह ₹5000000 का टैक्स जमा करना पड़ेगा सपोज करो आपकी ₹1000000 टोटल इनकम हो रही है।
तो आपको 10 पर के हिसाब से ₹1 टैक्स गवर्नमेंट को पे करना पड़ेगा और यह टैक्स आपको अलग से जमा नहीं करना होता जब आप अपना इनकम टैक्स पे करोगे अपनी आईटीआर फाइल करोगे। तो उसमें ही यह कैलकुलेट करके ये टैक्स पे किया जाता है हर इन्वेस्टर की अलग-अलग इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी होती है।
Outro
कुछ लोगों को ऐसी कंपनियों के शेयर में इन्वेस्ट करना पसंद है जो ज्यादा डिविडेंड देती है। वहीं कुछ लोग ऐसी कंपनियों में पैसा इन्वेस्ट करना चाहते हैं जो बेशक कम डिविडेंड दे, लेकिन वो कंपनी ग्रोथ अच्छे दे तो ये टोटली आपके ऊपर डिपेंड करता है कि आपको कैसी कंपनियां पसंद है।
आपने अक्सर ही देखा होगा कि जैसे ही कंपनियां डिविडेंड का पैसा शेयर होल्डर्स को देती हैं उसके तुरंत बाद उस कंपनी के शेयर प्राइस थोड़ा बहुत गिरता है ऐसा क्यों होता है आप मुझे कमेंट में बताओ और अगर यह लेख पसंद आई हो तो अपने उन दोस्तों के साथ इस लेख को शेयर करो। जो इन्वेस्टमेंट करते हैं या करना चाहते हैं।
राहुल कुमार सोनी एक वित्तीय बाजार लेखक हैं, जिन्हें शेयर बाजार, ट्रेडिंग और निवेश में 6 साल से अधिक का अनुभव है। वह बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग में ऑनर्स डिग्री के साथ एक बाजार निवेशक भी हैं।