हेलो दोस्तों, आप जब भी अपना पैसा शेयर मार्केट में निवेश करते है। तो आपको यह डर बना रहता होगा कि आखिर मुझे कितना रिटर्न्स प्राप्त होंगे। मैंने जिस कंपनी पर अपना पैसा लगाया है उस “company ke fundamental kaise check kare” क्या वह भविष्य में अच्छा मजबूत या उसके भाव बढ़ेंगे या नहीं। ऐसे न जाने कितने ही सवाल होंगे आपके मन में। इन्ही सब प्रश्नो को दूर करने के लिए हमने आपको इस लेख में 6 आसान तरीके बताये हुए है।
अगर आप लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग करना चाहते हैं तो वहां पर आपको एक स्टॉक का फंडामेंटल एनालिसिस करना होता है।आपको अपने आप से पूछना है कि इस इंडस्ट्री में अपॉर्चुनिटी क्या-क्या हैं, क्योंकि मान लीजिए अगर आप किसी ऐसी इंडस्ट्री में इन्वेस्ट कर देते हैं जो कि डिक्लाइंग फेज में चल रही है तो वहां पर आप चाहे कितना ही अच्छा स्टॉक में इन्वेस्ट कर दें ले लेकिन वो इंडस्ट्री ही धीरे-धीरे खत्म हो रही है तो वहां पर आपका पैसा ग्रो ही नहीं कर सकता। तो इसलिए आपको यह देखना होता है कि वो इंडस्ट्री कौन सी स्टेज में चल रही है।
company ke fundamental kaise check kare – पहचाने 6 आसान तरीक़ों से।
1) सर्वकालिक ग्राफ।
सर्वकालिक ग्राफ का मतलब होता है कि किसी भी कंपनी का शुरुआत से लेकर आज तक का प्रदर्शन एक ग्राफ के रूप में अध्यन ही सर्वकालिक ग्राफ कहलाता है। इस ग्राफ को देखने के लिए आपको गूगल में जाकर सम्बंधित कंपनी के नाम के साथ शेयर प्राइस डालकर सर्च करना होता है।
उसके बाद आपको ग्राफ वाले सेक्शन में जाकर मैक्सिमम वाले ऑपशन का चयन करना है। इसके बाद आपको उस कंपनी के मूल्यों का विस्तृत रूप से ग्राफ दिख जायेगा। सर्वकालिक ग्राफ को देखने के बाद यदि आपको यह दिखता है कि शेयर का भाव शुरुआत से आज तक ऊपर की ओर बढ़ता ही चला जा रहा है।
तो यह उस कंपनी के लिए पॉजिटिव संकेत होते है। अतः आप निवेश कर सकते है। इसके विपरीत अगर सर्वकालिक ग्राफ नीचे की ओर आता हुआ प्रतीत हो तो इससे यह सिद्ध होता है कि कंपनी में कोई ग्रोथ नहीं हो रही है। जो कि एक नकारात्मक संकेत होता है। इसलिए आपको सम्बंधित कंपनी में निवेश करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
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2) प्रमोटर की न्यूनतम 50% हिस्सेदारी।
प्रमोटर की न्यूनतम 50% हिस्सेदारी का मतलब यह होता है कि उस कंपनी के प्रमोटर की कम से कम 50 प्रतिशत की मालिकाना हिस्सेदारी का होना। किसी कंपनी में प्रमोटर के उपस्थिति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। प्रमोटर ही कंपनी की शुरुआत करते है।
इसलिए उनका कंपनी में अच्छी खासी प्रतिशत में हिस्सेदारी का होना ही इस बात का प्रमाण होता है कि प्रमोटर कितना विश्वास रखते है अपने कंपनी के फ्यूचर ग्रोथ हो लेकर। प्रमोटर की न्यूनतम 50% हिस्सेदारी रहती है तो प्रमोटर खुद बहुत मेहनत कर सकता है कंपनी के विकास के लिए। क्योकि जब भी कंपनी में ग्रोथ होगा तो सबसे ज़्यदा लाभ प्रमोटर को ही होगा।
इसके विपरीत अगर कंपनी डूबेगी तो सबसे ज़्यदा नुक्सान भी प्रमोटर को ही होगा। लेकिन वह ऐसा होने नहीं देगा। कंपनी के प्रमोटर की हिस्सेदारी को पता करने के लिए आपको सबसे पहले गूगल पर screener.in सर्च करना होता है यह वेबसाइट किसी स्टॉक्स को एनालिसिस करने पर आप देखेंगे कि उस कंपनी के प्रमोटर होल्डिंग की भी जानकारी प्राप्त होती हैं
3) जब प्रमोटर अपना शेयर बेचते हैं।
आपको इस बात का खास ख्याल रखना होगा कि कही प्रमोटर धीरे धीरे अपने खुद की कंपनी के शेयर बेच तो नहीं रहा है। अगर ऐसा आपको दिखाई दे रहा है की प्रमोटर थोडा थोड़ा करके अपने हिस्सेदारी को कम कर रहा है। तो ऐसी कंपनी को खरीदने या लम्बे समय तक निवेशित नहीं रहना चाहिए।
ऐसा होना इस बात प्रमाण है कि प्रमोटर को अपने कंपनी, मैनेजमेंट और फ्यूचर ग्रोथ में शंका है। इसलिए वह अपने शेयर को बेचकर भविष्य में होने वाले नुक्सान से बचना चाहता है। लेकिन अगर कम प्रतिशत में प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी बेच रहा है तो ऐसा भी हो सकता है कि वह किसी इनोवेशन में या फिर कर्ज को कम करके कंपनी को एक नयी राह दिखाने की कोसिस कर रहा हो। इसलिए निवेश से पहले अपने फाइनेंसियल एडवाइजर की सलाह जरूर ले।
प्रमोटर के शेयर होलिंग को चेक करने के लिए आपको फिर से गूगल में जाकर screener.in में जाकर कंपनी का नाम डाले उसके पश्चात शेयर होल्डिंग पैटर्न में जाकर आप हिस्ट्री का अवलोकन करे। देखे कि प्रत्येक क्वार्टर में प्रमोटर की हिस्सेदारी कम तो नहीं हो रही है।
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4) कर्ज।
आपको यह मालूम होना चाहिए कि आप जिस कंपनी में निवेशित है। उस कंपनी के ऊपर कर्ज कितना है। जब आप कम कर्ज वाली कंपनी में निवेश करते है तो इससे कंपनी के ऊपर ब्याज का कोई चिंता नहीं रहता जिसके साथ ही कंपनी अपने फ्यूचर के ग्रोथ के बारे में बड़े बड़े कदम उठा सकती है।
कंपनी के लिए कर्ज लेना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन जब इस कर्ज का भुगतान करने में कंपनी असमर्थ रहती है तो बड़ी गिरावट देखि जा सकती है कंपनी के भाव और ग्रोथ में। वर्ष दर वर्ष अगर लोन बढ़ता ही जा रहा है तो यह और चिंता का विषय हो सकता है।
इसे पता करने के लिए आपको दुबारा गूगल में जाकर screener.in सर्च करना है फिर कंपनी का नाम डालकर नीचे बैलेंस शीट वाले सेक्शन में जाकर बोर्रोविंग्स को आपको देखना है कि क्या शुरुआत से बोर्रोविंग्स बढ़ रहा है या कम हो रहा है। अगर बढ़ रहा है इसका मतलब कर्ज बढ़ता ही जा रहा है। जो कि एक चिंताजनक बात है।
5) FIIS और म्यूच्यूअल फण्ड होल्डिंग।
यह बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है आपको यह भी पता होना चाहिए कि क्या कंपनी को FIIS और म्यूच्यूअल फंड्स ने अपनी हिस्सेदारी रखी है या नहीं। क्योकि FIIS और म्यूच्यूअल फंड्स की होल्डिंग्स ऐसी कंपनियों के साथ होती है जिनके ऊपर इनका और इनके मैनेजमेंट का भरोसा होता है।
वह किसी भी कंपनी में निवेश से पहले अपनी खूब रिसर्च करते है क्योकि उनके पास लाखो करोडो लोगो का पैसा होता है जिसे उन्हें सावधानी पूर्वक निवेश करना होता है। इसे भी आप वैसे ही चेक कर सकते है। जिसमे आपको शेयर होल्डिंग पैटर्न्स के अंदर आपको FIIS और म्यूच्यूअल फण्ड कम्पनियो द्वारा निवेशित प्रतिशत को दर्शाया गया होता है। अगर इसका हिस्सेदारी प्रतिशत अधिक है तो यह बहुत सकारात्मक बात है कंपनी के लिए।
6) मूल्य आय अनुपात।
मूल्य आय अनुपात आपको यह बताता है कि किसी शेयर का भाव लगभग इस भाव के आसपास ही होने चाहिए। आप इसे इस तरीके से समझे कि जैसे आपको कोई मोबाइल चाहिए तो आपको पता होता है कि इस मोबाइल का भाव लगभग इतना होना चाहिए। ऐसा ही होता है,शेयर माकेट में। जब भी आप किसी शेयर को खरीदने का सोच रहे हो।
तब आपको यह ध्यान रखना होगा कि उस कंपनी का मूल्य आय अनुपात 20 या 20 से कम होना चाहिए। यह मान एक कंपनी को खरीदने के लिए आदर्श माना जाता है। अगर किसी कंपनी का मूल्य आय अनुपात 20 से अधिक है तो इसका मतलब है कि वह कंपनी महंगे भाव पर चल रहा है।
20 से अधिक मूल्य आय अनुपात वाले शेयर को खरीदने से पहले आपको उस सेक्टर के और बाकी कंपनियों के मूल्य आय अनुपात को भी चेक करना होगा। 20 से अधिक मूल्य आय अनुपात वाले शेयर महंगे तो होते ही है लेकिन जब भी मार्केट में गिरावट होगी तो ऐसे शेयर अपने सेक्टर से सम्बंधित बाकी कम्पनियो की तुलना में ज़्यादा गिरावट होती है।
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निष्कर्ष।
इस लेख में हमने बताया कि किसी कंपनी के फंडामेंटल कैसे चेक करें। हमने आपको उदाहरण सहित समझने का प्रयास किया कि किसी भी शेयर को खरीदने से पहले आप इन 5 मुख्य फंडामेंटल एनालिसिस बिन्दुओ पर घ्यान जरूर दे। ताकि आपका पैसा एक अच्छे से रिसर्च किये हुए कंपनी के दायरे में आये जिससे आपको अपने शेयर पर गिरावट के समय भी भरोसा बना रहेगा। जिससे आप लम्बे समय तक निवेशित रहकर शेयर मार्केट से खूब लाभ कमाए।
FAQ
Q.1 शेयर खरीदने से पहले क्या देखना चाहिए?
किसी भी शेयर को खरीदने से पहले आपको निम्नलिखित बातो को ध्यान में रखना चाहिए।
- सर्वकालिक ग्राफ जो कि आपको कंपनी की शुरुआत से आज तक के भाव का ग्राफीय रूपांन्तरण बताता है।
- प्रमोटर की न्यूनतम 50% हिस्सेदारी से ज्यादा होना चाहिए।
- क्या प्रमोटर अपना शेयर बेच तो नहीं रहा हैं। इस बात का खास ख्याल रखे।
- कंपनी अपने कर्ज का भुगतान समय समय पर कर रही है या नहीं।
- FIIS और म्यूच्यूअल फण्ड होल्डिंग जितना ज्यादा हो उतना ही मजबूत माना जाता है।
- कंपनी का मूल्य आय अनुपात 20 से कम होना चाहिए।
Q.2 कंपनी का फंडामेंटल क्या होता है?
किसी कंपनी का फंडामेंटल उस कंपनी के मैनेजमेंट, फ्यूचर ग्रोथ, मूल्य आय अनुपात, बोर्रोविंग्स की जानकारी इतियादी के बारे में अध्यन फंडामेंटल कहलाता है।
Q.3 आपको कैसे पता चलेगा कि शेयर की कीमत बढ़ेगी या घटेगी?
शेयर की कीमत बढ़ेगी या घटेगी इसका सटीक अंदाजा आप उस कंपनी के ग्रोथ, उस सेक्टर के ट्रेंड, अमेरिकी बाजार के रुझान तथा बाजार के सेंटीमेंट से लगा सकते है। तिमाही फाइनेंसियल रिपोर्ट के आधार पर भी आप कंपनी के भाव का अंदाज़ा लगा सकते है।
Q.4 शेयर खरीदने का सही तरीका क्या है?
किसी भी शेयर को ख़रीदने का एकदम सही तरीका यह है कि आप अगर उस शेयर को लम्बे समय तक के लिए इनवेस्टेड रहना चाहते है तो आप उस कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करके ही शेयर को ख़रीदे। इसके विपरीत अगर आपका इन्वेस्टमेंट का समय छणिक मात्र भर का है। तो आपको उसका तकनीकी विश्लेषण कर के ही शेयर को खरीदना चाहिए।
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