most successful swing trading strategy in hindi

सुरक्षित 5 most successful swing trading strategy in hindi

Intraday Trading Strategy

स्विंग ट्रेडिंग मे उपयोग होने वाले most successful swing trading strategy in hindi तथा स्विंग ट्रेडर्स को हम इस लेख के माध्यम से मुख्य 5 नियमों को विस्तार से समझाने वाले है। इस लेख में हमने एक ऐसे विधि को विस्तार से समझाने का प्रयास किया है जिसकी मदद से आप निश्चित रूप से 25000 रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते है।

Table of Contents

Swing Trading क्या होता है?

Best swing trading techniques
Best swing trading techniques

स्विंग ट्रेडिंग के अंदर एक ऐसी रणनीति होती है, जो ट्रेडिंग के दौरान एक ट्रेडर को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक किसी भी स्टॉक को खरीदकर अपने पास रखते हुए लाभ या हानि को बुक किया जाता है। स्विंग ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य, शेयर के कीमतों में होने वाले छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव का लाभ उठाकर अपने ट्रेडिंग को सफल बनाना होता है।

स्विंग ट्रेडर्स टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करते हुए, मजबूती से अपनी पोजीशन बनाकर रखते हैं। वे चार्ट और इंडिकेटर के माध्यम से यह जानने का प्रयास करते हैं कि, कब उस शेयर को खरीदना या फिर कब बेचना है? स्विंग ट्रेडिंग ऐसे लोगों के लिए सबसे बेहतर होता है, जो रोजाना ट्रेडिंग में अपना समय नहीं दे सकते हैं।

लेकिन फिर भी एक सफल स्विंग ट्रेडर शेयर बाजार में होने वाले ऐसे अवसरों को लाभ में बदलना चाहते हैं। ताकि उन्हें उनके प्रोफेशनल काम के साथ-साथ अलग से भी लाभ कमाने का एक अवसर मिले। जिसकी वजह से वह अपनी पूंजी को बढ़ा सकता है।

इसके अलावा स्विंग ट्रेडिंग में कम जोखिम के साथ तथा अपनी जोखिम प्रबंधन रणनीति को बनाते हुए, कोई भी ट्रेडर, अपने नुकसान को काफी हद तक कम कर सकता है। बल्कि आपको लगातार अपने ट्रेडिंग स्ट्रेटजी की बैक टेस्टिंग करते रहनी चाहिए।

स्विंग ट्रेडिंग ही क्यों चुने(Difference between swing trading and other trading styles?)

Swing trading strategies in Hindi
Swing trading strategies in Hindi

स्विंग ट्रेडिंग ही क्यों चुने? यह सवाल अक्सर आपके मन में पैदा होते होंगे क्योंकि स्विंग ट्रेडिंग और अन्य जितनी भी ट्रेडिंग शैली होती है। उनमें और स्विंग ट्रेडिंग में जमीन आसमान का फर्क होता है। स्विंग ट्रेडिंग में ट्रेडर्स को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक का समय मिल जाता है। जिसके अंतराल में बाजार के उतार-चढ़ाव का ज्यादा प्रभाव उसकी ट्रेडिंग पर नहीं पड़ता। लेकिन अगर आप डे ट्रेडिंग करते हैं, तो उसकी कंडीशन होती है कि, आपको आज के दिन ही इस शेयर्स का लेन-देन करना होगा।

अगर आपने शेयर को खरीद रखा है। तो आपको आज के दिन के समाप्त होने से पहले ही आपको इस शेयर को बचना होगा। जिसकी वजह से बाजार के तात्कालिक उतार-चढ़ाव पर डे ट्रेडर्स को निर्भर रहना होता है। वहीं दूसरी तरफ, जब आप लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग प्लान में एक निवेशक की तरह रहने का प्रयास करते हैं, तब ऐसी स्थिति में आपको इस स्टॉक को कई महीनों या कुछ वर्षों तक के लिए होल्ड करना पड़ सकता है।

जिसकी वजह से उस कंपनी की लॉन्ग टर्म संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, आपको लाभ के मौके मिलते हैं। स्विंग ट्रेडिंग एक प्रकार से मध्यवर्ती दृष्टिकोण के साथ कार्य करता है, लेकिन डे ट्रेडिंग के दौरान आपको तुरंत ही फैसले लेने पड़ते हैं। इसके साथ ही अगर आप लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर हैं, तब ऐसी स्थिति में आप दीर्घकाल के तत्वों को ध्यान में रखते हुए ट्रेडिंग करना होता है।

स्विंग ट्रेडिंग की विशेषताएँ (Characteristics of Swing Trading)

स्विंग ट्रेडिंग की कुछ ऐसी विशेषताएं हैं, जो इस ट्रेडिंग रणनीति को अन्य जितने भी प्रकार की ट्रेडिंग शैलियां होती हैं उनसे अलग करती है। स्विंग ट्रेडिंग के दौरान आमतौर पर एक ट्रेडर को कुछ समय मिल जाता है। ताकि वह इस स्टॉक को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक होल्ड कर सकें। जिसकी वजह से ट्रेडर को शेयर बाजार मे उतार-चढ़ाव के दौरान मुनाफे को एकत्रित करने का अवसर मिलता है।

अगर हम डे रेटिंग की तुलना करें स्विंग ट्रेडिंग से। तो इसमें निर्णय लेने का जो समय होता है वह डे ट्रेडिंग के मुकाबले अधिक होता है। जिससे ट्रेडर्स को काफी कम तनाव का अनुभव करना पड़ता है। वहीं अगर हम डे ट्रेडर्स की बात करें तो उनके ऊपर शेयर को आज ही खरीद कर आज ही बेचने का तनाव होता है। स्विंग ट्रेडिंग इसलिए लाभदायक होती है, क्योंकि यह एक ट्रेडर को किसी स्टॉक के छोटे-छोटे मूल्य में परिवर्तनों पर ध्यान को केंद्रित करने का मौके प्रदान करती है, ताकि वे छोटे लेकिन लगातार लाभ को प्राप्त कर सकें।

स्विंग ट्रेडिंग के दौरान आप बाजार को किसी भी परिस्थिति के अनुसार अपनी खुद की रणनीतियों को समायोजित करने की सुविधा मिल जाती है। जो उन्हें सही निर्णय लेने की आजादी को प्रदर्शित करती है। स्विंग ट्रेडिंग में आपके पास अधिक पूंजी हो यह अनिवार्य नहीं होता है, क्योंकि स्विंग ट्रेडिंग में आप बहुत ही कम पूंजी से शुरुआत कर सकते है।

जिसकी वजह से नए ट्रेडर्स के लिए भी यह एक अच्छा विकल्प हो जाता है, कि जब आपके पास शुरुआत में कम अनुभव तथा कम पूंजी भी हो, तब ऐसी स्थिति में आप स्विंग ट्रेडिंग की ओर देख सकते हैं। स्विंग ट्रेडिंग के दौरान आपको यह आजादी भी मिलती है कि, आप टेक्निकल एनालिसिस करते हुए चार्ट पेटर्न और इंडिकेटर का उपयोग करके सही समय पर अपने अनुभवों का इस्तेमाल करके बेहतर निर्णय ले सकें।

सफल स्विंग ट्रेडिंग के प्रमुख 5 स्ट्रेटजी (most successful swing trading strategy in hindi)

स्विंग ट्रेडिंग के नियम तथा रणनीति को विस्तार से चर्चा करने से पहले आप यह समझ लीजिए कि, ट्रेडर्स को मार्केट के ट्रेंड को समझना भी आवश्यक होता है। ट्रेंड के अनुसार स्विंग ट्रेडिंग करना, अधिक लाभकारी होता है। क्योंकि इसमें सही एंट्री और सही एग्जिट का चुनाव करना आसन तथा जरूरी होता है। इसके साथ ही आप टेक्निकल एनालिसिस और चार्ट पेटर्न का उपयोग करते हुए आप ट्रेडिंग के सही संभावनाओं को पहचान सकते हैं।

स्विंग ट्रेडर को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि, उसका जोखिम प्रबंधन अच्छे तरीके से कारगर है या नहीं। ट्रेडर्स को अपनी पूंजी का केवल एक छोटा-सा ही हिस्सा निवेश करना चाहिए। इसके साथ-साथ आपको अपनी भावनाओं को भी नियंत्रण में रखना पड़ेगा और धैर्य तथा अनुशासन बनाए रखते हुए अपने सफलता की इस यात्रा को लाभ के साथ बदलना होगा। धैर्य, अनुशासन बनाए रखना शेयर बाजार में अति आवश्यक होता है। आपको नियमित रूप से अपने ट्रेडिंग के प्रदर्शन को बार-बार विश्लेषण करना और रणनीति को अपडेट करते रहना होगा। निम्नलिखित नियमों का पालन करके स्विंग ट्रेडर अच्छी तथा अधिक सफलता को प्राप्तकरेगा।

  1. तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis)

    स्विंग ट्रेडिंग के दौरान आपको टेक्निकल एनालिसिस करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसके अंतर्गत आप किसी स्टॉक के चार्ट्स बन रहे पेटर्न्स तथा टेक्निकल इंडिकेटर्स का उपयोग करते हुए स्टॉक के भविष्य में होने वाले भाव का पता लगाया जा सके। एक स्विंग ट्रेडर को कैंडलेस्टिक पेटर्न जैसे कि, डबल टॉप, डबल बॉटम, हेड एंड शोल्डर इत्यादि का ज्ञान होना आवश्यक होता है

    इसके साथ ही मूविंग एवरेज, RSI तथा MACD जैसे कुछ लोकप्रिय इंडिकेटरों का उपयोग करने का ज्ञान अवश्य होना चाहिए। सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को पहचानने के बाद ही आप यह आकलन कर सकते हैं कि, तुरंत आपको यह शेयर खरीदना चाहिए या नहीं। इसके साथ ही आप यह भी अनुमान लगा सकते हैं कि, जब सपोर्ट पर स्टॉक होता है या फिर रेजिस्टेंस पर, तो यह किस दिशा की ओर जा सकता है? ताकि आपको कम समय पर भी मुनाफा कमाने का अवसर मिल सके। इसीलिए आपको टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करते हुए ऐसे बिंदु की तलाश करना है जहां आप उस ट्रेड में एंट्री या एग्जिट लें सके।

  2. RSI (Relative Strength Index)

    स्विंग ट्रेडिंग के दौरान आपको RSI का भी उपयोग करके अपने ट्रेडिंग प्लान को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। स्विंग ट्रेडिंग में RSI का उपयोग उस स्टॉक की कीमत, गति तथा संभावित रूप से खरीदने या बेचने के संकेत का पता लगाया जा सकता है। RSI का मान 0 से लेकर 100 के बीच एक ग्राफ के रूप में होता है। जब किसी स्टॉक का RSI मान 70 से ऊपर हो जाता है तब ऐसे स्टॉक को ओवरबॉट तथा जब RSI का मान 30 से नीचे हो जाता है। तब ऐसे स्टॉक को ओवर सोल्ड स्थिति में माना जाता है। जब RSI का मान 70 के ऊपर हो जाता है, तो यह ऐसा संकेत प्रदान करता है कि, जिससे यह समझ आता है कि स्टॉक अभी ओवरबॉट जोन में स्थित है मतलब शेयर को बहुत ज्यादा स्थिति में खरीद लिया गया है।

    जिसकी वजह से बाजार में एक डर का माहौल बन जाता है। इसीलिए अब इस शेयर में गिरावट होने की संभावना अधिक होती है। जिसकी वजह से स्विंग ट्रेडर इसे बेचने का विचार कर रहे होते है। वहीं दूसरी ओर जब RSI का मान 30 के नीचे हो जाता है तो यह साफ-साफ यह दर्शाता है कि, स्टॉक में बेचने वालों की संख्या बहुत अधिक है। इस वजह से यह स्टॉक ओवर सोल्ड जोन में चला गया था। ज्यादा बिकवाली की वजह से शेयर का भाव काफी हद तक नीचे आ चुका है।

    मतलब की शेयर का भाव काफी गिर गया है यह देखते हुए नए निवेशको की संख्या में उछाल आ सकती है अर्थात खरीददारी के अवसर में बढ़ोतरी होने की पूर्ण संभावना है। इसीलिए स्विंग ट्रेडिंग के दौरान अगर आप RSI का भी उपयोग करते हैं तो इसकी वजह से ट्रेडिंग के दौरान आपको कब एंट्री और कब एग्जिट लेना है। ऐसे पॉइंट्स की सटीकता को मजबूती से जानने के लिए आपको RSI का उपयोग करना ही होता है, ताकि आप बेहतर निर्णय ले लेते हुए लाभ कमा सके।

  3. मूविंग एवरेज (Moving Averages)

    ट्रेडिंग के दौरान उस स्टॉक के कीमतों में आने वाले ट्रेंड्स को पहचानने के लिए तथा किस समय आपको इंट्री और किस समय एग्जिट लेना है, ऐसे पॉइंट्स का पता लगाने के लिए आपको मूविंग एवरेज का इस्तेमाल करना ही पड़ता है, क्योंकि मूविंग एवरेज एक ऐसे टेक्निकल इंडिकेटर के रूप में कार्य करता है, जो स्टॉक की कीमत को एक निश्चित समय के साथ प्रदर्शित करता है। मूविंग एवरेज दो प्रकार के होते हैं, सिंपल मूविंग एवरेज और एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेज। मूविंग एवरेज की सहायता से आप किसी स्टॉक की कीमत एक अप ट्रेड में है या डाउन ट्रेंड में इसका भी अनुसरण कर सकते हैं

    मान लीजिए कि, अगर किसी भी शेयर की कीमत मूविंग एवरेज के ऊपर चली जाती है। तो यह अपट्रेड का संकेत प्रदान करता है। जिसका अनुसरण करके स्विंग ट्रेडर्स शेयर को खरीदने का विचार करने लगते हैं और जब कीमत मूविंग एवरेज के नीचे हो जाता है तो इसे ही डाउन ट्रेड का संकेत माना जाता है। जो उस शेयर को बेच देने के लिए संकेत प्रदर्शित करता है। मूविंग एवरेज का उपयोग आप दो प्रकार से कर सकते हैं। जिसमें एक छोटी अवधि जैसे कि, 10 दिनों की तथा एक लंबी अवधि जैसे की 50 दिनों की (यह दोनों स्ट्रेटजी को क्रॉसओवर कहा जाता है।) का उपयोग करके अच्छे प्रॉफिट कमा सकते हैं। जब छोटी अवधि का मूविंग एवरेज एक लंबी अवधि के मूविंग एवरेज को नीचे से ऊपर की ओर काट देती है, तब इसे बुलिश क्रॉसओवर कहते हैं। जो एक खरीदारी का संकेत प्रदर्शित करता है। इसके विपरीत जब कोई छोटी अवधि का मूविंग एवरेज ऊपर से नीचे की ओर लंबी अवधि के मूविंग एवरेज को क्रॉस कर देती है तो इस स्थिति को बेयरिश क्रॉसओवर कहा जाता है। जो एक प्रकार से उसे शेयर को बेच देने का संकेत प्रदर्शित करता है।

  4. स्टोकास्टिक ओस्सीलेटर (Stochastic Oscillator)

    जब आप स्विंग ट्रेडिंग कर रहे होते हैं, तब आपको स्टोकास्टिक ऑस्किलेटर का उपयोग किसी भी स्टॉक के ओवरबॉट और ओवरसोल्ड की स्थितियों को पहचान करने में आपकी मदद कर सकता है। यह स्टोकास्टिक ऑस्किलेटर 0 से लेकर 100 के बीच के अंको से यह प्रदर्शित करता है कि, आपको कब उस स्टॉक में ट्रेडिंग की रणनीति को अपनाना है। मान लीजिए कि, स्टोकास्टिक ऑस्किलेटर का मान 80 से ऊपर की ओर होता है, तो यह उस शेयर के ओवरबॉट स्थिति को प्रदर्शित करता है। जिसकी वजह से उस शेयर के कीमत में गिरावट आ सकती है। इसी के विपरीत जब इसका मान 20 से नीचे होता है, तो यह ओवरसोल्ड स्थिति का संकेत प्रदर्शित करता है। जहां से स्टॉक की कीमत में उछाल आने की संभावना अधिक हो जाती है और खरीदारी का अवसर ट्रेडरों को मिल जाता है। स्विंग ट्रेडिंग के दौरान ट्रेडर्स इस स्टोकास्टिक ऑस्किलेटर का उपयोग करते हुए, बेहतर रूप से एंट्री तथा एग्जिट प्वाइंट की पहचान करने में सफल रहते हैं। जिससे उनके मुनाफा की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

  5. वॉल्यूम एनालिसिस (Volume Analysis)

    वॉल्यूम का एनालिसिस करना, स्विंग ट्रेडिंग या किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग में अधिक महत्वपूर्ण होता है। स्विंग ट्रेडिंग में वॉल्यूम के उपयोग से आप किसी भी स्टॉक की कीमतों में बदलाव के पीछे की कितनी ताकत और यह बदलाव कितने देर तक स्थिर रह सकता है इस बात का आपको मूल्यांकन करने में आपको आसानी रहती है। जब आप वॉल्यूम का एनालिसिस करते हैं, तब आपको यह पता चलता है कि, किसी विशेष समय की दौरान में कितने शेयर का लेन-देन किया गया है ताकि आपको यह समझने में आसानी हो कि बाजार में खरीदारों और बेचने वालों की रुचि किस प्रकार से है। जब किसी स्टॉक की कीमतें बढ़ जाती है और उसके साथ ही वॉल्यूम भी बढ़ जाता है तब यह एक मजबूत अब ट्रेंड का संकेत होता है।

    जिसकी वजह से स्विंग ट्रेडर्स ऐसे स्टॉक को खरीदने का अवसर मानते हैं। वहीं दूसरी ओर, यदि कीमत बढ़ रही होती है लेकिन वॉल्यूम घट रहा होता है। तो यह एक कमजोर अपट्रेंड के रूप में सिग्नल दे रहा होता है। ऐसी स्थिति में आपको कमजोर सिगनलों से अपनी ट्रेडिंग को दूर रखना है। इसी के विपरीत यदि स्टॉक की कीमत गिर रही होती है और वॉल्यूम बढ़ रहा होता है। तो यह एक मजबूत डाउनट्रेंड का संकेत माना जाता है। वॉल्यूम एनालिसिस का उपयोग से आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस दोनों स्तरों की जांच करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। वॉल्यूम के एनालिसिस का उपयोग करते हुए अधिक सटीकता के साथ उस स्टॉक में एंट्री और एग्जिट की पॉइंट्स की पहचान कर सकते हैं।

हर सप्ताह 25000 कमाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग कैसे करें।

most successful swing trading strategy in hindi
most successful swing trading strategy in hindi

स्विंग ट्रेडिंग को शुरू करने के लिए, सबसे पहले किसी भी ट्रेडर को ऐसे स्टॉक का चयन करना चाहिए, जो अच्छे वॉल्यूम और लिक्विडिटी के साथ ट्रेड हो रहे होते हैं। इसके साथ ही टेक्निकल एनालिसिस की अलग-अलग प्रकार के इंडिकेटर जैसे कि, मूविंग एवरेज, RSI तथा MACD के साथ-साथ चार्ट के पेटर्न्स को भी उपयोग करते हुए, ट्रेड की पहचान करने की कोशिश करनी चाहिए। स्विंग ट्रेडर्स ट्रेंड के अनुसार उस स्टॉक में एंट्री तथा एग्जिट के लिए सही समय का इंतजार करते हैं।

मान लीजिए, जब कोई स्टॉक ओवरबॉट या ओवरसोल्ड स्थिति में हो या फिर सपोर्ट और रेजिस्टेंस के लेवल के आसपास हो। तब ऐसी स्थिति में ट्रेड लेने से आपकी लाभ की संभावना अधिक रूप से बढ़ जाती है लेकिन हां जरूरी नहीं है कि, स्विंग ट्रेडिंग बल्कि किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग के दौरान आपको स्टॉप-लॉस का इस्तेमाल करते हुए ही ट्रेड लेना है। जिसकी वजह से आप अपनी जोखिम के प्रबंधन को काफी हद तक मजबूत बना सकते हैं।

इसके अलावा स्विंग ट्रेडर्स बाजार में चल रहे आज की खबरों और घटनाओं का भी ध्यान रखते हैं, ताकि स्टॉक की कीमतें जब इन खबरों की वजह से प्रभावित हो। तब ऐसी स्थिति में भी वे अधिक से अधिक लाभ कमा सके। स्विंग ट्रेडिंग में एक सटीक रणनीति और अनुशासन का पालन करते हुए कोई भी ट्रेडर्स बाजार आसानी से मुनाफा कमा सकता है।

एक सफल स्विंग ट्रेडिंग योजना कैसे बनाएं (How to Create a Successful Swing Trading Plan)

स्विंग ट्रेडिंग के दौरान एक सफल ट्रेडिंग योजना बनाना पूरी तरह से आपके अनुभव आपके व्यक्तिगत दृष्टिकोण तथा अनुशासन पर निर्भर करता है। यहां हम 3 मुख्य बिंदुओं के आधार पर एक सफल ट्रेडिंग योजना बनाने के लिए स्टेप्स बताए हुए हैं।

  • सही स्टॉक का चुनाव।

    जब आप स्विंग ट्रेडिंग के लिए किसी भी प्रकार के स्टॉक को चुनते हैं, तब आपको यह ध्यान रखना होता है कि, ज़्यादा वॉल्यूम वाले स्टॉक का चुनाव करें।

    ऐसे शेयर जिसम अधिक वॉल्यूम तथा अच्छी लिक्विडिटी उपलब्ध हो ताकि, आप यह सुनिश्चित कर पाए कि, कब आप स्टॉक को आसानी से खरीद या भेज सकें।

  • ट्रेडिंग जर्नल बनाने का प्रयास करें।

    प्रत्येक ट्रेडिंग के बाद उस ट्रेडिंग के अनुभवों को लिखते हुए, एक ट्रेडिंग जनरल बनाने का प्रयास करें। जिसमें आप यह रिकॉर्ड कर सकें कि, प्रत्येक ट्रेड का एंट्री तथा एग्जिट प्वाइंट क्या हो सकता है? उसमें लाभ तथा हानि की सीमाएं कितनी हो सकती है?

    इसके साथ ही आपके खुद के विचार उस ट्रेडिंग जनरल में लिखे हुए होने चाहिए, ताकि आप अपनी गलतियों को समझते हुए भविष्य में आने वाले ट्रेडिंग सत्र के दौरान सुधार कर सकें। 

  • अनुशासन के साथ ट्रेडिंग करें।

    आपको ट्रेडिंग के द्वारा अपनी वास्तविक तथा मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए ट्रेडिंग की योजना बनानी चाहिए। ट्रेडिंग योजना के मुख्य बिंदुओं में पहला नाम ही आता है, अनुशासन का ही। क्योंकि अनुशासन से आप अपने ट्रेडिंग की आदत को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं।

    लालच और डर से बचने का प्रयास करें, क्योंकि यह ट्रेडिंग में आपका नुकसान होने के संभावना में बढ़ोतरी कर सकते हैं।

हर सप्ताह 25000 कमाने वाली रणनीति।

तो चलिए, अब हम बताने की कोशिश करते हैं कि, आप कैसे स्विंग ट्रेडिंग से हर सप्ताह ₹25000 कमाने के लिए कौन सी रणनीति तथा कौन-कौन से अनुशासन का पालन करना होगा। सबसे पहले आप ऐसे स्टॉक का चयन करें, जिसमे अच्छी लिक्विडिटी के साथ-साथ अच्छी खासी वॉल्यूम भी मौजूद हो। जिन्हें नियमित रूप से खरीदा या बचा जा रहा हो, मतलब की पर्याप्त रूप से उस स्टॉक में मूवमेंट होने चाहिए। ताकि आप ट्रेडिंग करके अच्छे लाभ कमा सके। डे स्टॉक का चयन करने के बाद आप उसके चार्ट्स को ओपन करें। वहां इंडिकेटर को सर्च करके आपको मात्र दो इंडिकेटरों का मुख्य रूप से पालन करना है।

जिसमें पहले है मूविंग एवरेज। आप मूविंग एवरेज के सेटिंग्स में जाकर ड्यूरेशन में 60 अंकित करें तथा फील्ड वाले क्षेत्र में जाकर OHLC / 4 विकल्प को चुने। जहां OHLC का मतलब ओपन, हाई, लो तथा क्लोज होता है। इंडिकेटर को आसानी से पहचान पाए जिसके लिए इसके कलर्स को बदल सकते हैं।

इसके बाद आपको दूसरा इंडिकेटर लगाना है जिसका नाम है, RSI इस इंडिकेटर के सेटिंग्स में जाकर आपको पीरियड में 12 लिखना होगा तथा ओवरबॉट में 60 अंकित करना होगा तथा आसानी के लिए आप इसके कलर्स को भी चेंज कर सकते हैं।

जब आप अपने ग्राफ में इन दोनों इंडिकेटरों को अंकित कर लें। इसके बाद आप यह ध्यान रखें कि, जब भी मूविंग एवरेज के ग्राफ के ऊपर मार्केट हो तथा RSI के ग्राफ में भी इस समय 60 के ऊपर का मान प्रदर्शित हो। जिससे आप सुनिश्चित हो जाएंगे कि, अब खरीदारी का अवसर मजबूती से आपको संकेत दे रहा है और यकीन मानिए अगर आप इसकी अच्छे से बैक-टेस्टिंग करते हैं तो आपको निश्चित रूप से 20 से 50% का रिटर्न कुछ ही हफ्तों में आसानी से प्राप्त हो सकते हैं।

इसके बाद टेक्निकल एनालिसिस के टूल्स जैसे कि, मूविंग एवरेज, MACD, RSI या फिर स्टोकास्टिक ऑस्किलेटर इत्यादि का उपयोग करते हुए सही और सटीक एंट्री के मौके तलाशे। ट्रेंड के अनुसार किसी भी स्टॉक को खरीदने या बेचने का निर्णय ले। अगर शेयर अपट्रेंड में है, तो उस शेयर को खरीद ले। लेकिन अगर वह डाउन ट्रेंड में है, तब उसे बेच दे। इस रणनीति के तहत आप ₹25000 हर हफ्ते कमा सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग के दौरान ध्यान रखने योग्य प्रमुख नियम।

  • आपको हर ट्रेड में निश्चित लाभ तथा लक्ष्य को सुनिश्चित करते हुए स्टॉप-लॉस का पालन करना होगा। ताकि आपको संभावित रूप से होने वाले नुकसान को नियंत्रित किया जा सके।
  • यह सुनिश्चित करें कि, जितने भी ट्रेड में आप एंट्री बनाएंगे उनमें आप अपने कुल पूंजी का 2 या 3 प्रतिशत ही जोखिम में लेंगे उससे अधिक नहीं।
  • इसके साथ-साथ अपने ट्रेड्स की बार-बार समीक्षा करें।
  • बाजार में चल रहे न्यूज़ तथा कंपनी के रिपोर्ट्स को पढ़ने का प्रयास करें।
  • इसके बाद ही ट्रेडिंग जनरल बनाकर अपनी गलतियों से सीखते हुए अपनी रणनीति में सुधार करने का प्रयास करें।
  • जोखिम प्रबंधन के अंतर्गत अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखते हुए अनुशासन बनाकर बिना विचलित हुए, ट्रेडिंग की रणनीतियों का अनुसरण करें।

अगर आप इसी प्रकार से योजना बंद तरीके से अनुशासन के साथ स्विंग ट्रेडिंग करेंगे तो आप निश्चित रूप से ₹25000 या फिर इससे अधिक की कमाई आप कर सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस लेख में हमने स्विंग ट्रेडिंग के दौरान most successful swing trading strategy in hindi सबसे अधिक उपयोग किये जाने वाले स्ट्रेटजी को विस्तार से समझने का प्रयास किया। हमने स्विंग ट्रेडिंग के बारे में इसके महत्व तथा यह क्यों बेहतर है? अन्य ट्रेडिंग रणनीतियां की बजाय इसका भी विस्तार से वर्णन किया है। इसके साथ ही हमने दो लोकप्रिय इंडिकेटर का ऐसा प्रयोग बताया है जिसके माध्यम से आप हर सप्ताह ₹25000 आसानी से कमा सकते हैं।

ऐसा नहीं है कि, हमने मात्र दो ही इंडिकेटर के बारे में बताने का प्रयास किया है बल्कि हमारे वेबसाइट के माध्यम से आप स्विंग ट्रेडिंग के दौरान उपयोग होने वाले सभी लोकप्रिय इंडिकेटरों को अलग-अलग विस्तार से समझाया है। अगर इस लेख को पढ़ने के बाद आपकी ट्रेंनिंग स्ट्रेटजी में थोड़ा बहुत भी सुधार आया हो, तो आप कृपया करके इस लेख को अपने अन्य सभी ट्रेडर भाइयों के साथ शेयर करें।

धन्यवाद।

FAQ

Q.1 सबसे ज्यादा प्रभावी इंडिकेटर कौन सा है?

 

 

किसी भी एक इंडिकेटर को सबसे ज्यादा प्रभावी कहना थोड़ा मुश्किल होगा। क्योंकि हर इंडिकेटर का उपयोग अलग-अलग शेयर मार्केट के कंडीशंस, टाइम फ्रेम और अलग-अलग प्रकार की रणनीतियां पर निर्भर करते है। लेकिन हां कुछ इंडिकेटर ऐसे होते हैं जिनका उपयोग अधिक लोगों द्वारा किया जाता है। इसके साथ ही इनके परिणाम अच्छे होते हैं। जैसे कि, RSI, MACD तथा वॉल्यूम इंडिकेटर जिनका प्रयोग करके तथा बार-बार अभ्यास करके आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि, कौन सा इंडिकेटर आपके लिए सबसे ज्यादा प्रभावित रहेगा।

 

 

Q.2 कौन सा इंडिकेटर खरीदने और बेचने के सिग्नल देता है?

 

 

टेक्निकल एनालिसिस के दौरान कई इंडिकेटर ऐसे हैं जो आपको खरीदने और शेयर्स को बेचने के सिग्नल्स प्रदान करते हैं। जैसे कि, मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (MACD) जो कि आपको सिग्नल लाइन को नीचे से क्रॉस करने पर उसे खरीदने का सिग्नल देता है। तथा जब मैक की लाइन सिग्नल लाइन को ऊपर की ओर क्रॉस कर देती है। तब आपको बेचने का सिग्नल प्रदान करता है।

इसी प्रकार रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स (RSI) जो कि, 70 के ऊपर जाने पर आपको उसे शेयर को बेचने का सिग्नल देता है और जब यह 30 के नीचे होता है। तब आपको खरीदारी का सिग्नल प्रदान करता है। इसी प्रकार मूविंग एवरेज जब शॉर्ट टर्म यानी कि, 50 दिनों की तथा लॉन्ग टर्म मतलब कि, 200 दिनों को ऊपर की तरफ काटता है। तो यह शेयर को बेचने का सिग्नल दे रहा होता है। इसी के विपरीत जब यह नीचे की ओर काटता है तो यह शेयर को खरीदने के सिग्नल दे रहा होता है।

 

 

Q.3 स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने?

अधिक वॉल्यूम तथा अच्छी लिक्विडिटी वाले स्टॉक को ही स्विंग ट्रेडिंग के दौरान अपने वॉचलिस्ट में रख सकते है। फिर जब भी गिरावट हो तब आप टेक्निकल एनालिसिस का प्रयोग करते हुए उस स्टॉक को चुन सकते है।

Q.4 सबसे अच्छा स्विंग ट्रेडर कौन है?

सबसे अच्छे स्विंग ट्रेडर की बात करें तो उसमे पहला नाम पॉल ट्यूडर जोन्स और दूसरा स्टेनली ड्रुकेंमिलर है।

Q.5 स्विंग ट्रेडिंग के लिए कौन सा टाइमफ्रेम सबसे अच्छा है?

स्विंग ट्रेडिंग के लिए, 5-मिनट से 15-मिनट या हर घंटे के चार्ट का उपयोग कर सकते हैं।

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राहुल कुमार सोनी

राहुल कुमार सोनी एक वित्तीय बाजार लेखक हैं, जिन्हें शेयर बाजार, ट्रेडिंग और निवेश में 6 साल से अधिक का अनुभव है। वह बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग में ऑनर्स डिग्री के साथ एक बाजार निवेशक भी हैं।

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