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Table of Contents

इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday trading in hindi)

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इंट्राडे ट्रेडिंग को सामान्य भाषा में डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है। यह शेयर बाजार की दुनिया में ऐसा माध्यम है। जिसके द्वारा किसी निवेशक को एक ही दिन में किसी भी स्टॉक, कमोडिटी या अन्य जितने भी ट्रेडिंग की स्टाइल्स होते हैं। उनमें खरीदारी और बिक्री की जाती है। इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी भी स्थिति में आपको उस शेयर को खरीद कर एक दिन के अंदर मतलब कि जब शेयर बाजार शुरू होता है सुबह 9:15 से लेकर शेयर बाजार के बंद होने के समय दोपहर के 3:30 से पहले ही आपको उस स्टॉक को बेच देना होगा।

इस प्रकार की ट्रेडिंग में शेयर की कीमतों में जब उतार-चढ़ाव होता है। तब एक ट्रेडर को उसमें लाभ कमाने का मौका मिलता है। इंट्राडे ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य छोटे-छोटे लाभ को बहुत कम समय के अंतराल में तेजी से प्राप्त करना होता है। लेकिन हां, इस प्रकार की ट्रेडिंग में जोखिम भी बहुत अधिक होता है।

जब शेयर बाजार में उतार-चढाव होता है तो आपको मुनाफा मिलता है, लेकिन इसके साथ-साथ ही आपको नुकसान भी देने की क्षमता रखता है। क्योंकि शेयर बाजार में मार्केट से बढ़कर कोई भी नहीं है। इसीलिए इंट्राडे ट्रेडिंग में अगर आपको सफलता पानी है तो उसके लिए बाजार की अच्छी समझ तथा टेक्निकल एनालिसिस की क्षमताओं को सुधारना होगा। इसके साथ ही एक सफल ट्रेडर के अंदर तुरंत ही निर्णय लेने की क्षमता का होना अति आवश्यक है।

इंट्राडे ट्रेडिंग की महत्वपूर्ण बातें (intraday trading for beginners)

किसी भी शुरुआत के ट्रेडर के लिए इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय निम्नलिखित प्रमुख बातों को ध्यान में रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है, क्योंकि शुरुआत में आपको कम अनुभव रहता है। इसलिए बाजार के बारे में अधिक जानकारी होना जरूरी होता है।

  1. समय का महत्व (timing in intraday trading)

    जब आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर रहे होते हैं, तब ऐसी स्थिति में आपको हमेशा यह ध्यान रखना है कि, यह ट्रेडिंग मात्र एक ही दिनों के लिए किया जा रहा है। इसी समय के अंतराल में ही आपको अपनी ट्रेडिंग रणनीति के अनुसार लाभ या हानि को बुक करना होगा।

    ट्रेडिंग के समाप्ति समय या फिर दिन के अंत तक आपको अपनी सभी पोजीशंस को बंद करना होगा। यदि किसी वजह से आप ट्रेड से बाहर होना भूल गए। तो इसी स्थिति में आपका ब्रोकर खुद ही खुद आपकी पोजीशन को समाप्त कर देता है।

  2. टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग (Use of technical analysis)

    इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान किसी भी निवेशक को मुख्य रूप से टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करना तथा इसके द्वारा टेक्निकल चार्ट्स, मार्केट के ट्रेंड्स का अध्ययन करते हुए सही और सटीक निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करना होगा क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य ही केवल छोटी समय अवधि में मुनाफे को अर्जित करना होता है।

  3. लेवरेज का सावधानी से प्रयोग (Use leverage carefully)

    जब आप इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं, तब लेवरेज का इस्तेमाल करना एक विवेकपूर्ण डिसीजन होगा। मार्जिन के लालच में अक्सर नए निवेशक और ट्रेडर अधिक जोखिम लेने का प्रयास करते हैं। जिसकी वजह से कम अनुभव उनके ऊपर हावी होकर नुकसान की संभावनाओं को बढ़ा देता है।

    शुरुआत में, आपके पास कम पूंजी होती है। जिसकी वजह से मार्जिन का उपयोग करते हुए ट्रेडिंग करते हैं। लेकिन इसमें अगर आप गलत निर्णय लेते हैं और ट्रेड आपके विपरीत चला जाता है। तो आपको बहुत नुकसान हो सकता है।

  4. तेजी से लाभ और हानि (Effects of rapid gains and losses)

    इंट्राडे ट्रेडिंग में जब किसी स्टॉक में बड़ी तेजी से मूवमेंट आता है। भले ही वह किसी कंपनी की व्यापारिक खबरें या रिजल्ट्स की वजह से ही क्यों ना हो। तब ऐसी स्थिति में अगर आप बिना रिसर्च किए हुए ट्रेडिंग के डिसीजन को ले लेते हैं।

    तब ऐसी स्थिति में छोटे निवेशक अपने नुकसान को देखते हुए गलत निर्णय ले लेते हैं। क्योंकि अक्सर ही इंट्राडे ट्रेडिंग में बहुत ही तेजी से उतार-चढाव होते हैं। ऐसी स्थिति में निवेशकों को छोटे-छोटे मूल्य परिवर्तन पर स्टॉप लॉस की रणनीति को अपनाते हुए, ट्रेडिंग के निर्णय लेने चाहिए।

इंट्राडे ट्रेडिंग के प्रकार (Types of intraday trading)

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  1. रेवर्सल ट्रेडिंग (Reversal Trading)

    रिवर्सल ट्रेडिंग, यह एक प्रकार से ऐसी रणनीति है जिसमें एक ट्रेडर ऐसे समय का इंतजार करता है। जब कीमतें एक दिशा से दूसरी दिशा की ओर रिवर्स होने वाली रहती है, यानी की मुड़ने वाली होती है।

    रिवर्सल ट्रेडिंग की रणनीति ऐसी स्थितियों पर निर्भर होती है कि, जब बाजार ओवरबॉट या ओवरसोल्ड की स्थिति में होता है। रिवर्सल ट्रेडिंग में आपको टेक्निकल इंडिकेटर का उपयोग करना भी आना चाहिए। जैसे MACD, RSI तथा बोलिंगर बैंड्स। यह कुछ पसंदीदा इंडिकेटर है, जो बाजार की गति और संभावित रूप से रिवर्सल पॉइंट की पहचान में आपकी मदद करते हैं।

    रिवर्सल ट्रेडर की सहायता से, रेजिस्टेंस और सपोर्ट लूप लेवल दोनों का ही पता आसानी से लगा सकते हैं। इस प्रकार की ट्रेडिंग में आपको रिस्क के प्रबंध करना भी बहुत जरूरी हो जाता है। ट्रेडर्स को अपने स्टॉप लॉस तथा रिस्क और रिवॉर्ड का सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए। ताकि एक नए ट्रेडर को भी संभावित नुकसान कम से कम रहा सकता है।

  2. ट्रेंड के हिसाब से ट्रेडिंग (Trend Trading)

    ट्रेंड ट्रेडिंग का मतलब ही ऐसी ट्रेडिंग होती है, जिसमें एक ट्रेडर बाजार की सभी मौजूदा स्थिति न्यूज़, कंपनी के रिजल्ट इत्यादि का अनुसरण करते हुए शेयर बाजार की दिशा को पता लगाने का प्रयास करता है। शेयर बाजार में ट्रेड ट्रेडिंग मुख्य रूप से तीन प्रकार से होते हैं। जिसमे पहला बुलिश ट्रेंड (जो लगातार बढ़ रही होती है।) दूसरा बेयरिश ट्रेंड (जो नीचे की तरफ लगातार गिर रही होती है।) और तीसरा साइडवेज ट्रेंड (जब कीमतें एक ही रेंज में मतलब एक ही लाइन में स्थिर हो जाती है या फिर बहुत ही कम मूवमेंट के साथ एक ही स्तर पर रुकी हुई होती है।)

    इस प्रकार की ट्रेडिंग में आपके लाभ की संभावना अधिक हो जाती हैं। लेकिन आपको एक मजबूत ट्रेंड का पता लगाते हुए ट्रेडर्स को लाभ के अवसर तलाश करना होगा। लेकिन हां, शेयर बाजार में कभी-कभी बाजार की चाल बदल भी सकती है। जिसकी वजह से ट्रेडर्स को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए ट्रेडर को अपने जोखिम के प्रबंधन को मजबूत स्थिति में रखना होगा।

    ट्रेंड ट्रेडिंग एक बहुत ही कारगर और मजबूत रणनीति है, लेकिन हां इसके लिए आपको उचित ज्ञान, थोड़ा बहुत एक्सपीरियंस और अपने रिस्क के मैनेजमेंट में सुधार की आवश्यकता करनी होती है।

  3. स्कैल्पिंग ट्रेडिंग (scalping)

    स्कैल्पिंग एक बहुत ही तेजी से बढ़ने वाली ट्रेडिंग रणनीति है, इसमें बहुत ही कम समय के अंतराल में ट्रेडर को शेयर्स खरीदना और बेचना होता है। इस ट्रेडिंग का प्रमुख उद्देश्य ही छोटे-छोटे समय के दौरान लाभ को कमाना होता है। स्कैल्पिंग ट्रेडिंग सामान्य रूप से दिन में कई बार किए जाते हैं। क्योंकि यह ट्रेडिंग कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक ही चलती है। उसके बाद आपको ट्रेडिंग से बाहर निकलना होता है।

    जब आप स्कैल्पिंग कर रहे होते हैं, तब उस समय आपको अधिक वॉल्यूम वाले स्टॉक का चयन करना होता है। जहां पर खरीददारी और बिक्री करने वाले ट्रेडर की संख्या अधिक हो। स्कैल्पिंग ट्रेडिंग में आपको बड़ी ही तेजी से अपने ट्रेड को करते हुए लाभ कमाने का प्रयास करना है।

    जिसके लिए आपको टेक्निकल एनालिसिस जैसे कि, मूविंग एवरेज (जो उस स्टॉक की दिशा की पहचान करने में) आपकी मदद करते हैं। बोलिंगर बैंड्स (जो मूल्य के उतार-चढाव का पता लगाने में आपकी मदद करता है। स्टोकास्टिक ऑस्किलेटर (जो यह बताता है कि शेयर अभी ओवरबॉट जोन में है या फिर ओवरसोल्ड जोन में) आप इन तीन टेक्निकल एनालिसिस के इंडिकेटरों का उपयोग करते हुए बड़ी ही तेजी से अपनी ट्रेडिंग को सफल बना सकते हैं।

    लेकिन हां, इसके साथ ही आपको अपने रिस्क मैनेजमेंट का बराबर ध्यान रखना होगा। किसी भी नए ट्रेडर को स्टॉप-लॉस के लेवल्स को जानकर स्टॉप-लॉस लगाना चाहिए, ताकि उसे कम से कम नुकसान हो।

  4. वॉल्यूम ट्रेडिंग (Volume Trading)

    वॉल्यूम ट्रेडिंग का सीधा सा मतलब यह होता है कि, जब किसी स्टॉक में लोग अधिक रूप से रुचि दिखाने लगते हैं मतलब उन्हें स्टॉक में मूवमेंट आता हुआ नजर आने लगता है। वॉल्यूम की वजह से और शेयर में बड़ी ही तेजी से गिरावट या शेयर के भाव में वृद्धि हो सकती है। लेकिन जहां कम वॉल्यूम होता है, ऐसे स्टॉक में अक्सर शेयर का भाव स्थिर हो जाता है।

    जब आप वॉल्यूम का एनालिसिस कर रहे होते हैं, तब ऐसी स्थिति में आपको वॉल्यूम वाले इंडिकेटर का प्रयोग करना होगा जैसे कि, वॉल्यूम ऑस्किलेटर (जो पूरी तरह से उच्च वॉल्यूम की गति का विश्लेषण करता है।) दूसरा कमोडिटी चैनल इंडेक्स जो वॉल्यूम और उस शेयर के भाव के बीच जो भी संबंध है उसे समझाने का प्रयास करता है। तीसरा AVG Volume (एवीजी वॉल्यूम) जो उस शेयर के एवरेज वॉल्यूम को प्रदर्शित करने का संकेत प्रदान करता है।

    वॉल्यूम एनालिसिस के दौरान आपको ट्रेंड की पहचान करने तथा बाजार के विभिन्न स्थितियों को पहचानने में मदद मिलती है। जिसकी वजह से किसी भी स्टॉक में अचानक ही वॉल्यूम वृद्धि होने लगती है। तब ऐसी स्थिति में नए निवेशकों की रुचि इस स्टॉक में बढ़ जाती है। लेकिन हां, कभी-कभी जब वॉल्यूम में वृद्धि हो जाने के बावजूद भी उस शेयर की कीमत वहीं की वहीं रह जाती है यानी कि स्थिर रह जाती है। तब यह एक गलत संकेत के रूप में ट्रेडरों को भ्रमित कर सकता है। इसके साथ ही जब आप उच्च वॉल्यूम के साथ ट्रेडिंग करने का प्रयास करते हैं, तब उस स्टॉक्स का मूल्य भी बढ़ जाता है। नए ट्रेडर के लिए अक्सर वॉल्यूम के डाटा को समझना तथा इसे मुनाफे में बदलना उनके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

  5. स्ट्रैटेजिक ट्रेडिंग (Strategic Trading)

    स्ट्रैटेजिक ट्रेडिंग के दौरान कोई ट्रेडर अपनी खुद की रणनीतियों पर पूरी तरह से निर्भर होता है। यह उस ट्रेडर की व्यक्तिगत सोच और योजना के आधार पर ट्रेड में एंट्री या एग्जिट करने की दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है। इस प्रकार की रणनीति सिर्फ और सिर्फ तुरंत के लाभ को ध्यान में ना रखते हुए लंबे समय में मिलने वाले प्रॉफिट पर होता है। एक अनुभवी ट्रेडर स्ट्रैटेजिक ट्रेडिंग के अंतर्गत ज्यादा रिसर्च करता हुआ दिखाई देता है। जिसमें उसे बाजार के रुझान तथा कंपनी के जो भी वित्तीय गतिविधियां और आर्थिक संकेत का विश्लेषण करता है।

    इस प्रकार की ट्रेडिंग में आपको स्पष्ट रूप से अपने लक्ष्य को बनाना होता है। इसके साथ ही ट्रेडर को यह भी तय करना होता है कि, वह कितना मुनाफा कमाना चाहता है तथा उसकी नुकसान की सीमा को कितना सहन कर सकता है। लेकिन हां जब ट्रेडर स्ट्रैटेजिक ट्रेडिंग की रणनीति अपनाते हुए अपने रिस्क का भी अच्छी तरीके से मैनेजमेंट करता है और स्टॉप-लॉस, प्रॉफिट, टारगेट और पोर्टफोलियो को अलग-अलग रूप से डायवर्सिफाइड करके रखता है। तब ऐसी स्थिति में उस ट्रेडर को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है।

    स्ट्रैटेजिक ट्रेडिंग करते हुए अगर लाभ की बात करें तो इसमें एक प्रकार से व्यवस्थित और अनुशासन में रहते हुए ट्रेडिंग की योजना बनाई जाती है। इस प्रकार की ट्रेडिंग का प्रमुख उद्देश्य लंबे समय में मुनाफा को अर्जित करना होता है। जो उस ट्रेडर के लिए अधिक स्थिरता प्रदान करती है, ताकि उसे जल्दी-जल्दी निर्णय ना लेना पड़े। इस प्रकार की रणनीति में वह ट्रेड अलग-अलग कंपनियों में भी ट्रेडिंग कर सकता है। जिसकी वजह से उसको जोखिम में थोड़ी बहुत कमी आ सकती है मतलब की एक साथ उसे नुकसान नहीं हो सकता।

    स्ट्रैटेजिक ट्रेडिंग करते हुए आपको ज्यादा रिसर्च करने तथा विश्लेषण करने के लिए समय चाहिए होगा। जो अधिकतर ट्रेडर नहीं कर पाते, लेकिन कई बार जब बाजार के परिस्थिति बड़ी तेजी से ही बदलने लगते हैं। तब एक नए ट्रेडर के लिए यह रणनीति थोड़ी चुनौती पूर्ण भी हो सकती है।

  6. मोमेंटम ट्रेडिंग (momentum trading)

    मोमेंटम ट्रेडिंग ऐसी ऐसी ट्रेडिंग कहलाती है जिसमें एक ट्रेंड ऐसी स्टॉक को पहचानता है या फिर पहचान का प्रयास करता है जो बड़ी ही तेजी से बढ़ रही हो क्योंकि इस प्रकार की रणनीति में ट्रेडर का मुख्य उद्देश्य ही उसे गति का लाभ उठाने का प्रयास करना होता है। ऐसे में ट्रेड यह सोचता है कि जब स्टॉक का भाव बढ़ रहा होता है तो वह और बढ़ेगा तथा जब गिर रहा होता है तब मैं और नीचे की तरफ गिरता ही चला जाएगा

    इस प्रकार की रणनीति के दौरान आपको सी एमएसडी और मोमेंटम इंडिकेटर इत्यादि का उपयोग करते हुए अपने लाभ की संभावनाओं को और अधिक रूप से बढ़ा सकते हैं इसी के माध्यम से आप उसे स्टॉक के ओवर बोर्ड और ओवर सोल्ड स्थितियों को बड़ी ही आसानी से पहचान सकते हैं एमएसडी के उपयोग से उसे स्टॉक के ताकत और संभावित रूप से रिवर्सल पॉइंट को पहचान में आपकी मदद करते हैं जब आप मोमेंटम इंडिकेटर का उपयोग करते हैं तो आपको ऐसे पॉइंट्स को पहचानने में आपकी मदद करता है जो यह बताते हैं कि आपको उसे ट्रेड में कब एंट्री और एग्जिट करना है

    मोमेंटम इंडिकेटर का उपयोग करते हुए आप अपने मुनाफा को बड़ी ही तेजी से बढ़ा सकते हैं तथा बाजार की गतिविधियां के प्रति संवेदनशील रहते हैं जिससे आपको निर्णय लेने में आसानी रहती है लेकिन हां इस प्रकार की ट्रेडिंग में आपको बाजार की दिशा अगर अचानक बदलता है तब आपको बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है

सामान्य गलतियाँ जिसे आपको दूर करना होगा (Common Mistakes You Should Avoid)

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ट्रेड द्वारा की जाने वाली सामान्य गलतियां निम्नलिखित है जिन्हें आपको पहचाना बहुत ही जरूरी है उसके साथ ही आपको इन गलतियों से दूर रहने का भी प्रयास करना चाहिए

  • एक ट्रेंड भले ही वह अनुभव भी हो या शेयर बाजार में नया हो उसे हमेशा अपने दर और लालच के आधार पर निर्णय लेने लगता है जो की बाद में उसे बड़े नुकसान की ओर ले जाता है इसीलिए किसी भी ट्रेड के अनुशासन में रहते हुए अपने ट्रेडिंग को प्लेन करना चाहिए।
  • एक ट्रेडर अक्सर बाजार की गतिविधियों के प्रति अधिक संवेदनशील और बिना किसी उचित कारण के बार-बार ट्रेड करने लगता है इसी ओवर ट्रेडिंग की वजह से एक ट्रेंड को नुकसान की संभावना भी अधिक रहती है इसके साथ ही उसे अधिक ट्रेडिंग चार्ज भी देने होते हैं।
  • एक ट्रेडर को अक्सर ही ट्रेडिंग के अवसरों का ध्यान रखना चाहिए और जब आवश्यक हो तभी ट्रेडिंग करने का प्रयास करना चाहिए।
  • अक्सर नए ट्रेडर बाजार की दिशा को समझने में बड़ी ही गलती कर देते हैं, क्योंकि वॉल्यूम तो अधिक तो हो जाता है, लेकिन उसका भाव स्थिर रहता है। इसीलिए ट्रेडर को इन सब बातो को समझदारी से लेने का प्रयास करना चाहिए।
  • जब एक नया ट्रेडर ट्रेडिंग करता है, तब मान लीजिए किसी स्थिति में उसे अगर लाभ हो भी जाता है। तो वह अपने लाभ को बड़ी जल्दी लेने का प्रयास करता है। लेकिन इसके विपरीत उसे नुकसान हो जाता है।
  • तब वह उस नुकसान को बड़े देर तक बनाए रखता है। जिसकी वजह से उसे और भी नुकसान को सहना पड़ता है। इसीलिए अपने मुनाफे की अधिकतम सीमा के साथ-साथ आपको अपने नुकसान की भी सीमाओं को पहले से सोच कर रखना होगा। तभी आप एक सफल ट्रेडर बन पाएंगे।

इंट्राडे ट्रेडर्स की पसंदीदा रणनीतियाँ (Preferred Intraday Trading Strategies)

इंट्राडे ट्रेडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें शेयर की खरीद और बिक्री को एक ही दिन के भीतर करते हुए लाभ कमाना होता है। जिसकी वजह से एक ट्रेडर को ट्रेडिंग के दौरान उपयोग किए जाने वाले सभी रणनीतियां को ध्यान में रखना चाहिए।

शेयर बाजार में किसी कंपनी के कीमत में होने वाली उतार-चढ़ाव के बीच लाभ कमाना ही इंट्राडे ट्रेडर मुख्य उद्देश्य होता है। उपर्युक्त बिंदुओं के माध्यम से हमने आपको ट्रेडिंग के दौरान उपयोग किए जाने वाली सभी प्रकार की रणनीतियों का विस्तार से वर्णन किया गया है।

फ्री इंट्राडे ट्रेडिंग कोर्स (intraday trading full course free in hindi)

शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग सीखने के लिए आप निम्नलिखित माध्यमों का सहारा ले सकते हैं।

ट्रेडिंग सीखने के लिए फ्री किताबें (trading full course in hindi free pdf)

इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान उपयोग किए जाने वाले सभी प्रकार के इंडिकेटर तथा जोखिम प्रबंधन के विभिन्न रणनीतियां वाली पुस्तक निम्नलिखित है।

सारांश (Summary)

इस लेख के माध्यम से हमने आपको समझाने का प्रयास किया कि, कैसे ट्रेडिंग की विभिन्न रणनीतियां को सिखाते हुए एक सफल ट्रेडर कैसे बन सकते हैं। इसके साथ ही हमने आपको यह समझाया कि, आप किस प्रकार से अपनी खुद के ज्ञान तथा अनुभव के आधार पर अपनी ट्रेडिंग रणनीतियां, जोखिम प्रबंधन के उपाय इत्यादि को व्यवस्थित कर सकते हैं।

इस लेख के माध्यम से हमने इंट्राडे ट्रेडिंग की शुरुआत करने से पहले उपयोग किए जाने वाले विभिन्न इंडिकेटर उनके प्रयोग के साथ-साथ हमने इंट्राडे ट्रेडिंग पर विस्तृत रूप से लिखी हुई बड़ी ही लोकप्रिय किताबों के बारे में बताया। इसके साथ ही आपको इन किताबों को फ्री में पढ़ने तथा डाउनलोड करने को बड़ी ही आसानी से वर्णन किया है।

अगर आपको यह लेख पढ़ने के पश्चात आपकी ट्रेडिंग यात्रा में थोड़ी भी मदद हुई हो, तो कृपया करके इस लेख को अधिक से अधिक अपने ट्रेडर दोस्तों के साथ साझा करने का प्रयास करें।

धन्यवाद।

FAQ

Q.1 Intraday ट्रेडिंग कैसे सीखें?

भले ही वह नया ट्रेडर हो या अनुभवी ट्रेडर अगर उसे इंट्राडे ट्रेडिंग सीखना है, तो इसके लिए उसे शेयर बाजार के बुनियादी समझ तथा टेक्निकल एनालिसिस के साथ-साथ ही चार्ट पढ़ने और ट्रेडिंग के दौरान बाजार के ट्रेंड्स को समझना भी जरूरी है। इसके साथ ही एक नया ट्रेडर डेमो ट्रेडिंग के सहायता से अपने आप को अनुभवी बना सकता है। इसके साथ-साथ एक नए ट्रेडर को यूट्यूब वीडियो, ऑनलाइन कोर्स के माध्यम से अपने ज्ञान को बढ़ाना तथा चार्ट्स के द्वारा बताए गए संकेत को समझने का प्रयास करना चाहिए।

Q.2 इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है in hindi?

इंट्राडे ट्रेडिंग शेयर बाजार की एक ऐसी तकनीक है, जिसमें आप शेयर को खरीद और बेच सकते हैं। लेकिन इसकी सिर्फ एक ही कंडीशन होती है कि उस शेयर को आप सिर्फ एक ही दिन के अंदर खरीदे या बेचे जा सकते हैं। इस प्रकार की ट्रेडिंग में आपको रोजाना शेयर के भाव (जब उतरे या चढ़े) उससे मुनाफा कमाने की कोशिश करनी होती है। इसका सीधा सा मतलब यह होता है कि, जब भी छोटी अवधि के दौरान उस शेयर के मूल्य में बदलाव होता है। तभी आपको लाभ उठाते हुए ट्रेडिंग करनी होगी।

Q.3 ट्रेडिंग का नंबर 1 नियम क्या है?

शेयर बाजार में भले ही आप निवेश करें या ट्रेडिंग सबसे मूल नियम यही होता है कि, आपको अपने पूंजी को कभी नहीं खोना है उसके साथ ही आप अपने नुकसान को कम करें और मुनाफे को धीरे-धीरे करके बढ़ाने का प्रयास करें।

Q.4 क्या मैं 500 रुपये से इंट्राडे ट्रेडिंग शुरू कर सकता हूं?

जी बिल्कुल, आप ₹500 से भी अपने इंट्राडे ट्रेडिंग की शुरुआत कर सकते हैं। भले ही यह बहुत ही छोटी राशि है लेकिन आपको यह थोड़ा बहुत मुनाफा तो जरूर दिला सकती है। इसके अलावा आपको ब्रोकरेज और अन्य सभी चार्ज को जानने की जरूरत होती है। इसके साथ ही आपको अपने जोखिम प्रबंधन तथा ट्रेडिंग को सीखने पर ज्यादा ध्यान देना होगा।

Q.5 ट्रेडिंग में सीखने वाली पहली चीज क्या है?

ट्रेडिंग में बहुत सी चीज ऐसी रहती हैं, जिसे आपको सिखाना बेहद ही जरूरी होता है। जैसे कि, आपको अपने पूंजी को सुरक्षित, टेक्निकल एनालिसिस में प्रयोग होने वाले सभी प्रकार के इंडिकेटर की जानकारी, ट्रेडिंग के दौरान उस शेयर का वॉल्यूम एनालिसिस तथा उसके ट्रेंड का भी व्यवहार आपको सिखाना होगा। उसके साथ-साथ आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस पर बना रहे चार्ट पैटर्न को भी सीख सकते हैं।

Q.6 मैं फ्री में शेयर बाजार कैसे सीख सकता हूँ?

हां बिल्कुल आप हमारे इस लेख को पढ़ाते हुए भी इंट्राडे ट्रेडिंग सीख सकते हैं। इसके साथ ही आप हमारे ही वेबसाइट में अन्य इंट्राडे ट्रेडिंग से संबंधित लिखो को पढ़ते हुए इंट्राडे ट्रेडिंग फ्री में सीख सकते हैं। इसके अलावा आप यूट्यूब चैनल तथा इंटरनेट में उपलब्ध फ्री ई-बुक्स के माध्यम से भी इंट्राडे ट्रेडिंग सीख सकते हैं।

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राहुल कुमार सोनी

राहुल कुमार सोनी एक वित्तीय बाजार लेखक हैं, जिन्हें शेयर बाजार, ट्रेडिंग और निवेश में 6 साल से अधिक का अनुभव है। वह बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग में ऑनर्स डिग्री के साथ एक बाजार निवेशक भी हैं।

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