शेयर बाजार में technical analysis in hindi की जानकरी रखना एक बहुत ही महत्वपूर्ण ज्ञान होता है। Having knowledge of technical analysis in Hindi, specifically चार्ट और इंडीकेटर्स का प्रयोग, is crucial in the stock market. In the stock market, there are two types of analysis that you need to perform. देखिये शेयर बाज़ार में दो प्रकार से आपको analysis करना होता है।
पहला तो है कि fundamental analysis और वही दूसरा technical analysis होता है। फंडामेंटल एनालिसिस की जरुरत व्यक्ति को तब होती है जब उसे किसी कंपनी के साथ लम्बे समय तक के लिए इनवेस्टेड रहना हो तब।
वही इसके विपरीत जब सम्बंधित व्यक्ति को कुछ घंटो या कुछ दिनों बस के लिए ही ट्रेड करके प्रॉफिट या लॉस रखकर अपना पोजीशन उस कंपनी से हटा लेता है। इसी कार्य को अच्छे से सम्पन्न करने के लिए हमें technical analysis सीखना होता है।
तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis)
टेक्निकल एनालिसिस के द्वारा स्टॉक के प्राईस मूवमेंट, स्टॉक का ट्रेंड, वॉल्यूम आदि का विश्लेषण किया जाता है | तकनीकी एनालिसिस स्टॉक के ऐतिहासिक उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। जबकि रोज़ एक नया दिन होता है, स्टॉक मूवमेंट का गहन विश्लेषण इस बात के संबंध में होता है कि किस दिन बाजार कैसा चल रहा है।
टेक्निकल एनालिसिस स्टॉक के बारे में उसकी शार्ट टर्म की प्रवृत्ति को प्रकट कर सकता है। यह शेयर के प्राईस तथा वॉल्यूम एक कॉम्बिनेशन होता है |शेयर बाज़ार में यदि आप बिना टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis) को समझकर ट्रेडिंग करते है तो आप नुकसान में नहीं रहेंगे |
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एक अच्छा एनालिस्ट किसी भी शेयर के मूवमेंट की कुछ हद तक सटीक भविष्यवाणी कर सकता है। लेकिन सही मायने में देखा जाय तो शेयर बाज़ार में बेहतर निवेश/ट्रेड बिना किसी टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis) के संभव नहीं है। इसलिए आप इस लेख में बताये गए सभी बिन्दुओ पर पूरा ध्यान केंद्रित कर के ही पढ़े।
तकनीकी एनालिसिस के प्रकार।
➡️ शेयर बाजार में technical analysis मुख्यतः दो प्रकार से किया जाता है।
1) चार्ट पैटर्न के आधार पर।
2) इंडिकेटर्स के आधार पर।
1) चार्ट पैटर्न के आधार पर।
इस प्रकार के technical analysis में हमें किसी भी स्टॉक्स जिसमे हम ट्रेड या इन्वेस्ट करना चाहते है। तो हमें उस स्टॉक्स के विभन्न पहलुओं को जानना जरुरी नहीं होता बस आपको सिर्फ स्टॉक के चार्ट पर अपनी नज़र बनाये रखना होता है। चार्ट पैटर्न को भी आप निम्न 3 भाग से समझ सकते है।
➡️ चार्ट पैटर्न मुख्य 3 प्रकार के होते है।
1) लाइन चार्ट।
लाइन चार्ट किसी भी शेयर के क्लोजिंग भाव को एक चार्ट पर पॉइंट्स तो पॉइंट्स मिलाकर इन सभी बिन्दुओ को एक साथ मिलकर एक ग्राफ तैयार किया जाता है,इसे ही लाइन चार्ट कहते है। यह बहुत ही सरल और आसान होता है।
आप इस लाइन चार्ट की मदद से अलग अलग टाइम फ्रेम में अलग अलग भाव की जानकरी ले सकते है।
लेकिन बहुत ही कम ट्रेडर्स इस इंडिकेटर का उपयोग करते है,क्योकि इसकी मदद से आप सिर्फ किसी शेयर के केवल एक ही ट्रैंड को जान सकते है।
और जैसा हमने शुरुआत में बताया कि यह केवल क्लोजिंग प्राइस के आधार पर बना होता है इसलिए किसी शेयर के ओपन,हाई और लो प्राइस को नहीं जान सकते।
2) बार चार्ट।
बार चार्ट सबका पसंदीदा चार्ट होता है। क्योकि आप इस चार्ट की सहायता से किसी शेयर के ओपन,हाई,लो और क्लोज प्राइस को आसानी से देख सकते है। यह लाइन चार्ट के मुकाबले थोड़ा कठिन जरूर होता है लेकिन इसमे Line Chart से ज्यादा डाटा प्रदर्शित करता है।
यह चार भागो से मिलकर बना होता है। इसमें सेंट्रल लाइन के सबसे ऊपर का भाग आज के सबसे ऊँचे भाव को दर्शाता है। इसके विपरीत सबसे निचला भाग शेयर के सबसे कम भाव को बताता है। बाँया मार्क शेयर का भाव किस भाव में ओपन हुआ था इसकी जानकारी देता है और साथ ही इसका दाहिना मार्क शेयर के क्लोज या बंद के भाव को प्रदर्शित करता है।
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3) जापानी कैंडलस्टिक चार्ट।
जापानी कैंडलस्टिक चार्ट अपने नाम से ही समझ सकते है कि इस चार्ट की उतपत्ति जापान में हुई है। आज से इस युग में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला चार्ट जापानी कैंडलस्टिक चार्ट ही है।
➡️ इसके तीन भाग होते है।
1) Body.
यह किसी कैंडल का ढांचा होता है जो दो रंगो का होता है लाल और हरे रंग का। इसका आकर आयताकार होता है जो किसी शेयर के ओपन और क्लोज प्राइस को आपस में जोड़कर बनाया जाता है।
2) Upper Shadow
यह Shadow किसी शेयर के बॉडी का वह ऊपरी हिस्सा होता है जो आपको यह बताता है की शेयर का भाव उछाल मारकर यहाँ तक गया था लेकिन किसी वजह से सेलिंग प्रेसेर बढ़ा और शेयर का भाव उस ऊंचाई तक टिक नहीं पाया।
3) Lower Shadow.
यह Shadow किसी भी शेयर के कैंडल की बॉडी का सबसे निचला हिस्सा होता है। जो हमें यह बताता है कि किसी शेयर का भाव इस बिंदु तक निचे गिरा था लेकिन फिर किसी वजह से ख़रीददारी बढ़ी और शेयर का भाव उस पॉइंट पर रुक नहीं सका। जिसकी वजह से कीमत ऊपर आ गयी।
2) इंडिकेटर्स के आधार पर।
इस भाग में हमें अपने ट्रेडिंग अकाउंट में इंडिकेटर वाले सेक्शन में जाकर आप कुछ प्रमुख इंडिकेटर जैसे कि RSI (Relative Strength Index), मूविंग एवरेज (Moving Average), बोलिंगर बैंड(Bollinger Bands), वॉल्यूम, VWAP(Volume-Weighted Average Price) और MACD (Moving Average Convergence/Divergence Indicator) को ग्राफ में लगाना होता है। जिनका प्रयोग टेक्निकल एनालिसिस में ज्यादातर किया जाता है |
1) सिंपल मूविंग एवरेज (Simple Moving Average)
किसी भी इंडिकेटर का ग्राफ में लगाने से पहले आपको उस इंडिकेटर के बारे में अच्छे से प्रैक्टिस कर लेनी चाहिए। इसी कड़ी में सबसे पहला नाम सिंपल मूविंग एवरेज (Simple Moving Average) का ही आता है। क्योकि यह अपने नाम से ही प्रतीत होता है कि यह कितना सरल है।
सिंपल मूविंग एवरेज (Simple Moving Average) एक प्रकार का साधारण रेखा होती है जो किसी भी स्टॉक्स के बंद होने वाले भाव के बारे में एक निश्चित अवधी में दर्शाती है।
इस इंडिकेटर की मदद से शेयर बाजार में किसी कंपनी के भाव में क्या उतार-चढाव रहा इसकी जानकारी जिस भी टाइम फ्रेम में प्राप्त करनी हो आप देख सकते है।
इस इंडिकेटर की सहायता से आप आने वाले ट्रेडिंग सेशन में शेयर का क्या भाव रहेगा उसका आप अनुमान लगा सकते है।
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2) बोललिंगर बैंड्स (Bollinger Bands)
सभी ट्रेडर्स की सबसे पसंदीदा इंडिकेटर में बोललिंगर बैंड्स का ही नाम आता है। जैसा कि नाम से ही समझने का प्रयास करे तो इसमें एक शब्द है बैंड्स अर्थात जब किसी शेयर के ग्राफ में शेयर का भाव ऊपरी बैंड्स के आसपास दिखाई पड़ता है |
तब यह अनुमान लगाया जाता है कि शेयर का भाव आने वाले कुछ समय बाद बढ़ सकता है। इसके विपरीत जब शेयर भाव इसके निचले बैंड्स के आसपास नज़र आये तो आप यह अनुमान लगा सकते है कि अब इसका भाव यहाँ से गिर सकता है।
3) RSI (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स Relative Strength Index)
RSI इंडिकेटर की वैल्यू 0 से 100 के बीच होती है। इसे दो ज़ोन में विभाजित किया गया है।
पहला ज़ोन है, 0 से 30 तक।शेयर का भाव जब इस जोन में होता है तब इसे ओवरसोल्ड जोन कहते है। ओवरसोल्ड का मतलब यह होता है कि अब शेयर को खरीद लेना चाहिए।
इसके विपरीत जब शेयर का भाव दूसरे जोन में अर्थात 70 से 100 के बीच होता है। तब इसे ओवरबॉट माना जाता है। मतलब अब शेयर को बेच देना चाहिए। क्योकि अब शेयर का भाव कभी भी गिर सकता है।
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4) MACD – मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस एंड डाइवर्जेंस (Moving Average Convergence and Divergence)
MACD इंडिकेटर दो मूविंग एवरेज के कन्वर्जेन्स और डायवर्जेंस पर काम करता है। इस इंडिकेटर में आपको यह ध्यान रखना होता है कि जब MACD रेखा मध्य रेखा से ऊपर की तरफ चली जाय तो इसका मतलब अब शेयर को खरीद लेना चाहिए।
वही इसके विपरीत जब MACD रेखा मध्य रेखा से निचे की तरफ चली जाय तब हम यह अनुमान लगा सकते है कि अब स्टॉक का भाव गिर सकता है अर्थात अब हमें शेयर को बेच देना चाहिए।
हम आपको यह भी बता दें कि MACD अन्य इंडिकेटर से ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है।
5) ADX – ऐवरज डायरेक्शनल इंडेक्स (Average Directional Index)
ADX इंडिकेटर किसी भी शेयर के ट्रैंड की जानकारी प्रदान करता है। ADX इंडिकेटर यह सुनिष्चत करता है कि किसी स्टॉक्स का ट्रैंड कितना मजबूत है और यह कितने समय तक ऐसे ही मजबूत रहेगा।
यह इंडिकेटर खासकर इंट्राडे ट्रेडिंग में बहुत लाभकारी होता है। इसलिए इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए यह एक बेहतरीन इंडिकेटर है। इसे भी 0 से 100 के मानदंडों पर उपयोग किया जाता है।
जब ADX की वैल्यू 0 से 25 के बीच होता है तब यह माना जाता है कि शेयर ट्रैंड अनुपस्थित या बहुत ही कमजोर है। और जब ADX की वैल्यू 25 से 50 के बीच होती है। तब शेयर के ट्रैंड को मजबूत माना जाता है।
और जब ADX की वैल्यू 50 से 75 के आसपास होती है तब तो शेयर में जो भी ट्रैड चल रहा होता है उस ट्रैंड को सबसे मजबूत माना जाता है। और जब यही ADX की वैल्यू 75 से 100 के बीच होती है तब तो शेयर के ट्रैंड की प्रवत्ति अत्यंत मजबूत माना जाता है।
निष्कर्ष :-
हमारी टीम आपसे आशा करती है कि हमारे इस लेख में बताये गए टेक्निकल एनालिसिस के सम्पूर्ण भागो और प्रकारो को बखूबी पढ़ा और समझा होगा। हमने टेक्निकल एनालिसिस से सम्बंधित चार्ट पैटर्न और इंडिकेटर के सभी प्रकरो का उपयोग बताया है। आप इस सभी चार्ट पैटर्न और मुख्य इंडिकेटर को और बारीकी से समझकर उपयोग में ले। ताकि आपको ज़्यदा से ज़्यदा लाभ प्राप्त हो सके।
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FAQ
Q.1 टेक्निकल एनालिसिस में क्या क्या आता है?
टेक्निकल एनालिसिस में आप किसी शेयर के चार्ट से यह अंदाजा लगा सकते है कि, आने वाले कुछ मिनट घंटे सप्ताह या कुछ महीनो में शेयर का भाव कितना हो सकता है। हमने लेख में टेक्निकल एनालिसिस को अच्छे से विस्तृत रूप से आपको समझाने का प्रयास किया है।
Q.2 ट्रेडिंग सीखने के लिए क्या करना पड़ता है?
ट्रेडिंग सीखने के लिए आपको निम्न बिन्दुओ को बारीकी से सीखना होगा।
➡️ ट्रेडिंग के बेसिक्स को समझने का प्रयास करे।
➡️ शेयर के अलग अलग टाइम फ्रेम में बने कैंडल्स का अध्यन करे।
➡️ किसी भी अप्प्स की सहायता से रोजाना पेपर ट्रेडिंग की प्रैक्टिस करे।
➡️ प्राइस एक्शन ट्रेडिंग को समझने का प्रयास करे।
➡️ रोजाना कम से कम 20 से 30 शेयर के चार्ट का अवलोकन करे साथ ही अपने अनुभवों को एक नोट्स में लिखने का प्रयास करे।
Q.3 तकनीकी विश्लेषण सीखने में कितना समय लगता है?
देखिये जहा तक बात की जाय लगने वाले समय की तो वह आपके स्वाभाव, लगन और इसे सीखने के लिए लगने वाली कड़ी मेहनत पर निर्भर करता है। बाकि एक अच्छा ट्रेडर बनने के लिए आपको लगभग 100 से 200 घंटे भी या कम से कम 3 माह तक प्रयासरत रहना होगा।
Q.4 मैं फ्री में ट्रेडिंग कैसे सीख सकता हूं?
आपको ट्रेडिंग को सिखने के लिए शुरुआत में यूट्यूब में अच्छे बड़े और सफल ट्रेडर्स के टुटोरिअल्स को अपने वॉचलिस्ट में add करे। और जब भी समय मिले आप सीखे। इसके आलावा आप हमारे वेबसाइट Financial Edify पर ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर फ्री में अपना ज्ञान बढ़ा सकते है।
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