शेयर मार्केट में Intraday or delivery which is better for beginners यह जानने से पहले जो लोग, नए-नए आ रहे हैं, वे लोग ट्रेडिंग करें या फिर डिलीवरी में शेयर खरीदे। मान लीजिये अगर विराट कोहली को बोला गया होता कि तुम सिंगर बन जाओ और अरिजीत सिंह को बोला गया होता कि तुम क्रिकेटर बन जाओ। तो आज कहानी कुछ और ही होती अपने अंदर के टैलेंट को पहचानना भी एक बहुत बड़ा टैलेंट होता है। यहीं कहानी इंट्राडे और डिलीवरी का भी हैं।
➡️ Intraday vs Delivery : The Ultimate Guide for Beginners to Make the Right Choice
अगर आपके अंदर इंट्राडे ट्रेडिंग करने का टैलेंट है और आप डिलीवरी करने जाओगे तो आपका पैसा डूब ही जायेगा। मान लीजिए कि आपके अंदर डिलीवरी में शेयर खरीदने का टैलेंट है और आप उस समय इंट्राडे करने जाओगे तो वहां भी आपका पैसा डूब ही सकता है। इंट्राडे क्या होता है और डिलीवरी क्या होता है? यह दोनों में अंतर क्या होता है। किसमें ज्यादा पैसा है यानी कि इंट्राडे ट्रेडिंग करने में ज्यादा पैसा है या फिर डिलीवरी में।
सबसे पहले यह समझते हैं कि, इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है? देखिए इंट्राडे दो शब्दों से मिलकर बना होता है, जिसमे इंट्रा का मतलब होता है एक ही दिन के अंदर-अंदर और ट्रेडिंग का मतलब होता है स्टॉक को खरीदना और बेचना। ट्रेडिंग में कोई भी स्टॉक को खरीदना और कोई भी स्टॉक को बेचना शामिल होता है। तो कुल मिलाकर इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब यह हुआ कि कोई भी कंपनी के शेयर को एक ही दिन में खरीदना और एक ही दिन में उसको बेच देना। इसी ट्रेडिंग को बोला जाता है इंट्राडे ट्रेडिंग।
➡️ intraday or delivery which is better for beginners
हमारे भारतीय शेयर मार्केट का टाइमिंग होता है, सुबह 9:15 बजे मार्केट खुलता है और शाम को 3:30 बजे मार्केट बंद हो जाता है। तो इसी समय के दौरान कोई भी स्टॉक को खरीदना और कोई भी स्टॉक को बेच देना उसी ट्रेडिंग को बोला जाता है इंट्राडे ट्रेडिंग। अगर आप इंट्राडे में कोई शेयर को खरीदते हो तो आपको उसी दिन मार्केट बंद हो जाने से पहले बेचना होगा और अगर आप गलती से इंट्राडे में कोई शेयर को खरीद लिया और आप उस दिन उस शेयर को नहीं बेचते हो तो इसके लिए आपके ऊपर पेनल्टी भी लग सकती है।
इसलिए intraday or delivery which is better in hindi इंट्राडे में अगर आप कोई कंपनी के शेयर को खरीदते हो तो आपको उसी दिन मार्केट बंद हो जाने से पहले बेचना पड़ेगा। यह एक नुकसान होता है इंट्राडे ट्रेडिंग का। डिलीवरी का मतलब होता है, स्टॉक को खरीदने के बाद जब मर्जी तब बेच देना। मतलब कि, कोई भी कंपनी के शेयर को खरीदने के बाद उसको जब मर्जी तब बेच देना इसी चीज को बोला जाता है डिलीवरी ट्रेडिंग।
➡️ इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग की समझ।
जब आप कोई भी कंपनी के शेयर को खरीदने के लिए जाते हो तो वहां पर दो ऑप्शन आता है। एक इंट्राडे का और दूसरा डिलीवरी का। तो अगर आप इंट्राडे पे क्लिक करते है तब आप उस शेयर को खरीदते हो जिसे आपको उसी दिन बेचना होगा लेकिन अगर आप डिलीवरी में उस कंपनी के शेयर को खरीदते हो तो डिलीवरी पे क्लिक करके तो आप उस कंपनी के शेयर को जब मर्जी तब बेच सकते हो।
अगर आपने डिलीवरी में कोई भी कंपनी के शेयर को खरीद लिया तो उस कंपनी का शेयर आपका हो गया। अब आपकी मर्जी intraday trading vs delivery which is best आप उसको जब बेचो 10 साल बाद बेचो 20 साल बाद बेचो या फिर आज खरीद के आज भी बेच सकते हो कोई दिक्कत नहीं।
अब इसको समझने के लिए हमको थोड़ा कंपैरिजन करके समझना होगा कि इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग में अंतर क्या होता है? तो यहां पर आप देख सकते हो इंट्राडे में एक ही दिन का मौका मिलता है। इंट्रा इंट्राडे में कोई कंपनी के अगर आप शेयर को खरीदते हो तो उसमें आपको एक ही दिन का मौका मिलता है लेकिन बात अगर डिलीवरी की हो तो डिलीवरी में चॉइस होता है यानी कि वो आपके ऊपर है कि आप उसको आज बेचो आप उसको कल या फिर आप उसको 20 साल के बाद बेचो। लेकिन इंट्राडे में एक ही दिन का मौका मिलता है।
➡️ इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग की प्रमुख विशेषताएँ।
यहां पर हम कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओ से इंट्राडे और डिलीवरी में अंतर समझाने का प्रयास किया है। जिससे आपको खुद पता चल जाएगा कि आपके लिए कौन सा ट्रेडिंग बेस्ट रहेगा। पहला तो यह है कि एक ही दिन का मौका मिलता है इंट्राडे में और डिलीवरी में चॉइस होता है। उसके बाद इंट्राडे में नो ओवरनाइट रिस्क होता है। मतलब यह होता है कि कई बार ऐसा होता है कि आपने कोई कंपनी के शेयर को खरीद के रखा है और रातों-रात उस कंपनी के बारे में कोई खराब न्यूज़ आ जाय तो क्या होगा कल जब मार्केट ओपन होगा तो उस कंपनी का शेयर जबरदस्त गिरेगा। तो कई बार आपको उस कंपनी के शेयर को बेचने का भी मौका नहीं मिलगा।
तो इंट्राडे ट्रेडिंग में ये रिस्क आपके ऊपर नहीं रहता क्योंकि इंट्राडे में तो आप सुबह खरीदते हो और शाम के अंदर बेच देते हो। इसलिए ओवरनाइट का खतरा नहीं रहता लेकिन डिलीवरी में ओवरनाइट का रिस्क रहता है यानी कि आपने कोई कंपनी के शेयर को खरीद लिया डिलीवरी में और रातों-रात उस कंपनी के बारे में कोई खराब न्यूज आ गया तो कल तो आपका नुकसान हो ही जायेगा और बहुत दिनों तक आपका पैसा फंस भी सकता है। तो ये एक ओवरनाइट रिस्क कहलाता है। उसके बाद ये सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इंट्राडे में आपको मार्जिन की फैसिलिटी मिलती है। मार्जिन का मतलब यह होता है कि मान लीजिए कोई कंपनी का शेयर का प्राइस है।
➡️ इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग किसमें ज्यादा पैसा है?
टेक्निकल एनालिसिस में एकदम मास्टर होना पड़ेगा टेक्निकल एनालिसिस अपने आप में एक बहुत बड़ा महासागर है। तो उसको आपको पूरा अच्छा से सीखना पड़ेगा तब जाकर आप इंट्राडे ट्रेडिंग से प्रॉफिट कमाना शुरू कर पाओगे लेकिन आजकल तो नए-नए लोग आते ही इंट्राडे ट्रेडिंग जिसको टेक्निकल एनालिसिस का जीरो नॉलेज है लेकिन आते ही इस 5 गुना का मार्जिन पाने के लिए टेक्निकल एनालिसिस की कोई नॉलेज नहीं डायरेक्ट इंट्राडे ट्रेडिंग इसलिए उनका नुकसान हो जाता है तो यह बात ध्यान रखना अगर आपको इंट्राडे ट्रेडिंग करके पैसा कमाना है।
तो आपको टेक्निकल एनालिसिस का पूरा प्रॉपर नॉलेज रखना ही पड़ेगा। अगर आपको डिलीवरी में कोई कंपनी के शेयर को खरीदना है तो उसके लिए आपको फंडामेंटल एनालिसिस की नॉलेज हो मतलब चाहिए। फंडामेंटल एनालिसिस का मतलब क्या होता है कि, कंपनी का बिजनेस को चेक करना कंपनी का मैनेजमेंट को चेक करना कंपनी का सेल हो रहा है कि नहीं कंपनी का प्रॉफिट हो रहा है कि नहीं कंपनी का प्लान क्या है कंपनी का कौन सा सेक्टर है।
Which is better, delivery or intraday? इन सारी डाटा को एनालाइज करने को ही बोला जाता है फंडामेंटल एनालिसिस। क्योंकि आप डिलीवरी में तो लंबे समय के लिए कंपनी के शेयर को खरीदते हो ना तो लंबे समय के लिए आप क्या देख के उस कंपनी के शेयर को खरीदोगे डेफिनेटली उस उस कंपनी के बिजनेस को देखकर खरीदोगे।
➡️ शुरुआती लोगों के लिए विचार करने योग्य तत्व।
तो बिजनेस को एनालिसिस करने को ही बोला जाता है फंडामेंटल एनालिसिस। तो इंट्राडे में आपको टेक्निकल एनालिसिस की नॉलेज चाहिए और डिलीवरी में फंडामेंटल एनालिसिस की नॉलेज चाहिए। उसके बाद इंट्राडे ट्रेडिंग में हमेशा हाई रिस्क होता है और हाई रिटर्न होता है। हाई रिक्स इसलिए होता है क्योंकि शेयर को आपको एक ही दिन में खरीदना है एक ही दिन में बेच देना है। इसलिए वहां पे हाई रिक्स होता है और हाई रिटर्न इसलिए होता है इसके लिए ये मार्जिन का फैसिलिटी के लिए यहां पे हाई रिटर्न होता है।
आप ₹200000 का शेयर खरीद सकते हो यानी कि पांच गुना कई बार मार्जिन मिल जाता है, इसीलिए आपका फायदा पांच गुना हो सकता है और आपका नुकसान भी पांच गुना हो सकता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में हाई रिस्क होता है हाई रिटर्न होता है और डिलीवरी की बात अगर किया जाए तो यहां पर डिपेंड ऑन योर एनालिसिस यानी कि यह डिपेंड करता है डिलीवरी में कितना रिस्क है यह आपके एनालिसिस के ऊपर डिपेंड करता है अगर आप एक अच्छे कंपनी के और एक फंडामेंटली स्ट्रांग कंपनी के शेयर को खरीदोगे तो डेफिनेटली आपका फायदा होगा लेकिन अगर आप फालतू कंपनी के शेयर को खरीदोगे तो वहां पर आपका पैसा डूब ही जायेगा।
➡️ स्वयं का ट्रेडिंग प्लान विकसित करना।
तो डिलीवरी में रिस्क क्या होता है डिपेंड ऑन योर एनालिसिस यह पूरी तरह से आपके एनालिसिस के ऊपर डिपेंड करता है कंपनी अच्छा होंगी, फायदा कितना होगा कंपनी में। गलत कंपनी के शेयर को खरीदोगे तो वहाँ आपका नुकसान होना तय है। यहां पर आपको अनलिमिटेड रिटर्न मिल सकता है यहां पर रिटर्न का कोई सीमा नहीं है लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट में रिटर्न का कोई सीमा नहीं है।
आप राकेश झुनझुनवाला का स्टोरी को पढ़ सकते हो आप वारेन बुफ़ेट की स्टोरी को पढ़ सकते हो कि अनलिमिटेड इन्वेस्टिंग में रिटर्न मिलता है लेकिन ट्रेडिंग की बात किया जाए तो यहां पर अनलिमिटेड रिटर्न की उम्मीद बहुत कम रहती है यहां पर एक लिमिटेड रिटर्न ही मिलता है लेकिन डिलीवरी में यानी कि इन्वेस्टमेंट में आपको अनलिमिटेड रिटर्न मिलता है। हम उम्मीद करते है कि, आपको इंट्राडे और डिलीवरी का बीच का जो भी अंतर होता है वह समझ में आ गया होगा।
➡️ नए लोग इंट्राडे ट्रेडिंग करें या फिर डिलीवरी ट्रेडिंग।
अपने अंदर की टैलेंट को पहचानना भी बहुत बड़ा टैलेंट होता है। उसी प्रकार आपको सबसे पहले अपने आप को पहचानना है कि आपको टेक्निकल एनालिसिस समझ में आ रहा है या फिर फंडामेंटल एनालिसिस। देखो आज मैं जिस लेवल का सिखा सिखा रहा हूं ना मुझे नहीं लगता कि टेक्निकल एनालिसिस अगर समझ में नहीं आ रहा है तो आप स्टार्टिंग में ट्रेडिंग में मत जाओ मेरे हिसाब से बाकी आपका पैसा आपके ऊपर डिपेंड करता है?
अगर आपको टेक्निकल एनालिसिस समझ में आ रहा है तो आपके लिए इंट्राडे ट्रेडिंग सही है। लेकिन अगर आपको कंपनी का बिजनेस समझ में आ रहा है अब आपको फंडामेंटल एनालिसिस का जो तरीका होता है जैसे कि कंपनी क्या करती है कंपनी का सेल हो रहा है कि नहीं कंपनी का बिजनेस हो रहा है कि नहीं इन सारी चीजों पे ज्यादा इंटरेस्ट है इन सारी चीजों को आपको चेक करना पसंद है।
अपने आप के अंदर का इंटरेस्ट को देखो कि आपको कौन सा सही लगता है आपको अगर टेक्निकल एनालिसिस करना अच्छा लगता है तो आप ट्रेडिंग के बारे में विचार कर सकते हो लेकिन अगर आपको कंपनी का बिजनेस को चेक करने में मजा आता है कंपनी के बिजनेस को देखने में काफी मजा आता है तो आपके लिए भाई अ डिलीवरी सही है लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट सही है राइट तो यह चीज है सबसे पहले अपने आप को पहचानो कि टेक्निकल एनालिसिस आपको समझ में आती है या फिर फंडामेंटल एनालिसिस समझ में आती है।
➡️ सही विकल्प को समझदारी से चुनना।
1) अल्पकालिक बनाम दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्य।
अल्पकालीन वित्तीय लक्ष्य ऐसे लक्ष्यों को बोला जाता है जिसमें आमतौर पर 1 से 3 साल के भीतर पूरा करने की योजना बनाई जाती है। जैसे कि, छुट्टी पर जाना या कोई नई कार खरीदना। इन लक्ष्य को पूरा करने के लिए आपको तुरंत ही निवेश की जरूरत होती है। इसी प्रकार इंट्राडे ट्रेडिंग जो संभावित रूप से आपको तुरंत ही लाभ प्रदान करती है। इसके विपरीत दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्य जैसे कि, आपके बच्चों की शिक्षा का खर्च रिटायरमेंट के लिए बचत प्लान यह दीर्घकालिक योजना के कुछ उदाहरण है। इस प्रकार के लक्ष्य को पूरा करने के लिए स्थाई निवेश की आवश्यकता होती है। जैसे कि, डिलीवरी ट्रेडिंग या म्यूचुअल फंड जो समय के साथ-साथ थोड़ा-थोड़ा लाभ भी प्रदान करते हैं। दोनों प्रकार के लक्षण को संतुलित करना आपके लिए बहुत ही जरूरी है, ताकि आपकी वित्तीय स्थिति मजबूत और लंबे समय तक की हो सके।
2) ट्रेडिंग स्टाइल का वित्तीय उद्देश्यों पर प्रभाव।
ट्रेडिंग स्टाइल का आपकी वित्तीय लक्ष्य पर सीधा-सीधा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह आपकी निवेश रणनीति और लाभ के उम्मीदों पर खरा उतरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इंट्राडे ट्रेडिंग एक ही दिन में शेयर की खरीदारी और बिक्री को शामिल किया जाता है। यह आमतौर पर त्वरित लाभ प्राप्त करने के लिए उचित विकल्प है। साथ ही यह अल्पकालिक वित्तीय लक्ष्यों के प्राप्त हेतु उपयुक्त होता है। यह उच्च जोखिम से भरा हुआ और अधिक लाभ की संभावना के साथ आपको जल्दी पैसा कमाने में आपकी मदद कर सकता है। लेकिन इसके साथ ही अगर आप निरंतर निगरानी और तुरंत निर्णय लेने में असफल रहते हैं। तो इंट्राडे ट्रेडिंग से आपको काफी हद तक नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी तरफ डिलीवरी ट्रेडिंग जिसमें आप शेयर को लंबे समय तक के लिए अपने पास रख सकते हैं। डिलीवरी ट्रेडिंग में दीर्घकालिक वित्तीय लक्षण की प्राप्ति के लिए उपयुक्त होता है। यह कम जोखिम वाला और स्थिर प्रवृत्ति का होता है। जो समय के साथ-साथ धीरे-धीरे लाभ प्रदान करता है। जिससे आपकी पूंजी भी बढ़ती जाती है और इस प्रकार आपकी ट्रेडिंग स्टाइल आपकी वित्तीय उद्देश्यों के अनुसार ही होना चाहिए ताकि आप अपने लक्ष्य को बड़े ही प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें।
3) तनाव और समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन।
इंट्राडे ट्रेडिंग में तेज़ी से निर्णय लेने और बाजार की पल-पल की खबर के वजह से होने वाले उतार-चढ़ाव पर निगरानी रखने की आवश्यकता होती है। तनाव का स्तर इस प्रकार की ट्रेडिंग में अत्यधिक होता है। जिससे निपटने के लिए आपको एक ठोस ट्रेडिंग योजना बनाने की आवश्यकता होती है। जैसे कि स्टॉप-लॉस आर्डर का उपयोग करना। किसी इंडिकेटर में महारत हासिल करके उसका बार-बार अभ्यास करना इत्यादि। इस प्रकार की ट्रेडिंग में समय का प्रबंधन भी महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए एक व्यवस्थित दिनचर्या बनाएं। ओवर ट्रेडिंग से बचे और समय की पाबंदी के साथ ट्रेडिंग करें ताकि आप ट्रेडिंग के साथ अन्य जिम्मेदारियां का भी संतुलन बना सके।
डिलीवरी ट्रेडिंग के अंदर आप शेयर को लंबे समय तक के लिए रखते हैं। इस प्रकार की ट्रेडिंग में तनाव का स्तर आमतौर पर काफी कम होता है। लेकिन यह लंबे समय तक धैर्य और निरंतर निगरानी की आवश्यकता होती है। जिसके लिए बाजार की मामूली उतार-चढ़ाव पर आपको ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती। आपको अपने दीर्घकालिक लक्ष्य पर फोकस करने की जरूरत होती है। समय के प्रबंधन के लिए नियमित रूप से निवेश की स्थिति की समीक्षा करें। समय-समय पर निवेश की रणनीति में बदलाव करते रहे। तनाव और समय का प्रभावी प्रबंधन आपकी ट्रेडिंग अनुभव को सुखद और सफल बना सकता है। आप अपनी रणनीति में बदलाव करके छोटे पूंजी से जैसे 5000-10000 रुपए से ट्रडिंग कैसे करें? यह सीखने का भी प्रयास करे।
4) शुरुआती लोगों के लिए छोटे से शुरू करने के टिप्स।
ट्रेडिंग की दुनिया में प्रवेश करने से पहले निवेश और बाजार की बुनियादी बातों को समझना आवश्यक है। अधिकांश ब्रोकर ट्रेडिंग अकाउंट प्रदान करते हैं, जो आपको वर्चुअल पैसे से ट्रेडिंग का अभ्यास करने का अवसर प्रदान करते हैं। जिससे आप बिना किसी वित्तीय जोखिम के अपनी रणनीतियों को परख सकते हैं। शुरुआत में बड़े निवेश से बचे और छोटे-छोटे और सुरक्षित निवेश के तरीके अपनाए साथ ही बिना अधिक जोखिम उठाएं बाजार से निरंतर लाभ प्राप्त करते रहे। आपके लक्षण जोखिम और निवेश की रणनीति हर वक्त सही सोच के साथ और व्यवस्थित तरीके से बने हुए होने चाहिए। ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर लेन-देन शुल्क, ब्रोकर फीस आपकी कुल लाभ को कम प्रभावित करें। निवेश को अलग-अलग प्रकार से निवेशित करें और एक ही प्रकार के निवेश पर पूरी तरह से निर्भर ना रहे। ट्रेडिंग के दौरान धैर्य और अनुशासन बनाए रखें।
➡️ निष्कर्ष।
एक बात याद रखना इंट्राडे ट्रेडिंग में बहुत हाई रिस्क होता है तो यह बात ध्यान रखना बहुत हाई रिस्क रहता है यहां पे एक तो आप नया हो तो स्टार्टिंग में ही अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करोगे तो इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ही दिन में खरीदना है एक ही दिन में बेचना है तो इसीलिए बहुत हाई रिस्क रहता है लेकिन बात डिलीवरी की हो लॉन्ग टर्म की हो तो उसमें मीडियम रिस्क होता है मीडियम रिस्क होता है रिस्क तो हर जगह है शेयर मार्केट में तो रिस्क होगा ही लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग में हाई रिस्क है और डिलीवरी में मीडियम रिक्स है ठीक है तो
हमें उम्मीद है कि, आपके सवाल का जवाब आपको मिल गया होगा। इंट्राडे क्या होता है?, डिलीवरी क्या होता है? और आपको क्या करना चाहिए वह भी आप समझ ही गए होंगे। अब अगर आपको ट्रेडिंग करना है ट्रेडिंग में शुरुआत करना है। तो इस लेख को पूरा पढ़कर आप ट्रेडिंग की जर्नी की शुरुआत कर सकते हो।
स आपको इस बात का ध्यान रखना है कि, जब भी इन कंपनी के शेयर में स्विंग ट्रेड करने का सोच रहे होंगे तब आपको सही समय पर सही शेयर को खरीदने का निर्णय लेना होगा जिससे आपको निश्चित ही लाभ होगा। आप ट्रेडिंग टिक जैसी वेबसाइट का भी इस्तेमाल कर सकते है।
➡️ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q.1 शुरुआती, इंट्राडे या डिलीवरी के लिए कौन सी ट्रेडिंग सबसे अच्छी है?
जब कोई ट्रेडर शुरुआती के दौरान, इंट्राडे या डिलीवरी इन दोनों विकल्पों में से सबसे अच्छा डिलीवरी ट्रेडिंग ही होता है। जब आप शुरुआत के ट्रेडिंग स्थिति में रहते है तो आपको कम रिक्स के साथ आपको मार्केट में लम्बे समय तक बने रहने की जरूरत होती है।
निम्नलिखित तरीको से आप अपने आप को बेहतर ट्रेडर बना सकते है।
- निवेश योजना बनाएं।
- डेमो अकाउंट का उपयोग करें।
- संतुलित पोर्टफोलियो बनाएँ।
Q.2 इंट्राडे से बेहतर क्या है?
इंट्राडे से बेहतर शुरुआत के ट्रेडर के लिए तो यही सही होगा कि, आप डेलिवेरी ट्रेडिंग करें। क्योकि डेलिवेरी ट्रेडिंग में आपको समय के साथ-साथ आपके रिस्क को भी काफी हद तक कम करने में आपकी मदद करती है।
Q.3 इंट्राडे कब शुरू करें?
इंट्राडे ट्रेडिंग आपको तब शुरू करना चाहिए जब आप पहले पेपर ट्रेडिंग में महारथ हासिल कर लें। इसके साथ ही जब आप अपनी खुद की ट्रेडिंग रणनीति तैयार कर ले। उसके बाद ही आपको ट्रडिंग में इंट्राडे के विल्कप का चुनाव करना चाहिए।
Q.4 delivery vs intraday charges
जब आप ट्रेडिंग की शुरुआत करते है तब आपको delivery vs intraday charges के बारे में जानकारी का होना बड़ा ही जरूरी है। इंट्राडे शुल्क एक ही दिन में खरीदे और बेचे गए ट्रेडों पर लागू होने वाला शुल्क है। डिलीवरी शुल्क शेयर खरीदने और उन्हें लंबी अवधि के लिए आपके डीमैट खाते में रखने से जुड़ा शुल्क है। यह अलग-अलग ब्रोकर के हिसाब से अलग-अलग होता है।
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