what is stochastic momentum index

स्टोकेस्टिक इंडिकेटर। what is stochastic momentum index

Trading Strategies

नमस्ते दोस्तों आज इस ब्लॉग मे हम ट्रेडिंग के दौरान what is stochastic momentum index मार्केट मोमेंटम के बारे मे विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे। क्योंकि मार्केट मूवमेंटम को पहचाने बिना आप ट्रैडिंग की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

Table of Contents

मार्केट की दिशा और दशा की जानकारी जैसे कि आज का मार्केट अप ट्रेंड, डाउन ट्रेंड या फिर साइड वेज़ रहेगा। इसकी सटीक जानकारी मार्केट मोमेंटम इंडिकेटर से ही पता किया जा सकता हैं।

what is stochastic momentum index?

what is stochastic momentum index

शेयर बाजार के इतिहास में 1950 के दशक में, डॉ जॉर्ज सी लेन ने एक ऐसी तकनीकी संकेतक को विकसित की जिसे आज के समय उसे स्टोकेस्टिक ऑसीलेटर के नाम से जाना जाता है।अन्य जितने भी प्रकार के तकनीकी इंडिकेटर है जो मूल्य या मात्रा का पालन करते थे, लेकिन यह इंडिकेटर उनके विपरीत स्टोकेस्टिक संकेतक एक परिसंपत्ति की कीमत की गति का पालन करता है। डॉ जॉर्ज सी लेन को “Father of Stochastics” भी कहा जाता हैं।

स्टोकैस्टिक ऑसिलेटर इंडिकेटर एकमात्र ऐसा इंडिकेटर हैं जो आपको फेक ब्रेकआउट को आसानी से समझ सकते हैं। और जब आप यह समझ जाते हैं तब आप अपनी ट्रैडिंग नज़रिये और अनुभव के साथ ट्रेड करते हैं। इससे आप ओवरट्रेडिंग करने से बच जाते हैं। इसीलिए शेयर मार्केट ट्रैडिंग मे आपको मार्केट मोमेंटम इंडिकेटर को उपयोग करना चाहिए।

यह इंडिकेटर चाहे मार्केट अपट्रेंड, डाउन ट्रेंड या फिर साइडवेज़ हो प्रत्येक समय आपको एक अच्छी खासी ट्रेड के अवसर आपको प्रदान करती हैं। आप अच्छे से प्रैक्टिस कर के मार्केट से अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हो। लगातार प्रयास से ही आपकी ट्रैडिंग एक्यूरेसी मे सुधार होगा।

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stochastic momentum index कैसे प्रदर्शित करे।

what is stochastic momentum index

इस इंडिकेटर का उपयोग करने के लिए आपको सबसे पहले tradingview.com वेबसाइट मे जाकर इंडिकेटर सेक्शन में stochastic oscillator indicator को सेलेक्ट करें।
जब आप इस इंडिकेटर को सेलेक्ट करते हैं तो आपका स्क्रीन में ग्राफ़िक रूप से चार्ट प्रदर्शित होगा।

stochastic momentum index ग्राफ क्या बताता है?

स्टोकैस्टिक ऑसिलेटर का उपयोग किसी भी परिसंपत्ति के लिए ओवर बॉट और ओवर सोल्ड के संकेत के रूप में पहचान करने के लिए किया जाता है। जिससे आप मूल्य में होने वाले सभी परिवर्तनों को पहचान सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि किसी परिसंपत्ति के लिए स्टोकेस्टिक इंडिकेटर का मूल्य 80 से अधिक है, तो वह परिसंपत्ति ओवर बॉट रेखा में माना जाता है। यदि मूल्य 20 से कम है, तो संपत्ति को ओवर सोल्ड के रेखा में माना जाता है।

stochastic momentum index का उपयोग करके कब और कैसे एंट्री करें?

what is stochastic momentum index

इस मोमेंटम इंडिकेटर का उपयोग करके आपको तभी एंट्री लेनी है जब इस इंडिकेटर को लगाने के बाद जब ऊपर की लाइन 80 या उसके आसपास हो या overbought जोन में हो।

तब आपको शेयर में short की पोजीशन बना लेनी हैं और जब मार्केट गिर जाये तब अपने रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो को ध्यान में रखते हुए आपको प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए।

इसी समय अगर आपने पहले से ही short पोजीशन लेकर बैठे हुए हैं तो आपको तुरंत ही अपना प्रॉफिट बुक करके मार्केट से एग्जिट हो जाना चाहिए।

इसके विपरीत जब कभी स्टॉक का भाव oversold जोन में हो या फिर नीचे वाली लाइन का मान 20 या इसके आसपास हो तब आपको उस शेयर में long पोजीशन बनाकर अपने रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो को ध्यान में रखते हुए एक अच्छी खासी प्रॉफिट बना सकते हैं।

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stochastic momentum index का संकेतक सूत्र।

स्टोकैस्टिक ऑसिलेटर को K% और D% लाइनों का उपयोग कर मापा जाता है।

K% = 100 [(C – L14) / (H14 – L14)]

  • जहां C वर्तमान समापन मूल्य है
  • पिछले 14 कारोबारी सत्रों में वापस देखने पर L14 सबसे कम कीमत है
  • पिछले 14 कारोबारी सत्रों में वापस देखने पर H14 उच्चतम मूल्य है

D% = K% का 3-अवधि सरल चलती औसत (SMA)

stochastic momentum index का उपयोग ट्रेडिंग में कैसे करें?

what is stochastic momentum index

  • स्टोकैस्टिक ऑसिलेटर का उपयोग ओवर बॉट और ओवर सोल्ड स्थितियों की पहचान करने में होता है।
  • इस इंडिकेटर की सहायता से शॉर्ट टर्म ट्रेंड्स की पहचान की जा सकती है।
  • ट्रेंड्स और रिवर्सल्स का सिग्नल प्राप्त करने के लिए एक प्रमुख इंडिकेटर के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।

stochastic momentum index के मुख्य 3 उपयोग।

  1. Overbought or oversold price method.
  2. crossover entry method.
  3. divergence entry method.

(1) Overbought Or Oversold Price Method.

what is stochastic momentum index

स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर एकमात्र ऐसा इंडिकेटर हैं जो overbought or oversold price की पहचान करने में किया जाता हैं। यह एक मोमेंटम इंडिकेटर की तरह काम करता हैं। इस इंडिकेटर में दो लाइन के बीच में वॉल्यूम का प्रदर्शन होता हैं।

जिसमे दोनों लाइन को अंकीय मान जैसे कि ऊपर की लाइन का मान 80 और नीचे की लाइन का मान 20 दिया जाता हैं।
जब भी ऊपर की लाइन का मान 80 या 80 के आसपास होता हैं तो ऐसी स्थिति में उसे अधिक overbought माना जाता हैं। इसका तातपर्य यह भी होता हैं कि अब शेयर का मूल्य बहुत अधिक महंगा हो चुका हैं।

इसलिए लोग अपना अपना लाभ बुक करके मार्केट के चल रहे अपट्रेंड मोमेंटम को बदलकर डाउनट्रेंड मोमेंटम की ओर शिफ्ट कर देंगे। लेकिन जब नीचे की लाइन का मान 20 या 20 के आसपास दिखाई देता हैं तो इस स्थिति को oversold कहा जाता हैं।

Oversold का मतलब यह होता हैं कि मार्केट में शेयर का भाव अपने कुछ ट्रेडिंग सेशन के निचले स्तर पर ट्रेड कर रहा हैं। इसका मतलब यह भी होता हैं कि अब लोग यहाँ से शेयर में खरीददारी के लिए तैयार हैं, और जो अब तक मोमेंटम डाउनट्रेंड का चल रहा था वो अब यहाँ से बदलकर अपट्रेंड की ओर मोमेंटम चला जायेगा।

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(2) Crossover Entry Method.

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मार्केट के मोमेंटम और ट्रेंड का आकलन जिस प्रकार हमने Overbought or oversold price method का उपयोग करके पता लगाया जाता हैं। उसी प्रकार से crossover entry method भी बहुत उपयोगी होता हैं। इसे पहचानने के लिए आपको दोनों लाइन के बीच बन रहे ग्राफ को ध्यान से समझना होगा। ग्राफ में दो लाइन प्रदर्शित होती हैं जिनमे से नीले रंग वाली लाइन को K प्रतिशत के नाम से जाना जाता हैं, तथा ऑरेंज रंग से बने इस लाइन D प्रतिशत कहा जाता हैं।

जब भी कोई स्टॉक अप ट्रेंड में होता है और यह K प्रतिशत वाली लाइन, D प्रतिशत वाली लाइन को ऊपर से नीचे क्रॉस करती है, तब शेयर का भाव अपट्रेंड से बदलकर डाउन ट्रेंड में जाने की उम्मीद बढ़ जाती हैं, ऐसी स्थिति में खरीदने वाले लोग मार्केट से बाहर होकर बेचने वालो को मार्केट में एंट्री करने के अवसर देते हैं।

इसी तरह जब भी कोई स्टॉक डाउन ट्रेंड में हो और यह K प्रतिशत लाइन D प्रतिशत वाली लाइन को नीचे से ऊपर क्रॉस करती है तब डाउन ट्रेंड का मोमेंटम चेंज होकर स्टॉक में जो भी पॉसिबल अप ट्रेंड आने की उम्मीद बढ़ जाते हैं इस तरीके को क्रॉसओवर एंट्री मेथड कहा जाता है।

क्रॉसओवर एंट्री मेथड का इस्तेमाल आप महत्वपूर्ण KEY लेवल के साथ भी कर सकते हैं। जैसे किसी चार्ट में स्टॉक प्राइस बार-बार एक लेवल पर आकर छू रही है, जिससे यहां पर एक सपोर्ट बनता हुआ दिखाई पड़ता हैं, और इसी समय इनके स्टॉकस्टेटमेंट मिलने से एक अप साइड का लॉन्ग ट्रेड प्लान कर सकेंगे और ज्यादा देर तक ट्रेड होल्ड करने में आपको कोई परेशानी नहीं होगी।

जब भी किसी स्टॉक की प्राइस अपने सपोर्ट या फिर रेजिस्टेंस पर ट्रेड कर रही होगी तब आप उस स्टॉक में ट्रेड एंट्री बनाने से पहले एक बार स्टॉकस्टेटमेंट टेक्निक का इस्तेमाल करके आप ओवर ट्रेडिंग करने से बचे रहेंगे।

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(3) Divergence Entry Method.

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किसी भी स्टॉक में एक पॉइंट पर स्टॉक की प्राइस में आपको lower low का प्राइस एक्शन दिखेगा लेकिन उसी वक्त स्टॉकस्टेटमेंट पर higher low बनते हुए नजर आएगा।
इसका मतलब यहां मार्केट में बेचने वालो की संख्या धीरे-धीरे कम होने से सेलिंग प्रेशर कम हो रहा है और अब मार्केट में बायर्स (खरीदने) अपनी एंट्री बनाकर इस प्राइस को ऊपर की तरफ ले जाने की कोशिश करेंगे।
ऐसी स्थिति में प्राइस एक्शन में बन रहे सपोर्ट लाइन और स्टॉक स्टेटमेंट इन दोनों का इस्तेमाल कर ट्रेड में एंट्री करके इस अपॉर्चुनिटी का फायदा उठा सकते हैं। स्टोक़ैस्टिक RSI एक शॉर्ट टर्म इंडिकेटर है।

स्टोकेस्टिक ऑसीलेटर और सापेक्ष शक्ति सूचकांक (RSI) के बीच संबंध।

जिस प्रकार से स्टोकेस्टिक इंडिकेटर का उपयोग बड़े स्तर के ट्रेडर्स द्वारा किया जाता है उसी प्रकार ही RSI का भी उपयोग किया जाता है। इन दोनों इंडिकेटर में मूल्य गति दोलन हैं जो ट्रेडर्स के द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किये जाते हैं। एक खरीद या बेचने के संकेत की सटीकता को बढ़ाने के लिए, ट्रेडर्स हमेशा अग्रानुक्रम में स्टोकेस्टिक ऑसीलेटर और आरएसआई का उपयोग करते हैं।

स्टोकेस्टिक ऑसीलेटर ऐसे सिद्धांत पर काम करता है,जो कि एक परिसंपत्ति की कीमत बाजार के तेज प्रवृत्ति के दौरान इसके उच्चतम स्तर और बाजार में गिरावट के दौरान इसके निचले स्तर के पास बंद हो जाती है। दूसरी तरफ, RSI उस वेग को मापकर काम करता है,जिस पर एक परिसंपत्ति की कीमत चलती है। जब किसी ऐसे बाजार का सामना करना पड़ता है जो रुझानों में चलता है,तो RSI ओवर बॉट और ओवर सोल्ड स्थितियों की पहचान करने के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है।

स्टोकेस्टिक मोमेंटम इंडेक्स के लाभ (Benefits of the Stochastic Momentum Index)

  • SMI उसी अवधि के लिए स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर आउटकम की तुलना में कम अप्रत्याशित है।
  • SMI महत्वपूर्ण बिंदुओं के मूल्य में संभावित बदलावों का अग्रिम संकेत देता है।
  • यह ट्रेडर्स को बाजार में अपनी चाल का समय निर्धारित करने की अनुमति देता है।
  • स्टोकेस्टिक मोमेंटम इंडेक्स की भविष्यवाणी के कारण अधिकतम लाभ के साथ प्रवेश के साथ-साथ निकास अब कोई समस्या नहीं है।

स्टोकेस्टिक मोमेंटम इंडेक्स के नुकसान (Disadvantages of the Stochastic Momentum Index)

  • स्टोकेस्टिक मोमेंटम इंडेक्स मार्केट trends की भविष्यवाणी करने में असमर्थ है।
  • इससे ट्रेडर्स के मन में बहुत भ्रम पैदा होता है।
  • ट्रेडर्स अक्सर SMI द्वारा इंगित चरम स्थितियों को देखकर फंस जाते हैं।
  • ट्रेडर को भविष्य के रुझानों की भविष्यवाणी करने के लिए CMO या R-स्क्वायर्ड इंडिकेटर जैसे ट्रेंडनेस इंडिकेटर का उपयोग करना चाहिए।
  • SMI जो केवल बहुत ही कम समय के लिए चरम स्थितियों की भविष्यवाणी करता है।
  • SMI ट्रेंडिंग मार्केट में ट्रेड सिग्नल उत्पन्न नहीं कर सकता है।

निष्कर्ष (conclusion)

स्टोकेस्टिक ऑसीलेटर एक उच्चतम टेक्निकल इंडिकेटर है जिसका उपयोग आरएसआई के साथ व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। कुछ स्थितियों में, जहां बाजार में अस्थिरता अधिक है, परिसंपत्ति का मूल्य बदलाव सूचक द्वारा उत्पन्न व्यापार संकेत से मेल नहीं खाता है। इसलिए, आरएसआई और बदलती औसत कन्वर्जेंस विचलन (एमएसीडी) के रूप में अन्य तकनीकी संकेतकों के साथ स्टोकेस्टिक ऑसीलेटर का उपयोग करना एक विवेकपूर्ण विचार है।

स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर में कुशल बनना ट्रेडर्स के लिए एक महत्वपूर्ण कला हो सकती है। तकनीकी विश्लेषण ओवर बॉट और ओवर सोल्ड के स्तर का पहचान करने और जो भी मार्केट में संभव प्रवृत्ति उलटफेर की ओर ध्यान केंद्रित करता है। व्यापारी लगातार बदलते वित्तीय बाजारों में अपनी निर्णय लेने की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर का उपयोग कर सकते हैं।

FAQ

Q.1 स्टोकेस्टिक ऑसीलेटर इंडिकेटर की एक्यूरेसी कितनी हैं?

जब भी आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करें तो आपको सिर्फ एक इंडिकेटर पर ही पूरी तरीके से निर्भर नहीं होना चाहिए। इंडिकेटर के साथ साथ आपको price action का भी सही से उपयोग कर के मार्केट के मोमेंटम का सही और सटीक आकलन लगाना चाहिए।

क्योकि आप मार्केट में uptrend, downtrend, overbought या oversold एरिया की पहचान करने के लिए सिर्फ stochastic oscillator indicator पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। आपको मार्केट मोमेंटम और ट्रेंड की विस्तार से और सटीक जानकारी होनी चाहिए। ताकि आप अपने कैपिटल को सुरक्षित रखकर ज़्यदा profit और कम loss करें।

Q.2 ओवरबॉट और ओवरसोल्ड की स्थिति को कैसे जाने?

ओवरबॉट और ओवरसोल्ड बाजार स्थितियों को पहचानने के लिए स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर को पहले प्राथमिकता दी जाती है। जब कोई उलटफेर शेयर मार्केट में यह संकेत दे सकता है कि जब संकेतक 80 को पार कर जाता है तो परिसंपत्ति ओवरबॉट कहलाती है। दूसरी ओर, यदि ऑसिलेटर 20 से नीचे चला जाता है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि ओवरसोल्ड हो गई है।

Q.3 स्टोकेस्टिक इंडिकेट कैसे काम करता है?

स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर किसी परिसंपत्ति के समापन मूल्य को किसी अवधि में उसकी उच्च-निम्न श्रेणी से तुलना करने में मदद करता है। एक गति संकेतक होने के साथ-साथ यह एक सीमाबद्ध ऑसिलेटर भी है। यह इंडिकेटर 20 और 80 के बीच अच्छे से काम करता है।

Q.4 स्टोकेस्टिक का उदाहरण क्या है?

इसे हम एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते है।
यदि 14-दिन का उच्च 150 रूपये है, और निम्न 125 रूपये है और वर्तमान समापन मूल्य 145 रूपये है, तो वर्तमान सत्र के लिए रीडिंग होगी: (145-125) / (150 – 125) * 100, या 80.

Q.5 स्टोकेस्टिक इंडिकेटर की एक्यूरेसी कितनी अच्छी है?

स्टोचस्टिक संकेतक एक पसंदीदा तकनीकी संकेतक हैं, क्योंकि यह समझने में आसान है, और अपेक्षाकृत अच्छे परिणाम प्रदान करती है। संकेतक गति के आधार पर व्यापारियों को स्थिति में प्रवेश करने या बाहर निकलने के लिए खरीदने और बेचने के संकेत प्रदान करता है।

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राहुल कुमार सोनी

राहुल कुमार सोनी एक वित्तीय बाजार लेखक हैं, जिन्हें शेयर बाजार, ट्रेडिंग और निवेश में 6 साल से अधिक का अनुभव है। वह बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग में ऑनर्स डिग्री के साथ एक बाजार निवेशक भी हैं।

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Responses

  1. Virendra Avatar
    Virendra

    Great knowledge

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