Market trends kaise analyze kare

अप ट्रेंड, डाउन ट्रेंड और साइडवेज ट्रेंड की पहचान। Market trends kaise analyze kare

Swing Trading Strategy

इस लेख में हमने Market trends kaise analyze kare इसके बारे में पूरी जानकारी के साथ अलग-अलग समय में ट्रेंड्स की पहचान कैसे की जाती है? इसको भी समझाने का प्रयास किया है।

Definition of Market Trends

Market trends kaise analyze kare
Market trends kaise analyze kare

मार्केट ट्रेंड्स बाजार की दिशा को प्रदर्शित करता है। मार्केट ट्रेंड्स का मतलब यह होता है कि, मान लीजिए किसी वस्तु या फिर किसी स्टॉक इत्यादि के मूल्य और मांग दोनों की डिमांड समय के साथ घटती या बढ़ती है तो इसी स्थिति को ट्रेंड्स कहा जाता है।

बाजार के ट्रेंड्स का अध्ययन करने से एक ट्रेडर को यह समझने में मदद मिलती है कि, कौन से स्टॉक भविष्य में अधिक सफल हो सकते हैं और किस दिशा में उसको निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है। इसी कारण से बाजार के ट्रेंड का एनालिसिस करना ट्रेडर के आर्थिक निर्णय को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Market trends kaise analyze kare

Market trends kaise analyze kare
Market trends kaise analyze kare

मार्केट ट्रेंड्स का एनालिसिस करने के लिए आप दो प्रकार से पालन कर सकते हैं। जिसमें पहले आप अप ट्रेंड (up trend), डाउन ट्रेंड (down trend) और साइड वेज ट्रेंड (sideways trend) को पहचानते हुए ट्रेंड्स की पहचान करते हैं। दूसरी रणनीति में आप अलग-अलग टाइम फ्रेम के अनुसार ट्रेंड्स को पहचानने का प्रयास करते हैं।

  1. Up Trend

    अप ट्रेंड (up trend) का मतलब यह होता है कि, शेयर बाजार में किसी स्टॉक का मूल्य में लगातार वृद्धि का होना। जब किसी स्टॉक का मूल्य समय के साथ लगातार ऊपर की दिशा की ओर बढ़ता है, ऐसी स्थिति को अप ट्रेंड कहा जाता है।

    यह इस बात का संकेत होता है कि उसे स्टॉक में ट्रेंड और निवेशकों का सकारात्मक दृष्टिकोण है और भविष्य में अधिक खरीदारी के साथ उसे स्टॉक के मूल्य में वृद्धि का उम्मीद अधिक है। यह निवेशक और ट्रैक्टरों के लिए एक लाभदायक अवसर उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  2. Down Trend

    अप ट्रेंड के विपरीत जब किसी स्टॉक के मूल्य में समय के साथ लगातार गिरावट होती है। तब ऐसी स्थिति को डाउन ट्रेंड कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर बाजार में नकारात्मक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है। जो कि, उस स्टॉक में घटती मांग या फिर खराब रिजल्ट के कारण उत्पन्न होती है।

    डाउन ट्रेंड यह प्रदर्शित करता है कि, निवेशक उस स्टॉक को लेकर ज्यादा उत्सुक नहीं है और भविष्य में उसकी कीमत गिरने की ज्यादा संभावनाएं है। डाउन ट्रेंड का सही समय पर पता लगा लेने से निवेशक को और ट्रेडर को अपने जोखिम कम करने के साथ-साथ उचित निर्णय लेने में भी काफी मदद मिलती है।

  3. Sideways Trend

    साइड वेज ट्रेंड (sideways trend) एक दुविधा वाली स्थिति होती है, जिसमें एक ट्रेडर या निवेशक के रूप में आपको यह समझने में परेशानी होती है कि, उस स्टॉक के मामले में आने वाले कुछ समय के दौरान वृद्धि होने वाली है या फिर गिरावट। साइड वेज ट्रेंड के दौरान स्टॉक एक निश्चित सीमा के अंतराल में ऊपर नीचे होते रहता है। इस स्थिति को साइड वेज ट्रेंड (sideways trend), कंसोलिडेशन या फिर रेंज बाउंड की स्थिति भी कहा जाता है।

    इसमें कोई स्पष्ट रूप से यह समझ विकसित नहीं होती कि, बाजार ऊपर की दिशा की ओर जाने वाला है या फिर नीचे की दिशा की ओर। ऐसी स्थिति में एक निवेशक को जब तक अच्छे से कंफर्मेशन ना मिल जाए कि, अब यहां से यह स्टॉक ऊपर जाएगा या फिर नीचे तब तक उसमें एंट्री बनाने का प्रयास नहीं करें तो बेहतर रहेगा।

Time Frame के अनुसार Market Trends

टाइम फ्रेम के अनुसार जब एक ट्रेडर उस स्टॉक को एनालाइज करने जाता है, तब उसे मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन प्रकार के टाइम फ्रेम का एनालिसिस करना होता है।

  1. लंबी अवधि के ट्रेंड्स (Long-term Trends)

    लंबी अवधि के ट्रेंड 10 वर्षों तक चल सकते हैं। यह बाजार के एक लंबी अवधि की दिशा को प्रदर्शित करते हैं। सामान्य रूप से लंबी अवधि की ट्रेंड्स को हर साल, दशक या फिर उससे भी अधिक के समय तक देखा जाता है।

    उदाहरण के लिए, यदि किसी भी स्टॉक या उसके सेक्टर में लगातार कई दशकों से वृद्धि हो रही है, तो वह एक लंबी अवधि का ट्रेंड माना जाता है। इसी का फायदा उठाते हुए निवेशक इसे दीर्घकालिक निवेश की योजना बनाने का प्रयास करते हैं।

  2. मध्यम अवधि के ट्रेंड्स (Medium-term Trends)

    मध्यम अवधि के ट्रेंड्स कुछ महीनो से लेकर, एक या दो साल तक चलते रहते हैं। बाजार में अगर थोड़ी-सी भी अस्थिरता या फिर कुछ प्रमुख घटनाओं की वजह से उस स्टॉक के ट्रेंड्स का रुझान बदल सकता है।

    उदाहरण के लिए मान लीजिए कि, किसी कंपनी का सालाना परिणाम या फिर उद्योग में हो रहे बड़े बदलाव के कारण मध्यम अवधि के ट्रेंड्स उत्पन्न होते हैं। जो एक ट्रेडर और निवेशक को 1 साल के दौरान अधिक लाभ अर्जित करने का खास मौका होता है।

  3. छोटी अवधि के ट्रेंड्स (Short-term Trends)

    शॉर्ट टर्म ट्रेंड्स ऐसे ट्रेंड्स होते हैं। जो कुछ दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक चलते रहते हैं। उनकी संवेदनशीलता अधिक तथा स्टॉक में तेजी अधिक रूप से होती है।

    शॉर्ट टर्म ट्रेंड्स को पहचानने के लिए आपको टेक्निकल एनालिसिस का सहारा लेना पड़ता है ताकि, आप सही तरीके से सही समय पर बाजार के उतार चढ़ाव को पहचान सकें। अधिकतर ट्रेडर और निवेशक शॉर्ट टर्म ट्रेंड्स का ही उपयोग करते हैं क्योंकि उनके पास इन्हीं तात्कालिक अवसरों का लाभ उठाने की कोशिश रहती है।

Tools and Resources for Market Trend Analysis

  • Trading Platforms

    मार्केट ट्रेंड का एनालिसिस करने के लिए आप मुख्य दो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जैसे ट्रेडिंगव्यू तथा मेटा ट्रेडर का उपयोग कर सकते हैं।

    ट्रेडिंगव्यू शेयर बाजार के प्रत्येक कंपनियों के चार्ट और टेक्निकल एनालिसिस करने का एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म के रूप में काम करता है। इसकी सहायता ट्रेडर और निवेशक को बाजार के ट्रेंड्स की पहचान के साथ-साथ इन स्टॉक्स का विश्लेषण करने में काफी मदद मिलती है।

    मेटा ट्रेडर एक प्रमुख ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर है जो कि, फॉरेक्स मार्केट में ट्रेडिंग के लिए बनाया गया है। मेटा ट्रेंड को दो प्रकार से उपयोग किया जाता है। जिसमें पहला है, मेटा ट्रेडर 4 और दूसरा है, मेटा ट्रेडर 5 यह दोनों ही प्लेटफार्म मार्केट के ट्रेंड्स को पहचानने के लिए ट्रेडिंग की सही रणनीति बनाने के लिए तथा ऑटोमेटेड ट्रेडिंग (जिसे algo trading के नाम से भी जाना जाता है) में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहता है।

  • News Websites and Apps

    बाजार के ट्रेंड्स को पहचानने के लिए आप इन प्रमुख वेबसाइट जैसे कि, Bloomberg, CNBC, Yahoo Finance & investing.com का सहारा ले सकते हैं।

    इसके साथ ही अगर आईओएस (IOS) और एंड्रॉयड (Android) पर उपलब्ध इन एप्स तथा कुछ प्रमुख एप्स को भी डाउनलोड कर सकते है।

  • Books and Online Courses

    शेयर बाजार में किसी भी स्टॉक के ट्रेंड्स को एनालिसिस करने के लिए हमने कुछ प्रमुख किताब, ऑफलाइन और ऑनलाइन कोर्सेज को बताया हुआ है, जो निम्नलिखित है।

    अगर प्रमुख किताबें की बात करें हम तो उनमें सबसे पहला नाम राजीव ठाकुर द्वारा लिखी गई पुस्तक शेयर मार्केट के A to Z जानकारी, आर.के.गुप्ता द्वारा लिखी गई टेक्निकल एनालिसिस इन हिंदी पुस्तक, इसके साथ ही मनीष शुक्ला द्वारा लिखी गई प्रमुख पुस्तक निफ़्टी ऑप्शन ट्रेडिंग की सहायता से आप आसानी से ट्रेंड्स को पहचान का प्रयास कर सकते हैं।

    ऑनलाइन अगर कोर्सेज की बात करें हम तो उनमें निफ़्टी ट्रेडिंग अकैडमी की वेबसाइट के साथ-साथ यूट्यूब चैनल, Udemy पर स्टॉक मार्केट की एक अच्छी कोर्स जिसका नाम लर्न विद सुशील है। इसके साथ ही आप फ्री में स्टॉक मार्केट का विधिवत विश्लेषण सीखना चाहते हैं, तो उसके लिए जीरोधा वर्सिटी (Zerodha Varsity) द्वारा बनाई गई कोर्स से भी आप अपनी बुनियादी ट्रेडिंग को मजबूत बना सकते हैं।

सारांश (Conclusion)

इस लेख में हमने शेयर बाजार में किसी भी स्टॉक के चल रहे हैं ट्रेंड्स को समझने का प्रयास किया है। जिसके अंतर्गत बाजार में ट्रेंड्स क्या होते हैं?, मार्केट ट्रेंड्स को कैसे एनालाइज किया जाता है? जिसके अंतर्गत हमने अप ट्रेंड, डाउन ट्रेंड और साइड वेज ट्रेंड को भी समझने का प्रयास किया है। उसके साथ ही हमने यह भी बताया हुआ है कि, अलग-अलग टाइम फ्रेम के अनुसार आप किस प्रकार से लॉन्ग टर्म, मीडियम टर्म और शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग की रणनीतियों को समझ सकते हैं।

इसके साथ ही हमने कुछ प्रमुख Tools और रिसोर्सेस जो की मार्केट के ट्रेंड्स को एनालिसिस करने के लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, न्यूज वेबसाइट तथा कुछ प्रमुख एप्स को दर्शाया हुआ। इसके साथ ही कुछ प्रमुख ऑनलाइन कोर्सेज तथा हिंदी में लिखी गई अनुभवी ट्रेडरों के द्वारा लिखी किताब को भी बताया गया। इसके साथ ही हमने अपनी वेबसाइट में ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट की सही प्रक्रिया को भी बताया हुआ है।

इस लेख को पढ़कर अगर आपको थोड़ी बहुत भी अच्छी जानकारी मिली हो, तो कृपया करके इस पोस्ट को अपने ट्रेडर भाइयों के साथ अधिक से अधिक साझा करें।

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राहुल कुमार सोनी

राहुल कुमार सोनी एक वित्तीय बाजार लेखक हैं, जिन्हें शेयर बाजार, ट्रेडिंग और निवेश में 6 साल से अधिक का अनुभव है। वह बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग में ऑनर्स डिग्री के साथ एक बाजार निवेशक भी हैं।

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