technical analysis strategies in Hindi

टेक्निकल एनालिसिस से बनें प्रोफेशनल ट्रेडर: 9 टिप्स और ट्रिक्स। technical analysis strategies in Hindi

Intraday Trading Strategy

इस लेख में हम technical analysis strategies in Hindi के बारे में संपूर्ण जानकारी जिसके अंतर्गत टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है? टेक्निकल एनालिसिस की रणनीतियां (How to Use Technical Analysis in Trading), इसके साथ ही महत्वपूर्ण चार्ट पेटर्न (Chart Patterns) के साथ-साथ सबसे अच्छे तथा उपयोगी इंडिकेटर (Technical Indicators) के बारे में भी जानकारी देने का प्रयास किया है जिसकी मदद से आप भले ही शुरुआती या फिर अनुभवी ट्रेंड हो आपको ट्रेडिंग में सफलता जरूर मिलेगी।

टेक्निकल एनालिसिस क्या है? (What is Technical Analysis?)

टेक्निकल एनालिसिस एक प्रकार का ऐसी ट्रेडिंग रणनीति होती है, जिसके माध्यम से बाजार के किसी भी स्टॉक का हिस्टॉरिकल डाटा, चार्ट पेटर्न और प्राइस मोमेंट के आधार पर एक ट्रेडर और निवेशक होने के नाते हम यह आसानी से अनुमान लगा सकते हैं कि, भविष्य में इस स्टॉक का अन्य निवेशको द्वारा रुझान कैसा रहने वाला है?

टेक्निकल एनालिसिस के दौरान आप उस स्टॉक में वॉल्यूम तथा प्राइस पैटर्न को पहचानने के लिए मुख्य टेक्निकल एनालिसिस जैसे कि, बोलिंजर बैंड्स, RSI तथा MACD का उपयोग करते हैं क्योंकि इनकी एक्यूरेसी अधिक होती है।

टेक्निकल एनालिसिस का मुख्य उद्देश्य ही यही होता है कि, हम सही समय पर उस स्टॉक में खरीदारी और बेचने के निर्णय को लेने में सक्षम हो सके। आज किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग में बिना टेक्निकल एनालिसिस के ट्रेडिंग करना लाभकारी साबित नहीं हो सकता।

टेक्निकल एनालिसिस की रणनीति (Technical Analysis Strategies in Hindi)

हम टेक्निकल एनालिसिस करके सही तरीके से ट्रेडिंग निर्णय लेने की कोशिश करते हैं। प्रमुख टेक्निकल एनालिसिस के अंतर्गत सपोर्ट और रेजिस्टेंस के लेवल की पहचान करना, कैंडलेस्टिक पेटर्न के उपयोग शामिल है।

इसके साथ-साथ हम RSI और MACD जैसे प्रमुख इंडिकेटरों का उपयोग के साथ-साथ ओवर बॉट तथा ओवर सोल्ड स्थितियों का आकलन करके आप यह समझ जाते हैं कि, कब आपको उस शेयर को खरीदना चाहिए तथा कब उस शेयर को बेच देना चाहिए।

टेक्निकल एनालिसिस की रणनीति के द्वारा आप बाजार के हिस्टॉरिकल डाटा चार्ट पेटर्न और टेक्निकल इंडिकेटर का विधिवत विश्लेषण करते हुए आप भविष्य के हर एक छोटे उतार चढ़ाव को पहले ही समझ जाते हैं। टेक्निकल एनालिसिस की मदद से आप ना तो केवल अपने जोखिम को नियंत्रित करते हैं, बल्कि आप अपनी पूंजी को भी सुरक्षित रखते हैं।

महत्वपूर्ण चार्ट पैटर्न (Important Chart Patterns)

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टेक्निकल एनालिसिस के दौरान चार्ट पेटर्न की हर छोटी-छोटी प्रवृत्तियों को समझना तथा भविष्य में होने वाले प्राइस के मूवमेंट का अनुमान लगाने के लिए हमने नीचे कुछ प्रमुख चार्ट के पैटर्न को बताने का प्रयास किया है।

  • हेड तथा शोल्डर पैटर्न (Head and Shoulders)

    यह एक प्रकार का रिवर्सल पैटर्न होता है। जो इस बात का प्रतीक होता है कि, अभी तक जो ट्रेंड चल रहा था, वह इस बिंदु से समाप्त हो गया है और अब यही से बाजार पलटवार करते हुए उलटी दिशा की ओर जाने के लिए तैयार है। इस पैटर्न के आधार पर आप सामान्य रूप से यह पता लगा सकते हैं कि, अभी स्टॉक में तेजी या मंदी होने वाली है या नहीं।

    यह दो प्रकार का होता है जिसमें पुलिस हेड एंड शोल्डर तथा दूसरा बेयरिश हेड एंड शोल्डर होता है। पुलिस हेड एंड शोल्डर पैटर्न किसी स्टॉक में चल रहे डॉ ट्रेड के बाद बनता है तथा यहीं से अब ट्रेड की शुरुआत होती है। इसी के विपरीत पेरिस हेड एंड शोल्डर पैटर्न जब स्टॉक का अप ट्रेड पूरी तरह से समाप्त हो जाता है उसके बाद यह उसे स्टॉक के डॉन ट्रेड की एंट्री लेवल के संकेत को प्रदान करता है।

  • डबल टॉप और डबल बॉटम पैटर्न (Double Top and Bottom)

    डबल टॉप और डबल बॉटम पैटर्न भी बहुत ही जरूरी टेक्निकल एनालिसिस की रिवर्सल पैटर्न का ही प्रकार माना जाता है। इस चार्ट पेटर्न पर बनने वाले दो सबसे अधिकतम या फिर दो सबसे न्यूनतम के लेवल को आधार मानते हुए यह भविष्यवाणी की जाती है की अब यहां से चल रहे ट्रेंड बदलने वाला है।

    डबल टॉप पैटर्न को पहचान के लिए आपको चार्ट पर कीमत को दो बार उसके सबसे उच्चतम स्तर तक पहुंचाना चाहिए उसके साथी दोनों उच्चतम बिंदुओं के बीच प्राइस में गिरावट होनी चाहिए इसके साथ ही जैसे ही यह उसके नेकलाइन को तोड़ती है तभी वह पैटर्न पूरा माना जाता है।

    इसी के विपरीत डबल बॉटम पैटर्न जिसके अंतर्गत हम दो न्यूनतम बिंदुओं के चार्ट पर उसे कीमत को लगभग दो बार उसके न्यूनतम बिंदुओं तक जानी चाहिए। यह पैटर्न भी तब पूरा माना जाता है जब उसकी कीमत नेकलाइन को पार करेगी

  • त्रिभुज पैटर्न (Triangle Patterns)

    ट्रायंगल पेटर्न आपको बाजार के अवस्थाई रूप से कंसोलिडेशन तथा होने वाले संभावित ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन को संकेत देता है। इस प्रकार का पैटर्न तभी बनता है जब प्रिंस का मूवमेंट बहुत धीरे-धीरे एक छोटे से रेंज में फस जाता है इसके साथ ही उसका चार्ट त्रिभुज के आकार कब बने लग जाता है तभी इस प्रकार के पैटर्न की उत्पत्ति होती है।

    इस प्रकार का पैटर्न अनिश्चित कंसोलिडेशन को प्रदर्शित करता है। इस रणनीति के तहत आपको ब्रेक आउट तथा ब्रेकडाउन के बाद ही अपने पोजीशन को बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसमें आपको स्टॉप लॉस को ट्रायंगल के अंदर ही रखना होता है।

  • फ्लैग पैटर्न (Flags and Pennants)

    फ्लेट पैटर्न जो किसी भी स्टॉक के प्रिंस की दिशा के विपरीत एक छोटे से कंसोलिडेशन रेंज में जब फस जाता है तब ऐसी स्थिति में आयताकार के रूप में बनने वाली आकृति को फ्लैग पैटर्न कहा जाता है।

    किसी भी स्टॉक में इस ट्रेंड की उत्पत्ति तब होती है जब उसमें चल रहे एक मजबूत ट्रेंड को चाहे वह अब ट्रेंड हो या डाउन ट्रेड इन दोनों में से किसी एक के बाद ही बनता है।

    फ्लैग पैटर्न भी दो प्रकार का होता है एक है पुलिस फ्लैग तथा दूसरा बीयर्स फ्लैग। पुलिस फ्लैग अब ट्रेंड के दौरान तथा जब किसी स्टॉक में ब्रेकआउट ऊपर की ओर हो जाता है तभी इस फ्लैग की उत्पत्ति होती है। और इसी के विपरीत जब डॉ ट्रेंड में ब्रेक आउट नीचे की ओर हो जाता है तब वेरियस फ्लैग की उत्पत्ति होती है।

सबसे अच्छे इंडिकेटर (Best Technical Indicators)

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सबसे अच्छे इंडिकेटर को हमने नीचे कुछ बिंदुओं के माध्यम से प्रदर्शित करने का प्रयास किया है।

  • मूविंग एवरेज (Moving Averages)

    मूविंग एवरेज एक प्रकार का अधिक उपयोग किए जाने वाला टेक्निकल इंडिकेटर केरूप में जाना जाता है।

    मूविंग एवरेज के उपयोग से आप किसी भी स्टॉक के चल रहे तथा भविष्य में होने वाले ट्रेड की पहचान करने में सपोर्ट तथा रेजिस्टेंस के लेवल को पहचानने में किया जाता है।

    मूविंग एवरेज के दौरान आपको क्रॉसओवर की रणनीति के तहत गोल्डन क्रॉसओवर तथा डेथ क्रॉसओवर का भी ध्यान रखना होता है। जिसके अंतर्गत जब किसी भी स्टॉक के शॉर्ट टर्म मूविंग एवरेज उसके लॉन्ग टर्म मूविंग एवरेज को पार कर देता है तो यह एक प्रकार से गोल्डन क्रॉसओवर के रूप में देखा जाता है और अधिकतर निवेदक यही से अपने खरीदारी की शुरुआत करते हैं।

    इसी के विपरीत जब किसी स्टॉक के शॉर्ट टर्म मूविंग एवरेज मतलब की 50 दिनों में बना रहे सभी मूविंग एवरेज की रेखा को उसके लॉन्ग टर्म मूविंग एवरेज की रेखा को नीचे की तरफ काट देती है तब यह स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि अब उसे शेयर को बेच देना चाहिए

  • Relative Strength Index (RSI)

    RSI का उपयोग किसी भी स्टॉक के बाजार में चल रहे हैं मोमेंटम को जानने के लिए उपयोग किया जाता है इसका काम भी वही होता है कि किसी भी स्टॉक में ओवरबॉट तथा ओवरसोल्ड की स्थिति को प्रदर्शित करने का काम करता हैं।

    जब भी किसी स्टॉक का प्राइस का मन सी में 70 के ऊपर दिखाई देता है तो उसे समय आपके सिस्टम को भेज देना चाहिए और यही पर जब किसी स्टॉक का प्राइस 30 के नीचे दिखाई देता है तब उसे समय आपको उसे शहर को खरीदने का निर्णय लेना चाहिए।

  • मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (Moving Average Convergence Divergence) MACD

    एबीसीडी मुख्य रूप से किसी भी स्टॉक के दो मूविंग एवरेज के बीच के सामान जैसे को स्थापित करने में एक ट्रेंड की मदद करता है। एमएसडी के माध्यम से आप बाजार में सही समय पर खरीदारी तथा बिक्री को आसानी से पता लगा सकतेहैं।

    एबीसीडी के मुख्य रूप से तीन बिंदु होते हैं जो की अलग-अलग पीरियड में अलग-अलग संकट का प्रदर्शित करते हैं। एमएसडी की रेखा उसे स्टॉक के 12 एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेज तथा 26 एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेज के बीच के अंतर को प्रदर्शित करता है।

    एबीसीडी इंडिकेटर का उपयोग ट्रेंड फॉलोइंग तथा मोमेंटम इंडिकेटर के रूप में बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। इसके उपयोग से आप किसी भी स्टॉक के लंबे समय में होने वाले ट्रेंड्स को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

  • बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands)

    वालंटियर बैंड्स एक तरीके का अधिक लोकप्रिय टेक्निकल इंडिकेटर की रणनीति मानी जाती है जिसके अंतर्गत आप स्टॉक मार्केट में किसी भी स्टॉक के वोलैटिलिटी तथा उसे स्टॉक में होने वाले ट्रेंड्स के रिवर्सल के बिंदुओं की पहचान की जा सकती है।

    वालंटियर बैंड्स में तीन प्रकार के बैंड से आप समझ सकते हैं कि किस अवधि पर कौन सा बैंड्स काम करता है। जिसमें पहले है मिडिल बंद जो एक प्रकार से 20 दिनों के लिए वैलिड माना जाता है। वही अपर बंद किसी भी दो स्टैंडर्ड डिवीजन के ऊपर होता है। मिडिल बंद से ऊपर के बैंड्स को लोअर बंद कहा जाता है।

    वॉलनटिअर्मेंट्स का उपयोग आप कई प्रकार से कर सकते हैं मुझे भी किसी स्टॉक के मूल्य अपार बंद कुछ होता है तो यह स्पष्ट रूप से ओवरबोर्ड की स्थिति को प्रदर्शित करता है और जब यही लोअर बंद को छूने का प्रयास करता है तब ओवर सोल्ड की स्थिति मानी जाती है

  • स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर (Stochastic Oscillator)

    स्टोचास्टिक ऑस्किलेटर एक बहुत ही महत्वपूर्ण टेक्निकल इंडिकेटर की रणनीति मानी जाती है जिसके अंतर्गत आप स्टॉक को मार्केट में चल रहे उसके भाव के आधार पर यह अंदाजा लगा सकते हैं कि वह ओवरबोर्ड जून में है या फिर ओवर सोल्ड जोन में।

    इस इंडिकेटर को उपयोग करने से पहले आप मुख्य रूप से दो रेखाओं के बीच आधार बनाते हुए अपनी रणनीति को तैयार करना होता है इन दोनों में से पहले रेखा के प्रतिशत तथा दूसरी रेखा प्रतिशत होती है।

    यह इंडिकेटर आपको जीरो से लेकर 100 के बीच तक की संख्याओं के माध्यम से उसे स्टॉक के ओवर बोर्ड तथा ओवर सोल्ड की स्थिति को प्रदर्शित करने का संकेत प्रदान करता है

सारांश (Conclusion)

इस लेख में हम टेक्निकल एनालिसिस का विस्तृत विश्लेषण जिसके अंतर्गत टेक्निकल एनालिसिस क्या है? इसके साथ ही टेक्निकल एनालिसिस की प्रमुख रणनीति तथा शेयर बाजार में उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण चार्ट पेटर्न जैसे कि, हेड एंड शोल्डर पैटर्न डबल टॉप तथा डबल बॉटम पैटर्न, ट्रायंगल पेटर्न तथा फ्लैग पैटर्न वह भी समझाने का प्रयास किया है।

इसके साथ ही हमने सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले टेक्निकल इंडिकेटर जैसा कि, मूविंग एवरेज, RSI, MACD, बोलींजर बैंड्स तथा स्टॉकइस्टिक ऑस्किलेटर इत्यादि का भी विस्तार से कैसे आप उपयोग करके ट्रेडिंग में अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं इसकी भी विधिवत्त विधि बताने का प्रयास किया है।

अगर इस टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करते हुए आपको थोड़ा भी ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त हो तो कृपया करके इसलिए को आप अपने सभी ट्रेड भाइयों के साथ साझा करें।

धन्यवाद।

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राहुल कुमार सोनी

राहुल कुमार सोनी एक वित्तीय बाजार लेखक हैं, जिन्हें शेयर बाजार, ट्रेडिंग और निवेश में 6 साल से अधिक का अनुभव है। वह बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग में ऑनर्स डिग्री के साथ एक बाजार निवेशक भी हैं।

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