मीन रिवर्जन रणनीति: उतार-चढ़ाव से लाभ उठाने के 5 उपाय। How to implement a mean reversion strategy

इस लेख में हमने How to implement a mean reversion strategy के साथ मीन रिवर्जन रणनीति की पूरी तरह से समझाने का प्रयास किया है।

मीन रिवर्सन स्ट्रैटेजी क्या होती है? (What is Mean Reversion?)

How to implement a mean reversion strategy
How to implement a mean reversion strategy

मीन रिवर्सन स्ट्रैटेजी (mean reversion strategy) एक ऐसी ट्रेडिंग की रणनीति मानी जाती है, जो पूरी तरह से ऐसी विचारधारा पर आधारित होती है। जो किसी भी स्टॉक के मूल्य का अपनी औसत मूल्य के बराबरी पर आने के लिए होती है।

इसका सीधा सा मतलब यह होता है कि, जब किसी भी स्टॉक में उसका मूल्य अधिक रूप से या तो गिर जाती है या फिर ऊपर की ओर बढ़ जाती है लेकिन लंबे समय में यह अपने औसत मूल्य के आसपास ही वापस आता हुई दिखाई देती है।

जब किसी स्टॉक का वर्तमान में अत्यधिक मूल्य तथा सबसे कम मूल्य पर ट्रेड होने की संभावना होती है। तब ऐसे स्टॉक जल्द ही अपने सामान्य स्तर पर वापस आने की कोशिश करते हैं। इस रणनीति का मूल सिद्धांत यही होता है कि, जब भी बाजार में अचानक से होने वाले उतार-चढ़ाव की वजह से उस स्टॉक के मूल्य के संतुलित होने से पहले ही लाभ को प्राप्त कर लेना।

मीन रिवर्सन स्ट्रैटेजी की बुनियादी समझ (Understanding the Basics)

मीन रिवर्जन ((mean reversion) रणनीति में एक ट्रेडर किसी भी स्टॉक में अपनी अवधारणा को इस प्रकार से बनाए रखना है कि, जब उस स्टॉक का मूल्य उसके औसत मूल्य से नीचे होती है। तभी वह उसमें खरीदारी का मौका तलाशने की कोशिश करते हैं।

लेकिन इसी के विपरीत जब भी उस स्टॉक की कीमत उसकी औसत कीमत से ऊपर की ओर चली जाती है, तब ऐसी स्थिति में ट्रेडर्स इन शेयर्स को बेचने के मौके ढूंढते हैं, ताकि उन्हें अधिक से अधिक मुनाफा हो सके।

इस स्ट्रेटजी का उपयोग करते हुए आप (बाजार में जितना अधिक से अधिक हो सके) आप यह पता लगा सकते हैं कि बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव स्थाई रूप से कहां तक निर्धारण तथा इसकी कीमतें संतुलित हो सकती हैं। इसी मानसिकता का उपयोग करते हुए ट्रेडर्स तथा निवेशक बाजार में चल रहे, ट्रेडिंग स्टॉक्स के ओवर बॉट तथा ओवर सोल्ड की स्थितियों को आसानी से पता लगा सकते हैं। जिसकी वजह से उन्हें निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होता ही है।

मीन रिवर्सन स्ट्रैटेजी को कैसे लागू करें (How to implement a mean reversion strategy?)

मीन रिवर्जन स्ट्रेटजी को ट्रेडिंग के दौरान किस प्रकार से लागू किया जाता है? इसकी विधि को हमने नीचे कुछ महत्वपूर्ण 5 बिंदुओं के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया है।

  1. इस रणनीति को लागू करने के लिए सबसे पहले तो एक ट्रेडर या निवेदक होने के नाते आपको उस स्टॉक की औसत मूल्य का निर्धारण करना चाहिए ताकि आप सही समय पर अपनी औसत मूल्य की पहचान कर सके।
  2. इसके बाद आपको उस स्टॉक के सबसे अधिक मूल्य को अपने ध्यान में रखना होगा ताकि अगर आप कहीं जल्दबाजी में ट्रेड ले लेते हैं तो उस स्थिति में भी आपको यह मालूम रहे कि, इस स्टॉक की कीमत इस अत्यधिक मूल्य से ज्यादा नहीं हो सकेगी।
  3. जैसे ही आप उस स्टॉक के सबसे अधिक मूल्य को पहचान लेते हैं, तब आपके अंदर उस स्टॉक में एंट्री और एग्जिट के प्वाइंट्स को निर्धारित करने की आवश्यकता होती है, ताकि आप सही समय पर एंट्री या एग्जिट कर पाए।
  4. उस स्टॉक में आपको एंट्री तभी करनी होती है, जब स्टॉक की कीमत उसके औसत मूल्य से कम होती है। इस दौरान आपको उसमें एंट्री करनी होती है।
  5. इसी के विपरीत जब उस स्टॉक की कीमत उसके औसत मूल्य के बराबर या उससे भी ऊपर चली जाती है इस दौरान आपको उसे स्टॉक से एग्जिट कर लेना होता है।

मीन रिवर्सन स्ट्रैटेजी का अन्य रणनीति के साथ संयोजन (Mean Reversion with Other Strategies)

  1. मोमेंटम ट्रेडिंग (Momentum trading)

    मीन रिवर्सन स्ट्रैटेजी और मोमेंटम ट्रेडिंग इन दोनों को जब एक साथ (Trading with Mean Reversion) जोड़ दिया जाता है, तब एक मजबूत ट्रेडिंग रणनीति बनकर तैयार होती है। जिस रणनीति में एक ट्रेंड बाजार में चल रहे माहौल को समझ कर तथा उसे पहचान कर मोमेंटम इंडिकेटरों का उपयोग करता है।

    इसके बाद जब उस ट्रेडर को मार्केट की दिशा का ज्ञान हो जाता है। तब इस समय मीन रिवर्जन इंडिकेटर का उपयोग करके बहुत ही बारीकी से एंट्री और एग्जिट के पॉइंट को पहचाना जा सकता है।

    हालांकि इस प्रकार की रणनीति को लागू करने से पहले ट्रेडर को बड़ी ही सावधानी तथा अपनी जोखिम का ख्याल रखते हुए ट्रेडिंग करनी चाहिए।

  2. ट्रेंड फॉलोइंग (Trend following)

    मीन रिवर्सन स्ट्रैटेजी (Mean Reversion Techniques) तथा ट्रेंड फॉलोइंग इन दोनों रणनीतियों को एक साथ उपयोग करने से आप अपनी ट्रेडिंग को संतुलित तरीके से लाभदायक बना सकते हैं।

    इस रणनीति में ट्रेडर मीन रिवर्जन इंडिकेटर का उपयोग करते हुए अल्पकालीन मूल्य के उतार-चढ़ाव से ही अधिक मुनाफा कमा सकता है। इसके साथ ही ट्रेंड फॉलोइंग इंडिकेटरों की सहायता से लंबे समय तक के लिए उस स्टॉक की प्रवृत्ति को समझते हुए, स्टॉक में बना रह सकता है।

    ताकि उसे इन दोनों स्थितियों में भी बाजार का अधिक लाभ मिल सके, लेकिन हां इस रणनीति में भी उस ट्रेडर को थोड़ी कठिनाई हो सकती है। इसीलिए ट्रेडर को अपने रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो को सही तरीके से लागू करते हुए ट्रेडिंग करने का प्रयास करना होगा।

सारांश (Conclusion)

इस लेख में हमने मीन रिवर्जन रणनीति (Mean Reversion Trading Strategy Guide) को समझाते हुए यह बताने का प्रयास किया है कि, मीन रिवर्जन रणनीति आखिर में होती क्या है? इसके साथ ही एक ट्रेडर इस रणनीति का उपयोग (How to implement) करने से पहले किस प्रकार की मानसिकता का उपयोग करता है। ताकि उसे अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके।

इसके साथ ही हमने यह भी समझाया है कि, मीन रिवर्जन रणनीति को स्टेप बाय स्टेप किस तरीके से आप लागू करते हुए ट्रेडिंग कर सकते हैं? तथा अन्य टेक्निकल इंडिकेटर जैसे कि, मोमेंटम ट्रेडिंग तथा ट्रेंड फॉलोइंग इन दोनों किस संयोजन से किस प्रकार की अलग रणनीति से आप अधिक से अधिक लाभ कमा सकते हैं।

इस रणनीति से अगर आपको थोड़ी बहुत भी ट्रेडिंग के दौरान मदद मिली हो, तो कृपया करके इस लेख को अपने सभी ट्रेड दोस्तों के साथ अधिक से अधिक साझा करने का प्रयास करें।

धन्यवाद।

राहुल कुमार सोनी

राहुल कुमार सोनी एक वित्तीय बाजार लेखक हैं, जिन्हें शेयर बाजार, ट्रेडिंग और निवेश में 6 साल से अधिक का अनुभव है। वह बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग में ऑनर्स डिग्री के साथ एक बाजार निवेशक भी हैं।

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