इस लेख में हमने what is the most popular trading indicator के साथ लोकप्रिय इंडिकेटर का सही प्रकार से उपयोग करने की विधि को समझाने का प्रयास किया है।
इंडिकेटर की परिभाषा।
इंडिकेटर का उपयोग करके एक निवेशक सही तरीके से शेयर बाजार में मुनाफा कमा सकता है। लेकिन उसके लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि, उस निवेशक या ट्रेडर को इंडिकेटर किसे कहते हैं? तथा यह कैसे काम करता है? इस बात को भी समझना जरूरी होता है। ट्रेडिंग के दौरान इंडिकेटर का उपयोग शेयर बाजार की दिशा उनके व्यापारिक संकेत तथा उसे कंपनी की अर्थव्यवस्था को प्रदर्शित करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक ऐसे उपकरण के रूप में कार्य करता है जो ट्रेंड और निवेशकों को निर्णय लेने में मदद करता है।
ट्रेडिंग के दौरान इंडिकेटर एक ऐसा माध्यम होता है, जो किसी विशेष ट्रेडिंग के स्तर पर परिवर्तन की जानकारी को संकट के रूप में प्रदर्शित करता है। जिस प्रकार से जब आप विज्ञान की पढ़ाई कर रहे होते हैं, तब किसी विशेष प्रकार की रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान रंग के परिवर्तन की स्थिति का संकेत देते हैं। इस प्रकार से शेयर बाजार में ट्रेडिंग के दौरान इंडिकेटर शेयर बाजार के कंपनियों के भाव के ग्राफ को सटीक तरीके से एनालिसिस करके आपको यह प्रदर्शित करते हैं कि, अब इस शेयर का भाव कितना रहने वाला है?
ट्रेडिंग में इंडिकेटर्स का महत्व।
एक ट्रेडर को ट्रेडिंग के दौरान इंडिकेटर के महत्व को समझना अत्यधिक आवश्यक होता है, क्योंकि वह शेयर बाजार की दिशा और संभावित अवसरों की पहचान करने में और उसे संकट के रूप में प्रदर्शित करने में उस ट्रेडर की मदद कर सकता है। शेयर बाजार में कई प्रकार के इंडिकेटर जैसे कि, बोलिंजर बैंड्स, MACD और RSI इत्यादि प्रकार के इंडिकेटर की मदद से शेयर बाजार की गतिविधियों को एक संकेत के रूप में प्रदर्शित करने और उसका टेक्निकल एनालिसिस करने में सहायता प्रदान करता है।
फिर भी नये ट्रेडरों को यह समझने की आवश्यकता होती है कि, इंडिकेटर का प्रयोग करके वह इस बात को पहचाने की कोसिस करे कि, इस कंपनी के शेयर को कब खरीदना है? या फिर कब बेचना सही रहेगा? इन सब का सही प्रकार से इंडिकेटर का उपयोग करके आप अपने जोखिम को काफी हद तक काम कर सकते हैं इसकी लगातार प्रेक्टिस से आप एक सफल ट्रेडर भी बन सकते हैं।
विभिन्न प्रकार के इंडिकेटर्स (what is the most popular trading indicator)
जब भी एक ट्रेडर द्वारा विभिन्न प्रकार के इंडिकेटर की बात की जाती है। तब ऐसे ट्रेडर्स जिन्हें ट्रेडिंग के दौरान जोखिम से बचने के लिए इंडिकेटर को उपयोग करना जरूरी मानते हैं ताकि वह सही निर्णय लेने में सफल हो सके। यहां इस लेख में हम प्रमुख चार प्रकार के इंडिकेटर जैसे कि, ट्रेंड इंडिकेटर, मोमेंटम इंडिकेटर, वॉल्यूम इंडिकेटर तथा वोलैटिलिटी इंडिकेटर इतियादी का जो अलग-अलग रणनीतियों पर कार्य करते हैं। उनका विस्तार से वर्णन करने वाले हैं।
ट्रेंड इंडिकेटर।
इस प्रकार के इंडिकेटर बाजार की दिशा को पहचानने में अधिक कारगर होते है। ताकि एक ट्रेडर को यह मालूम हो सके कि, इस लेवल से बाजार किस दिशा की ओर जा सकता है? इस इस रणनीति के अंतर्गत दो प्रकार के इंडिकेटर को रखा गया है।
1) MACD = यह इंडिकेटर मुख्य रूप से दो ऐसे मूविंग एवरेज के बीच के संबंध को ज्ञात करने के बाद पता लगाया जाता है। यह उस शेयर की प्रवृत्ति की दिशा और ताकत को संकट के रूप में प्रदर्शित करने का कार्य करता है।
2 ) मूविंग एवरेज = इस प्रकार के इंडिकेटर ट्रेडिंग के दौरान उस शेयर की कीमतों की औसत को सही पैमाने पर मापने का कार्य तथा शेयर बाजार में चल रहे ट्रेंड की दिशा को स्पष्ट करने का कार्य करता है।
मोमेंटम इंडिकेटर।
इस प्रकार के इंडिकेटर उस शेयर में ट्रेडिंग कर रहे लोगों के मानसिक स्थिति के आधार पर तथा कीमत की गति और तीव्रता को मापने का कार्य करता है। इसके कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित है।
1) स्टार कास्टिक ऑस्किलेटर = यह ट्रेडिंग के दौरान उस शेयर की वर्तमान कीमत की तुलना उसके उच्चतम अर्थात शेयर का सबसे मतलब की इन दोनों कीमतों से आपस में तुलना करता है। ताकि ट्रेडर के द्वारा संभावित प्रवृत्ति की पहचान की जा सके। यह एक ऐसी प्रवृत्ति होती है जिसमें हम शेयर के सटीक भाव का अंदाजा लगा सकते हैं।
2) रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स = यह शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हुए किसी कंपनी के भाव को प्रदर्शित करता है। जिसमें बाजार के ओवरबॉट जिसका मतलब अत्यधिक रूप से खरीदा हुआ शेयर तथा इसके विपरीत ओवरसोल्ड यानी कि सबसे ज्यादा बेचा हुआ शेयर के समय को बतलाने का कार्य करता है, मतलब कि, एक ट्रेडर को आर एस आई (RSI) के माध्यम से यह पता लगा सकता है कि, शेयर ओवरबॉट जोन में है या ओवरसोल्ड जोन में।
वोलैटिलिटी इंडिकेटर।
यह शेयर बाजार में ट्रेडिंग के दौरान उस कंपनी के भाव में स्थिरता और कीमतों के होने वाले उतार-चढ़ाव को बड़ी ही आसानी से मापने का कार्य करता है। इसके प्रमुख उदाहरण बोलींजर बैंड्स तथा मूविंग एवरेज है।
1) बोलिन्जर बैंड्स = इस इंडिकेटर की मदद से कीमत की स्थिरता को मापने के लिए सही प्रकार से मूविंग एवरेज के साथ ऊपर तथा नीचे की सीमाओं का उपयोग किया जाता है।
2) मूविंग एवरेज = इस प्रकार के इंडिकेटर की मदद से आप किसी भी कंपनी के कीमत रेंज में आने वाले भविष्य में बदलावों को मापने का कार्य किया जाता है। जो सबसे ज्यादा ट्रेडरों के बीच में लोकप्रिय भी है।
वॉल्यूम इंडिकेटर।
वॉल्यूम इंडिकेटर साफ-साफ तौर पर ट्रेडिंग के दौरान उस कंपनी में ट्रेड कर रहे खरीददारों और विक्रेताओं की संख्या को विश्लेषण करके यह सिद्ध कर देता है कि, इसके अंतर्गत मुख्य रूप से ऑन बैलेंस वॉल्यूम के साथ-साथ वॉल्यूम की भी गणना की गई है।
1) ऑन बैलेंस वॉल्यूम = यह वॉल्यूम की स्थिति को संबंधित कंपनी में ट्रेड करने की योजना को प्रदर्शित करता हैं। यह वॉल्यूम का उपयोग करके शेयर बाजार में ट्रेडिंग प्रवृत्तियों की ताकत की पुष्टि करने का कार्य करता है।
2) वॉल्यूम = वॉल्यूम की सहायता से आप किसी स्टॉक की खरीदारी या बिक्री की संख्या को आपके ट्रेडिंग के दौरान संकट के रूप में प्रदर्शित करता है। यदि (किसी स्टॉक को कितनी बार खरीदा या बेचा गया है) इसका सटीक अंदाज़ा लगाया जाता है।
सबसे ज्यादा उपयोग होने वाले ट्रेडिंग इंडिकेटर।
रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI)
रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स यह एक अधिक उपयोग की जाने वाली टेक्निकल एनालिसिस इंडिकेटर है, जो ट्रेडर को बाजार की प्रवृत्ति तथा होने वाले संभावित उलट-फेर का वास्तविक मूल्यांकन करने में आपकी मदद करता है। RSI की गणना लास्ट के 14 दोनों के दौरान उस कंपनी के शेयर के भाव तथा कुल लाभ और हानि के आधार पर विश्लेषण किया जाता है। यह एक मोमेंटम इंडिकेटर के अंतर्गत रखा जाता है जो 0 से लेकर 100 के बीच में अपने वैल्यू के माध्यम से ट्रेडरों को खरीदारी या बिकवाली का संभावित संकेत प्रदान करता है। इस इंडिकेटर का उपयोग मुख्य रूप से शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग तथा फॉरेक्स ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा किया जाता है। इस इंडिकेटर की सहायता से किसी भी ट्रेडिंग के दौरान आप आसानी से पहचान सकते हैं कि, आपको कब उस शेयर को खरीदना है और कब उस शेयर को बेचना है।
RSI का मान जब 70 के लेवल को पार करता है। तब यह ऐसे संकेत के रूप में माना जाता है कि, अब यहां से बाजार ओवरबॉट स्थिति में पहुंच चुका है। जिसका सीधा सा मतलब होता है कि, अब इस स्थिति से शेयर का भाव गिरने की अत्यधिक संभावना होती है। इसी के विपरीत जब RSI का मान 30 के नीचे होता है। तब यह नए निवेश के लिए खरीदारी का अवसर माना जाता है।
शेयर बाजार में अत्यधिक ट्रेडर आमतौर पर RSI को ही उपयोग करता है। लेकिन इसके साथ-साथ मूविंग एवरेज और MACD दोनों का ही ट्रेडिंग के दौरान उपयोग करना आसान है। इसीलिए इनका सही उपयोग करके ट्रेडरों को बहुत ही कम समय के दौरान सटीक निर्णय लेने में मदद मिलती है। आप कुल मिलाकर ऐसा भी कह सकते हैं कि, रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स (RSI) एक सबसे ज्यादा प्रभावी और लोकप्रिय टेक्निकल इंडिकेटर्स में से एक है।
मूविंग एवरेज (MA)
टेक्निकल एनालिसिस के दौरान आपने कई बार मूविंग एवरेज इंडिकेटर के बारे में सुना ही होगा। इस इंडिकेटर का उपयोग ट्रेड समय श्रृंखला डाटा के आधार पर संकेत प्रदान करता है। यह एक बेहतरीन तकनीक के रूप में जाना जाता है, जो डाटा के उतार-चढ़ाव को काफी हद तक कम करके उसके सामान्य रुझान कि, अब क्या शेयर का भाव बढ़ेगा या घटेगा को पहचानने में मदद करता है। मूविंग एवरेज को कई प्रकार से विभाजित किया गया है। जिसके अंतर्गत सरल मूविंग एवरेज, वेटेज मूविंग एवरेज और एक्स्पोनेंशियल एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेज के रूप में जाना जाता है
ट्रेडिंग के दौरान या फिर जब आप टेक्निकल एनालिसिस करते हैं। तब मूविंग एवरेज का प्रयोग शेयर की कीमतों के रुझान को पहचानने में तथा संकेत देने में एक ट्रेडर की मदद करता है। इसके साथ ही भविष्य मॉडलिंग और स्टॉक मार्केट विश्लेषण के रूप में अधिक प्रयोग किया जाता है।
मूविंग एवरेज मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।
1) सरल मूविंग एवरेज। = यह एक मूविंग एवरेज की साधारण तकनीक है। जो यह निश्चित करता है कि, एक सही समय अवधि में उस कंपनी के भाव के डेटा बिंदुओं का औसत निकालने में उपयोग होता है। उदाहरण के लिए, 10 दिनों का सरल मूविंग एवरेज पिछले 10 दिनों की औसत होगा।2) वेटेज मूविंग एवरेज। = इसका उपयोग आप तब करते हैं। जब एनालिसिस के दौरान उस कंपनी के हाल ही में हुए डाटा प्वाइंट्स के परिवर्तनों के आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि, शेयर यहां से कौन से लेवल तक पहुंच सकता है। इसमें प्रत्येक डाटा बिंदुओं को एक विशेष रूप से वेटेज प्रदान किया जाता है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि, छोटे-छोटे बिंदुओं को भी महत्व दिया जाता है ताकि यह अधिक प्रभावी और संवेदनशील हो सके।
3) एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेज। = यह एक सबसे अधिक और सटीक मूविंग एवरेज के प्रकारों में से एक है। क्योंकि यह ऐसी डाटा के आधार पर विश्लेषण करता है, जो हाल ही के डाटा को तेजी से बदलाव की अनुमति प्रदान करता है। इसके अंतर्गत पिछले डाटा बिंदुओं को घटाने का सर्वाधिक महत्व होता है। जिसकी वजह से यह तेजी से बदल रहे शेयर्स के भाव के रुझानों का पता लगाया जा सकता है।
टेक्निकल एनालिसिस के दौरान ट्रेडर्स अक्सर मूविंग एवरेज के क्रॉसओवर का उपयोग करते हैं। जब एक बहुत ही कम अवधि का मूविंग एवरेज एक लंबे समय के मूविंग एवरेज को पार करती है, तब इस स्थिति में ट्रेडर्स इस शेयर खरीदने या बेचने का संकेत प्राप्त करता है। इसके अलावा मूविंग एवरेज के उपयोग से आर्थिक डाटा, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तथा बेरोजगारी दर के विश्लेषण को भी किया जाता है।
MACD (मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस)
मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (MACD) यह एक सर्वाधिक लोकप्रिय टेक्निकल इंडिकेटर के रूप में जाना जाता है। जिसका उपयोग हर प्रकार के ट्रेडिंग में आसानी से किया जा सकता है। यह इंडिकेटर दो मूविंग एवरेज की सहायता से शेयर बाजार के ट्रेंड की दिशा और उसकी गति दोनों का ही सटीक का अनुमान लगाने में ट्रेडर्स की मदद करता है। इसके प्रमुख तीन घटक होते हैं जैसे कि, एमएसडी लाइन, हिस्टोग्राम तथा सिग्नल लाइन।
जब MACD की रेखा, सिग्नल रेखा को ऊपर की तरफ काट देती है मतलब कि, क्रॉस कर देती है। तो यह ट्रेडर्स के लिए खरीदारी का सिग्नल होता है और जब MACD रेखा सिग्नल रेखा को नीचे की तरफ क्रॉस करती है। तो इस प्रकार के सिग्नल से हमें यह संकेत मिलता है कि, अब शेयर को बेच देना चाहिए। अर्थात यह सेल सिगनल को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा भी जब MACD और मार्केट प्राइस के बीच डायवर्जेंस होता है तब ऐसी स्थिति में यह संभावित ट्रेंड रिवर्सल (अगर बाजार की चाल अपट्रेंड में था तो अब यह डाउनट्रेंड में बदलने वाला है।) की जानकारी एक संकेत के रूप में प्रदान करता है। यह इंडिकेटर सिर्फ शेयर बाजार में ही ज्यादा प्रभावित नहीं है बल्कि इसका व्यापक रूप से उपयोग क्रिप्टो करेंसी तथा कमोडिटी ट्रेडिंग के दौरान भी किया जाता है। MACD का सही तरीके से उपयोग करने के लिए अन्य टेक्निकल एनालिसिस के इंडिकेटर जैसे कि, RSI और बॉलिंगर बैंड्स के साथ इसका उपयोग करना एक सफल ट्रेडर की पहली पसंद होती है।
बॉलिंजर बैंड्स।
बोलींजर बैंड्स, एक प्रमुख रूप से उपयोग किए जाने वाला टेक्निकल एनालिसिस का इंडिकेटर है। जिसका उपयोग शेयर बाजार के साथ-साथ क्रिप्टोकरंसी तथा फॉरेक्स मार्केट में भी किया जाता है। शेयर बाजार में किसी कंपनी के मूल्य की स्थिरता मतलब कि वोलैटिलिटी को मापने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इस इंडिकेटर की खोज जॉन बोलींजर के द्वारा सन 1980 में किया गया था। बोलींजर बैंड्स प्रमुख रूप से तीन लाइनों का अनुसरण करके एक साथ जोड़कर बनाया जाता है। जिसमें एक मिडिल बैंड (जो कि एक साधारण मूविंग एवरेज कहलाता है।) इसके साथ ही अपर बैंड और लोअर बैंड के द्वारा भी आप शेयर के भविष्य में होने वाले ट्रेंड में बदलाव को आसानी से समझ सकते हैं।
जब भी किसी स्टॉक की कीमत अपर बैंड के आसपास पहुंचती है तब ऐसी स्थिति को ओवरबॉट की स्थिति मानी जाती है। इसका मतलब यह होता है कि, अब जिस स्तर पर मार्केट खड़ा हुआ है तो यहां पर अत्यधिक रूप से खरीदारी हो चुकी है। जिसकी वजह से अब उसमें गिरावट हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ जब कीमत लोअरबैंड के आस-पास पहुंच जाती है तब ऐसी स्थिति को ओवरसोल्ड की स्थिति मानी जाती है जिसका मतलब यह होता है कि, शेयर की कीमतें अब बढ़ सकती हैं। बोलींजर बैंड्स का उपयोग सबसे ज्यादा ब्रेक आउट और रिवर्सल की पहचान करने में सबसे अधिक रूप से अनुभवी ट्रेडरों द्वारा उपयोग किया जाता है। जब आप शेयर बाजार में नए ट्रेडर्स के रूप में इस बॉलिंगर बैंड्स इंडिकेटर का उपयोग करते हैं तो ऐसी स्थिति में आपको ज्यादा कंफर्मेशन के साथ MACD और RSI का उपयोग करके आप अपनी ट्रेडिंग में लगातार सफलता प्राप्त कर सकते है।
इंडिकेटर का सही तरीके उपयोग।
शेयर बाजार में टेक्निकल एनालिसिस का सही उपयोग करना एक सफल ट्रेडर और निवेदक दोनों के लिए बहुत ही जरूरी हो जाता है। शेयर बाजार में टेक्निकल एनालिसिस के लिए मुख्य इंडिकेटर जैसे MACD, RSI, बोलिंजर बैंड्स और मूविंग एवरेज होते हैं। जिन्हें सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। इसलिए आप trading indicators in hindi के इस लेख के माध्यम से इंडिकेटर को समझें।
इनका मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार में चल रहे ट्रेंड्स वोलैटिलिटी और संभावित रूप से होने वाले रिवर्सल को पहचानने में ट्रेडर की मदद करना होता है लेकिन इसका सही तरीके से उपयोग करना के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का भी ध्यान में रखना अति आवश्यक है, जो निम्नलिखित है।
इंडिकेटर के टाइम फ्रेम को समझने का प्रयास करें।
शेयर बाजार में जितने भी प्रकार के इंडिकेटर होते हैं। यह एक निश्चित समय सीमा के अनुसार ही काम करते हैं। मतलब कि, अलग-अलग इंडिकेटर अलग-अलग समय पर विश्लेषण करते हैं। मान लीजिए कि, अगर आप शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कर रहे हैं। तो इसके लिए आपको छोटे से छोटे टाइम फ्रेम के इंडिकेटर को चुनना पड़ेगा लेकिन इसके विपरीत अगर आप लॉन्ग टर्म निवेश के लिए जा रहे हैं। तब ऐसी स्थिति में आपको बड़े टाइम फ्रेम वाले इंडिकेटर को अपने ट्रेडिंग के दौरान उपयोग करना बेहतर रहेगा।
एक ही इंडिकेटर पर निर्भर ना रहें।
जब आप शेयर बाजार में नए ट्रेड के रूप में काम कर रहे होते हैं। तब ऐसी स्थिति में आपको अपने ट्रेडिंग में ज्यादा से ज्यादा कन्फर्मेशन की जरूरत होती है। जिसके लिए आपको अधिक से अधिक इंडिकेटर द्वारा बताए गए संकेत का अध्ययन करते हुए ट्रेडिंग की योजना बनाएं। केवल एक ही इंडिकेटर का उपयोग न करें क्योंकि केवल एक इंडिकेटर का उपयोग करके ट्रेडिंग निर्णय लेना आपके लिए बड़ा ही जोखिम हो सकता है क्योंकि आप नए ट्रेडर हैं इसीलिए आपके लिए बेहतर होगा कि, आप दो या तीन इंडिकेटर का ऐसा कांबिनेशन बनाएं। ताकि आपको सही और सटीक सिग्नल्स प्राप्त हो सके। उदाहरण के लिए, जब आप बोलिंजर बैंड्स को MACD या फिर RSI के साथ जोड़ते हैं, तब ऐसी स्थिति में आपको बेहतर रिजल्ट देखने को मिल सकते हैं।
फॉल्स सिग्नल से हमेशा दूर रहें।
शेयर बाजार में कई बार ऐसा होता है कि, नए-नए ट्रेडर्स ऐसे इंडिकेटर का उपयोग कर लेते हैं। जो कई बार फाल्स सिग्नल जिसका मतलब है कि, गलत संकेत भी प्रदान कर देते हैं। जैसे कि, MACD क्रॉसओवर या फिर RSI ओवरबॉट तथा ओवरसोल्ड कंडीशन। इसीलिए हमारा मानना है कि, फाल्स सिग्नल से बचने के लिए इंडिकेटर की पुष्टि जरूर कर लें। इसके साथ ही और भी अन्य टेक्निकल इंडिकेटर के साथ उस कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस भी जरूर करें।
इमोशनल होकर ट्रेड ना करें।
टेक्निकल इंडिकेटर का उपयोग करके आप एक प्रकार से ऑब्जेक्टिव दृष्टिकोण से ट्रेडिंग को देखने का प्रयास करते हैं। इसीलिए आपके लिए जरूरी होगा कि, ट्रेडिंग के दौरान अपनी भावनात्मक विचारों को दूर रखें। मन में उठने वाले ख्यालों को ध्यान न देते हुए आप उस शेयर के चार्ट तथा इंडिकेटर से प्राप्त सिगनल्स का उपयोग करते हुए ट्रेडिंग के प्रक्रिया पर ध्यान दें। इंडिकेटर का सही तरीके से उपयोग करने के लिए, इमोशंस को अपने ट्रेडिंग के ऊपर हावी न होने दे। क्योंकि इसके बुरे परिणाम भी हो सकते हैं। आप जिस भी प्रकार के टेक्निकल इंडिकेटर का उपयोग करें उस पर पूरी तरह से भरोसा करें। उसकी बार-बार बैक टेस्टिंग करें। इसके साथ ही अनुशासन की रणनीति को अपनाते हुए ट्रेडिंग को सफल बनाएं।
पेपर ट्रेडिंग के साथ समझदारी से बैक टेस्टिंग भी करें।
किसी भी ट्रेडर को इंडिकेटर का उपयोग करने से पहले उसके रिजल्ट के प्रतिशत को भी जानना जरूरी होता है। कि आखिर यह इंडिकेटर कितने प्रतिशत इफेक्टिव रूप से ट्रेडिंग के दौरान कार्य करता है? इसके साथ ही आप अलग-अलग प्रकार के मार्केट कंडीशंस के आधार पर भी इस इंडिकेटर को बैक टेस्टिंग करते हुए। आप उस पर भरोसा दिखा सकते हैं। इसकी वजह से आपके द्वारा उपयोग किए जाने वाले इंडिकेटर की सटीकता तथा इसकी लिमिटेशन को आप ध्यान में रखते हुए ही ट्रेडिंग करेंगे, क्योंकि आपको इस इंडिकेटर पर बार-बार बैक टेस्टिंग करने की वजह से ही भरोसा आएगा।
इंट्राडे ट्रेडिंग में सफलता के लिए।
इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान सही प्रकार से इंडिकेटर का उपयोग तथा उसका ज्ञान होना आवश्यक होता है। इंट्राडे में सफलता प्राप्त करने के आपके अनुभव के साथ-साथ इंडिकेटर का अच्छा ज्ञान होना भी जरूरी होता है। इंट्राडे ट्रेडर्स को तेजी से बदलते हुए शेयर बाजार में छोटे-छोटे मुनाफे पर अपना ध्यान लगाना चाहिए। इसीलिए उन्हें सटीक तथा तेजी से सिग्नल प्रदान करने वाले इंडिकेटर का उपयोग करना होगा। जैसे मूविंग एवरेज यह एक प्रमुख इंडिकेटर है जो बाजार के ट्रेंड को आसानी से समझने के लिए आपकी मदद करता है। इस इंडिकेटर का सर्वाधिक उपयोग कम समय यानी कि शॉर्ट टर्म मूवमेंट को पहचानने के लिए अधिक रूप से किया जाता है।
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इसके बाद दूसरा महत्वपूर्ण इंडिकेटर रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स (RSI) है। जो ट्रेडरों को यह बताने का प्रयास करता है कि, स्टॉक अभी किस स्थिति में है मतलब कि स्टॉक ओवरबॉट या फिर ओवरसोल्ड स्थिति में है या नहीं। इसके साथ ही बोलिंजर बैंड्स का भी उपयोग आप कर सकते हैं। जो शेयर बाजार में उस कंपनी के वोलैटिलिटी को मापने के लिए अधिक रूप से उपयोग किया जाता है।
बोलींजर बैंड्स कीमतों को ऊपर और नीचे के लेवल को सपोर्ट और रेजिस्टेंस के माध्यम से प्रदर्शित करने का प्रयास करता है। इसके साथ ही संभावित रूप से होने वाले ब्रेकआउट को पहचान में आपकी मदद करता है। इसके अलावा मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (MACD) भी एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर होता है। जो ट्रेडर के रिवर्सल पैटर्न की पहचान करने में आपके काम आ सकता है। यह वॉल्यूम इंडिकेटर के रूप में कार्य करता है, जो ट्रेडिंग खासकर के इंट्राडे ट्रेडिंग में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान यह किसी भी स्टॉक की खरीदी और बिक्री में निवेशकों की रुचि को संकट के रूप में प्रदर्शित करता है। जिसे हम वॉल्यूम इंडिकेटर के रूप से भी पहचानते हैं इसलिए आप इन सभी इंडिकेटर का बार-बार तथा बेहतर ट्रेडिंग की रणनीति बनाने के लिए अभ्यास करते हुए बड़े मुनाफे के मौके तालाश सकते हैं और अच्छे कन्फर्मेशन के साथ अपने ट्रेडिंग को सफल बना सकते हैं।
त्वरित सारांश।
इस लेख में हमने आपको what is the most popular trading indicator तथा ट्रेडिंग के दौरान सभी प्रकार के लोकप्रिय इंडिकेटर का सही प्रकार से उपयोग करने की विधि को समझाने का प्रयास किया है। जिसमें हमने MACD, RSI, बोलिंजर बैंड्स तथा मूविंग एवरेज को बड़े ही विस्तार से उनके अलग-अलग उद्देश्यों तथा अलग-अलग समय के दौरान किस प्रकार के रिजल्ट देने में वे सक्षम है उन्हें भी समझने का प्रयास किया है। इस लेख को पढ़ने के बाद एक नए ट्रेंड यह समझ पाएगा कि, उसे किस प्रकार से इन इंडिकेटरों का उपयोग करना है। ताकि वह मात्र एक ही इंडिकेटर पर निर्भर ना रहे।
अलग-अलग टाइम फ्रेम के हिसाब से इंडिकेटरों का चुनाव करने की पूरी विधि को विस्तार से समझाया है। हमने यह भी बताया कि, आप किस प्रकार से फाल्स सिग्नल से बचकर सही सिग्नल को पकड़ने का प्रयास कर सकते हैं। इसके साथ ही आप इन इंडिकेटरों की बैक-टेस्टिंग करते हुए इमोशंस रहित ट्रेडिंग का अभ्यास करके अपने लाभ को अधिक से अधिक प्रतिशत में कमाने का प्रयास कर सकते हैं।
इस लेख में बताए गए इंडिकेटरों की जिस प्रकार से हमने व्याख्या की है। इसे पढ़ने और समझने के बाद अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो कृपया करके अपने ट्रेडर भाइयों के साथ इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करें। ताकि एक नए ट्रेडर होते हुए उन्हें भी शेयर बाजार के टेक्निकल एनालिसिस के दौरान उपयोग किए जाने वाले सभी प्रकार के इंडिकेटरों की सही जानकारी प्राप्त हो सके।
धन्यवाद।
FAQ
Q.1 सबसे ज्यादा प्रभावी इंडिकेटर कौन सा है?
किसी भी एक इंडिकेटर को सबसे ज्यादा प्रभावी कहना थोड़ा मुश्किल होगा। क्योंकि हर इंडिकेटर का उपयोग अलग-अलग शेयर मार्केट के कंडीशंस, टाइम फ्रेम और अलग-अलग प्रकार की रणनीतियां पर निर्भर करते है। लेकिन हां कुछ इंडिकेटर ऐसे होते हैं जिनका उपयोग अधिक लोगों द्वारा किया जाता है। इसके साथ ही इनके परिणाम अच्छे होते हैं। जैसे कि, RSI, MACD तथा वॉल्यूम इंडिकेटर जिनका प्रयोग करके तथा बार-बार अभ्यास करके आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि, कौन सा इंडिकेटर आपके लिए सबसे ज्यादा प्रभावित रहेगा।
Q.2 कौन सा इंडिकेटर खरीदने और बेचने के सिग्नल देता है?
टेक्निकल एनालिसिस के दौरान कई इंडिकेटर ऐसे हैं जो आपको खरीदने और शेयर्स को बेचने के सिग्नल्स प्रदान करते हैं। जैसे कि, मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (MACD) जो कि आपको सिग्नल लाइन को नीचे से क्रॉस करने पर उसे खरीदने का सिग्नल देता है। तथा जब मैक की लाइन सिग्नल लाइन को ऊपर की ओर क्रॉस कर देती है। तब आपको बेचने का सिग्नल प्रदान करता है। इसी प्रकार रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स (RSI) जो कि, 70 के ऊपर जाने पर आपको उसे शेयर को बेचने का सिग्नल देता है और जब यह 30 के नीचे होता है। तब आपको खरीदारी का सिग्नल प्रदान करता है। इसी प्रकार मूविंग एवरेज जब शॉर्ट टर्म यानी कि, 50 दिनों की तथा लॉन्ग टर्म मतलब कि, 200 दिनों को ऊपर की तरफ काटता है। तो यह शेयर को बेचने का सिग्नल दे रहा होता है। इसी के विपरीत जब यह नीचे की ओर काटता है तो यह शेयर को खरीदने के सिग्नल दे रहा होता है।
Q.3 ट्रेडिंग व्यू के लिए सबसे अच्छा इंडिकेटर कौन सा है?
ट्रेडिंगव्यू के लिए सबसे अच्छी टेक्निकल एनालिसिस का इंडिकेटर पूरी तरह से आपके ऊपर निर्भर करता है कि, आप किस प्रकार के ट्रेंड है इसके साथ ही आपको ट्रेडिंग का कितना अनुभव है क्योंकि हमने इस लेख में जितने भी प्रकार के इंडिकेटरों का विस्तार से वर्णन किया है। वह अलग-अलग टाइम फ्रेम तथा अलग-अलग मार्केट कंडीशंस के आधार पर व्यवहार करते हैं।
Q.4 ट्रेडिंग का नंबर 1 नियम क्या है?
शेयर बाजार में ट्रेडिंग तथा निवेश के लिए नंबर वन नियम मात्र यही है कि, आप अपनी पूंजी को कभी भी ना कोई इसके साथ ही आप अपने जोखिम जोखिम के प्रबंधन भी करें।
Q.5 स्टॉक खरीदते समय कौन से इंडिकेटर देखने चाहिए?
स्टॉक को खरीदते समय आप ज्यादा कन्फर्मेशन के लिए अधिक से अधिक इंडिकेटर को देख सकते है। लेकिन हा शेयर बाजार में जो सबसे लोकप्रिय है। उनका अनुसरण करना आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
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