इस लेख में share market tax rule की पूरी जानकारी तथा शेयर बाजार में टैक्स की क्या भूमिका है। इन सभी प्रकार के सवाल के जबाब विस्तृत रूप से आपको इस लेख में मिलेगी। मान लीजिए कि, अगर आप बिना टैक्स की जानकारी के शेयर मार्केट में निवेश करते हैं और लाभ प्राप्त करते हैं, लेकिन टैक्स नहीं दे पाते है।
क्योंकि इसकी विस्तृत जानकारी आपके पास है ही नहीं। आप टैक्स नहीं भरेंगे तो इनकम टैक्स वाले आपके घर में एक नोटिस भेज सकते हैं उसके बाद आपको उसे टैक्स की भरपाई हर हाल में करनी होगी। share market tax rule in hindi में आपको सरल तरीके से स्टेप बाय स्टेप बताने वाले है।
➡️ इनकम टैक्स के प्रकार (Types of income tax)
शेयर बाजार में शेयर बाजार में इनकम टैक्स के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं जिसमें पहले है कंट्रोलेबल टैक्स और दूसरा अनकंट्रोलेबल टैक्स।
कंट्रोलेबल टैक्स (Controllable taxes)
कंट्रोलेवल टैक्स जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है कि इस प्रकार का टैक्स हमारे कंट्रोल में होता है इसका मतलब यह है कि इस प्रकार के टैक्स को भरना या ना भरना दोनों ही हमारे कंट्रोल में होता है। कंट्रोल लेवल टैक्स का मुख्य प्रकार इनकम टैक्स ही होता है। शेयर मार्केट टैक्स रेट एक वास्तिवक टैक्स के रूप में आपको दिखाई देता है जिसे आपको paid करना ही होता है।
अनकंट्रोलेबल टैक्स (Uncontrollable Taxes)
अनकंट्रोलेबल टैक्स का सीधा सा मतलब यह होता है कि इस प्रकार के टैक्स को भरने के लिए सरकार या सेबी द्वारा भरा जा सकता है इसको भरने या ना भरने में रिटेल निवेशक या ट्रेड का कोई भी कंट्रोल नहीं होता है। इस प्रकार का टैक्स जब आप शेर को खरीदने या बेचते हैं इस समय यह टेक्स ऑटोमेटिक ही ट्रांजैक्शन के दौरान जुड़े हुए होते हैं। अनकंट्रोलेबल टैक्स का मुख्य प्रकार STT, SEBI TURNOVER FEES, EXCHANGE CHARGES, GST, STAMP DUTY इतियादि।
➡️ इनकम टैक्स स्लैब (share market tax slab hindi)
इनकम टैक्स स्लैब का मतलब यह है कि, आप शेयर बाजार से कितना पैसा कमाते हैं, उस हिसाब से आप जिस भी टैक्स स्लैब के अंदर आएंगे आपको इतने प्रतिशत का टैक्स भरना होगा। यहां हम चार्ट के माध्यम से फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए टैक्स स्लैब को समझाने का प्रयास किया है।
INCOME TAX SLAB | TAX RATE |
---|---|
Upto 3 Lakh | Nill |
3 Lakh To 7 Lakh | 5% |
7 Lakh To 10 Lakh | 10% |
10 Lakh To 12 Lakh | 15% |
12 Lakh To 15 Lakh | 20% |
More Than 15 Lakh | 30% |
➡️ भारत में शेयर लाभ पर कितना टैक्स लगता है (how much tax on share profit in india)
इस चार्ट के माध्यम से आपने समझा कि अगर आप किसी भी तरीके से पैसे कमाते है चाहे वह शेयर मार्केट हो या आपका खुद का व्यवसाय। आप साल भर में जितना भी पैसे कमाते है और उसके बाद जितना भी खर्च कर देते है उसको घटाकर जो भी पैसा आपके पास बचता है उसी अमाउंट पर ही आपको टैक्स देना होता है। इसके साथ ही आप जिस भी टैक्स स्लैब के भीतर आते है तो आपको उतने प्रतिशत का टैक्स भरना ही होगा।
फ्यूचर एंड ऑप्शन पर टैक्स (Tax on futures and options)
फ्यूचर एंड ऑप्शन करते समय आप जितना भी पैसा कमाते है तो उसमे आपको उतना ही टैक्स देना होता है जितना की आप किसी व्यापर में कमाते है। क्योकि फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग को इनकम टैक्स द्वारा बिज़नेस टैक्स के स्लैब में ही माना जाता है। आप जिस भी टैक्स स्लैब के भीतर आते होंगे उसी स्लैब के प्रतिशत के हिसाब से आपको टैक्स देना होगा।
इन्वेस्टमेंट पर टैक्स (Tax on investments)
शेयर बाजार में दो प्रकार के टैक्स आपके निवेश पर लगते है। अगर आप किसी कंपनी के शेयर को खरीदकर उसे 1 साल के भीतर ही बेच देते हो तो उसे Short-Term Capital Gains (STCG) के रूप में माना जाता है।
अगर आपने उसी शेयर को 1 साल से ज़्यदा समय तक के लिए निवेशित रहते हो तो उसे Long-Term Capital Gains (LTCG) के रूप में माना जाता है।
➡️ डिविडेंड पर टैक्स (Tax on Dividends)
जब भी कोई कंपनी अपने मुनाफ़े का कुछ हिस्सा अपने शेयर धारकों को बांटने का फैसला करती है। तो स्थिति को डिविडेंड कहा जाता है। ऐसे में वह शेयर धारक कंपनी से जितना भी लाभांश प्राप्त करता है। share market me tax kitna lagta hai इसकी व्यापक रूप से जानकारी आपको होना बहुत ही जरुरी होता है। उसे वार्षिक टैक्स स्लैब के हिसाब से उतने प्रतिशत का टैक्स लगाया जाएगा यदि आप ₹300000 से कम के मूल्य पर आय प्राप्त करते हैं तब आपको किसी भी प्रकार का भुगतान तो नहीं करना होगा
शेयर बाजार में लोगों के लिए डिविडेंड से पैसे कमाना एक महत्वपूर्ण साधन है। जब भी कोई कंपनी अपने शेयर धारकों को कंपनी से हुए मुनाफे को डिविडेंड के रूप में बनती है। तभी एक निवेशक के रूप में आपकी अतिरिक्त आय बन जाती है। डिविडेंड पर भी टैक्स का प्रावधान सेबी द्वारा बनाया गया है। जिसे आपके लिए समझना आवश्यक है। भारतीय टैक्स प्रणाली के अनुसार शेयर धारकों को मिले डिविडेंड पर टैक्स दो प्रकार से लगाए जाते हैं। जिसमें पहले कंपनी स्तर पर और दूसरा निवेदक स्तर पर।
पहले स्तर की बात करें तो इस समय पहले कंपनी अपने लाभांश को बांटने के लिए एक विशेष टैक्स का भुगतान करती है। जिसे डिविडेंड डिसटीब्यूशन टैक्स के रूप में जाना जाता है। लेकिन 2020 में डिविडेंड डिसटीब्यूशन टैक्स के नियम में बदलाव किया गया। जिसके बाद अब कंपनियों को डिविडेंड डिसटीब्यूशन टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ता है। इसके बजाय इस प्रकार के डिविडेंड सीधे तरीके से निवेशकों के व्यक्तिगत इनकम टैक्स के दायरे में माना जाता है।इसका मतलब यह होता है कि, जो भी व्यक्ति अपने निवेशित कंपनी द्वारा डिविडेंड प्राप्त करेगा। उस व्यक्ति को अपनी कुल आय के साथइस डिविडेंड को जोड़कर ही अपने इनकम टैक्स का निर्धारण करना होगा।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए अगर किसी निवेशक की एक वित्तीय वर्ष में ₹5000 से ज्यादा का डिविडेंड मिलता है तब ऐसी स्थिति में निवेशक को अपने आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स देना ही होगा। अगर उस व्यक्ति की कुल आयकर स्लैब 20% है तो उस डिविडेंड पर भी इसी दर के हिसाब से टैक्स देना होगा। डिविडेंड पर टैक्स की गणना सीधे तरीके से निवेशक की कुल आय पर ही निर्भर होती है।
इसके अलावा यदि कोई विदेशी निवेशक है तो उसे डिविडेंड पर टैक्स अलग प्रकार से देनी होगी। जो भारत सरकार और उस विदेशी निवेशक के देश के बीच संधि पर निर्भर करती है। कभी-कभी विदेशी टैक्स की दरें कम भी हो सकती है जिसकी वजह से विदेशी निवेशकों को अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है।
➡️ स्टाम्प ड्यूटी टैक्स (Stamp Duty Tax)
शेयर बाजार में जब भी किसी शेयर की खरीद या बिक्री पर टैक्स की बात आती है तब उसमें सबसे पहला नाम स्टाम्प ड्यूटी का होता है जब भी आप किसी शेयर को खरीदते या बेचते हैं तो स्थिति में स्टांप ड्यूटी का उपयोग स्वचालित रूप से करते हैं, आपके लेनदेन पर लागू हो जाता है स्टाम्प ड्यूटी मुख्य रूप से भारत सरकार द्वारे शेयर की खरीददारी करने वाले से वसूला जाता है स्टाम्प ड्यूटी न्यूनतम मूल्य 0.015% होती है
स्टाम्प ड्यूटी का उद्देश्य न केवल सरकार के राजस्व को बढ़ाना है, बल्कि यह वित्तीय लेन-देन की वैधता को भी सुनिश्चित करता है। इस कर के माध्यम से, सरकार निवेशकों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करती है, जो कि निवेश संबंधी विवादों को सुलझाने में मददगार हो सकता है।
शेयर बाजार में जब शेयर की खरीदारी करते हैं तब आपको उसे पर स्टांप ड्यूटीभी निश्चित रूप से निर्धारित होती है। जब कोई निवेशक ₹100000 के शेयर खरीदना है तब उसको उस पर 0.1 प्रतिशत की स्टांप ड्यूटी लगाई जाती है मतलब कि, उसे ₹100000 के शेयर खरीदने पर ₹100 का टैक्स देना होगा। स्टांप ड्यूटी टैक्स न केवल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर ही लगाया जाता है बल्कि इसे डीमैट खातों पर भी लागू किया जाता है।
शेयर बाजार में स्टांप ड्यूटी टैक्स एक अनिवार्य शुल्क माना जाता है। इसीलिए निवेशको को यह ध्यान रखना चाहिए कि, शेयर की खरीदारी के समय उसे 0.1 प्रतिशत का स्टांप ड्यूटी टैक्स भी देना होगा।
➡️ टीडीएस (TDS) का महत्व (Importance of TDS)
शेयर बाजार में जब भी कोई व्यक्ति एक वित्त वर्ष में मात्रा लाभांश से उसकी आय कुल 5000 या इससे ज्यादा होती है तब लाभांश प्रदान करने वाली कंपनी 10% के हिसाब से आपके ऊपर टीडीएस (TDS) चार्ज करते हैं लेकिन जब कोई शेर धारक द्वार उसकी आमदनी लाभांश के रूप में ₹5000 से कम होती है तब ऐसी स्थिति में शेयरधारक द्वारा आईटीआर फाइल करने के बाद पैसा वापस कर दिया जाता है
➡️ ट्रेडिंग लाभ पर आयकर (income tax on share trading profit in india 2024)
Short-Term Capital Gains (STCG) पर इनकम टैक्स।
STCG के अंतर्गत अगर आपने किसी शेयर को ख़रीदा और उसे साल भर के अंदर ही बेच दिया तो आपको उस लाभ पर 20 प्रतिशत का टैक्स देना होगा।
उदाहरण के लिए,
मान लीजिये कि, आपने किसी कंपनी के 1 शेयर को 1000 रुपए के भाव पर ख़रीदा और उसे 1 साल के अंदर 1500 रुपए में बेच दिया। तो ऐसी स्थिति में आपको 1500-1000 = 500 रुपए का लाभ प्राप्त हुआ। तब आपको लाभ के 500 रुपए पर 20% टैक्स यानि कि 100 रुपए देना होगा।
Long-Term Capital Gains (STCG) पर इनकम टैक्स।
जब भी आप किसी शेयर को लॉन्ग टर्म के लिए मतलब कि 1 साल से अधिक समय तक के लिए निवेशित रहते है उसके बाद अगर आप लाभ प्राप्त करके उस शेयर को बेच देते है तो आपको उस लाभ पर सिर्फ 12.50% का ही टैक्स देना होता है।
लेकिन जब आपके लाभ का मूल्य 1 लाख 25 हज़ार रुपए से कम होता है तब आपको कोई भी इनकम टैक्स देने की आवश्यकता नहीं होती है।
उदाहरण के लिए,
मान लीजिए कि, आपने किसी शेयर को 1000 रुपए मे ख़रीदा और उसे 1 साल के बाद 1500 रुपए मे बेच दिया। जिसके बाद आपको 500 रुपए का लाभ प्राप्त हुआ। जिसका 12.50% यानि कि 62.50 रुपए आपको टैक्स के रूप मे देना होगा।
➡️ सारांश (Summary)
इस लेख के माध्यम से हमने आपको सभी प्रकार के share market tax rule चाहे भले ही वह इंट्राडे, फ्यूचर एंड ऑप्शन इत्यादि पर विस्तार से उदाहरण सहित समझाने का प्रयास किया है। शे यर बाजार में जब भी आपको अगर टैक्स की अधिक जानकारी ना होने की स्थिति में आपको अपने फाइनेंसियल एडवाइज़र की सलाह या किसी चाटर्ड अकाउंटेंट (CA) की सलाह ले सकते है। लेकिन आप इस ब्लॉग के माध्यम से अपने फाइनेंसियल निर्णय को मैनेज करने के लिए एक सीख मिल सकती है। share market tax details को बड़ी ही बारीकी से तथा आसान भाषा में आपको समझाने का प्रयास अगर आपको अच्छा लगा हो तो कृपया इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करे।
➡️ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q.1 शेयर मार्केट से कितनी कमाई टैक्स फ्री है?
इक्विटी शेयरों पर LTCG के लिए छूट की सीमा 1 लाख रुपये है, भले ही आप शेयर को ख़रीदे या बेचे दोनों के समय STT(सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स) का भुगतान किया गया हो। लेकिन इस वित्त वर्ष 2024-25 में यह सीमा बढ़ाकर 1 लाख 25000 रुपये कर दी गई है।
Q.2 शेयर बेचने पर कितना जीएसटी लगता है?
जब भी आप किसी कंपनी के शेयर को बेचते है तो आपको 18 प्रतिशत का टैक्स भरना होता है।
Q.3 शेयरों पर कितना टैक्स काटा जाता है?
शेयर बाजार में टैक्स को आयकर अधिनियम 1961 के तहत सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर पर 15% कर दर लागू है, जिसमें अधिभार + उपकर शामिल नहीं है।
Q.4 इंट्राडे ट्रेडिंग पर कितना टैक्स लगता है?
इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान जो भी लाभ प्राप्त होता है उस लाभ को बिज़नेस इनकम स्लैब के रूप में ही माना जाता है। आयकर अधिनियम की धारा 43 (5) के अनुसार, इंट्राडे ट्रेडिंग में 2 करोड़ रुपए तक की सीमा तक कुल टर्नओवर के 6% पर टैक्स लगाया जाता है, चाहे वह लाभ हो या हानि हो।
Q.5 शेयर ट्रेडिंग के लिए इनकम टैक्स कैसे फाइल करें?
शेयर ट्रेडिंग के लिए इनकम टैक्स फाइल करने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स के जरिये ITR FILE करें।
- ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाएं।
- ITR फाइल करें।
- आकलन वर्ष (AY 2024-25) चुनें।
- ITR फॉर्म चुनें।
- ट्रेडिंग आय के लिए ITR-3 फाइल करे।
Q.6 शेयर मार्केट में कितना प्रॉफिट टैक्स फ्री है?
शेयर मार्केट में जब आप किसी शेयर को 1 साल के अंदर ही अपने शेयर को बेच देते है। तब आपको टैक्स जरूर देना ही होगा। लेकिन अगर आप 1 साल के अधिक समय तक शेयर को होल्ड करने के बाद बेचते है। तो आपको 1 लाख 25000 रुपए तक के लाभ पर किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लगेगा।
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