intraday trading me share kaise kharide

intraday trading me share kaise kharide आसान 3 स्टेप्स।

Intraday Trading Strategy

आज के इस लेख में हम आपको intraday trading me share kaise kharide इस विषय पर विस्तार से स्टेप बाय स्टेप पूरी जानकारी देने वाले है। दोस्तों अगर आप शेयर मार्केट में एकदम ही नये है तथा आपको उतना नॉलेज नहीं है कि, कैसे किसी भी स्टॉक को बाय और सेल किया जाता है। इसीलिए हम बहुत ही सरल भाषा में हर एक स्टेप को बताने वाले हैं कि, शेयर बाजार में कोई भी शेयर को खरीदने का और बेचने का सही तरीका क्या होता है।

Table of Contents

intraday trading me share kaise kharide

तो चलिए करते हैं इस इंटरेस्टिंग लेख की शुरुआत। तो हम लोग ज़ीरोधा एप्लीकेशन में समझेंगे कि, कैसे शेयर बाजार में शेयर को खरीदा और बेचा जाता है। जरुरी नहीं है कि आपका डीमैट खाता जीरोधा में ही हो आप अपना डीमेट अकाउंट किसी और ब्रोकर के पास खुलवा सकते है। क्योकि सभी प्लेटफार्म के शेयर को खरीदने और बेचने का तरीका एक जैसा ही होता है। जो मैं आपको सिखाऊंगा वह तरीका को समझ लो बाकी आपका कहीं भी ब्रोकर है कोई दिक्कत होगी।

स्टेप -1 सही ब्रोकर का चयन।

How to Buy and Sell Stocks
How to Buy and Sell Stocks

पहले स्टेप में आपको अपने ट्रेडिंग प्लेटफार्म या ऐप को ओपन करना है। सबसे पहला प्रोसेस यह होता है कि, हमें अपने डीमेट खाते में पैसे को ऐड करना होगा। ऐप के अंदर जहां पर अकाउंट का ऑप्शन दिखाई देता है, इसमें आपको क्लिक कर देना है। उसके बाद वहां पर आपका ट्रेडिंग बैलेंस जीरो दिखा रहा होगा। यानी कि आपका जो डीमेट अकाउंट है उस डीमेट अकाउंट में अभी पैसा नहीं है। इसीलिए पैसे को ऐड करना पड़ेगा। ऐड फंड में क्लिक करने के बाद नीचे आपका जितना भी बैंक डिटेल्स होगा सब कुछ आ जाएगा आपको पैसे को ऐड करना है। कितना पैसा ऐड करना है, जितना आपका मर्जी उतना ऐड करना है। या फिर जितने रुपए का आपको शेयर को खरीदना है, उतना पैसा ऐड कर देना है।

उदाहरण के लिए, मान लीजिये कि, आपने यहाँ पर 1000 रुपए ऐड किया। या फिर आपको जितना पैसा ऐड करना है, उतना अमाउंट आपको यहां पे डाल देना है। इसके बाद आपको पेमेंट कर देना है। जिसके बाद आपका जो पैसा है वो ऐड हो जाएगा। अब आप शेयर बाजार में शेयर को खरीद पाएंगे और खरीदने के बाद उसको बेच पाएंगे।

ब्रोकर चुनने के प्रमुख मानदंड।

  • शुल्क और कमीशन।

Share kaise Buy aur Sell kare
Share kaise Buy aur Sell kare

शेयर बाजार में निवेश करते समय आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि, आपके ब्रोकर द्वारा लगाए जाने वाला शुल्क और कमीशन की भूमिका किस हद तक आपकी पोर्टफोलियो को प्रभावित करती है। यह शुल्क आमतौर पर जब भी आप ट्रेडिंग करते हैं, उसमें हर एक ट्रेडिंग के लेन-देन तथा वॉल्यूम को आधार माना जाता है। कमीशन की दरें अलग-अलग ब्रोकर के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। जिसकी वजह से निवेशक के कुल लागत पर सीधा असर पड़ता है। निवेशकों को अपने ब्रोकर का चयन करते समय सभी प्रकार के शुल्कों की जानकारी स्पष्ट रूप से ले लेनी चाहिए। ताकि वे अपने निवेश रणनीति को अच्छे ढंग से योजना बनाकर लंबे समय तक लाभ-दायक बने रहे।

  • प्लेटफॉर्म की सुविधाएँ (Features of the platform)

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शेयर बाजार में निवेश करते समय यह आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है कि, ब्रोकर के द्वारा आपको प्लेटफार्म में कौन-कौन सी सुविधाएं प्रदान की गई है। एक अच्छा ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ता को सहज, सरल और प्रभावी ट्रेडिंग अनुभव प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार के ब्रोकर अलग-अलग प्रकार से फंक्शन को ऐड करते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार की सुविधाएं शामिल हो सकती है जैसे कि, रियल टाइम मार्केट डाटा, टेक्निकल एनालिसिस, चार्ट के टूल्स और त्वरित ट्रेडिंग ऑर्डर की सुविधा। इसके अलावा कई प्लेटफार्म मोबाइल एप्लीकेशन के साथ-साथ वेब इंटरफेस की सुविधा भी प्रदान करती हैं। जिसकी वजह से निवेशक द्वारा कहीं भी और किसी भी प्लेटफार्म पर ट्रेड लेने में सुविधा होती है। इन सुविधाओं को सही जानकारी के साथ निवेशक बेहतर निर्णय लेने में सक्षम हो सकता है। अपने निवेश की यात्रा को अधिक लंबे समय तक सुचारू रूप से चला सकता है। 

स्टेप -2 डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना (Opening of Demat and Trading Account)

अब दूसरा स्टेप यह है कि, कैसे शेयर को खरीदा और बेचा जाता है। तो अब शेयर को खरीदना है। यहां पर सर्च वाला ऑप्शन है, यहां पर आपको सर्च करना है। आप किस कंपनी के शेयर को खरीदना चाहते हो। आप जिस भी कंपनी के शेयर को आपको खरीदना है, उसका नाम यहां पे डाल देना है।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि, आप HDFC के शेयर को खरीदना चाहते है। तो आप यहां पर HDFC नाम डाल देंगे।

देखिए यहां पर कोई भी शेयर आपको हमारी तरफ से बाय सेल का रिकमेंडेशन बिल्कुल भी नहीं है। हम आपको सिर्फ सिखाने के लिए HDFC को ही सर्च किया है। उसके बाद ऐप में बहुत सारे ऑप्शन आ जायेंगे। अब इसमें से कौन सा ऑप्शन को सिलेक्ट करना है यही प्रश्न आपके मन में आ रहे होंगे। जिसमे सबसे पहला आया कि, एनएससी (NSE) उसके बाद लिखा हुआ है, बीएससी (BSE) तो एनएससी में खरीदें या फिर बीएससी में खरीदें।

आप एक बात का ध्यान रखिये कि, आप चाहे एनएससी से खरीदो आप चाहे बीएससी से खरीदो बात एक ही है। ये दोनों मात्र एक्सचेंज है, यानी कि एनएससी (NSE) मतलब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बीएससी (BSE) मतलब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज। आप चाहे किसी भी एक्सचेंज से भी शेयर को खरीदे इससे कोई दिक्कत नहीं है। तो यहां से कोई सा भी एक ऑप्शन को सिलेक्ट कर लेना है।

डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच अंतर।

विशेषताडीमैट अकाउंटट्रेडिंग अकाउंट
उद्देश्यशेयरों तथा अन्य सिक्योरिटीज़ को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने के लिए।शेयरों और अन्य सिक्योरिटीज़ को खरीदने और बेचने के लिए।
फंक्शनकागजी दस्तावेज़ों को डिजिटल फॉर्म में बदलता है।ट्रेडिंग आदेशों की प्रक्रिया को पूरा करता है।
खाता प्रकारभंडारण खाता।लेन-देन खाता।
संचालनडिपॉज़िटरी के साथ संचालन किया जाता है।ब्रोकर के साथ संचालन।
लेन-देनशेयरों की खरीद और बिक्री के रिकॉर्ड को रखता है।शेयरों की खरीद और बिक्री के आदेश देता है।
जरूरतट्रेडिंग अकाउंट के साथ लिंक होना आवश्यक है।डीमैट अकाउंट के साथ लिंक होना आवश्यक है।
निगरानीशेयरों का सुरक्षित भंडारण और ट्रांसफर।ट्रेडिंग गतिविधियों का प्रबंधन करना।
उदाहरणएनएसडीएल (NSDL), सीडीएसएल (CDSL)ज़ीरोधा, एचडीएफसी सिक्योरिटीज़।

स्टेप – 3 शेयर की चयन और खरीदारी।

trading me share kaise kharide
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इस स्टेप में आप स्टॉक को सेलेक्ट करने के बाद आपको share market me share kaise kharide aur beche है। तो यहां पर BUY वाला जो ऑप्शन है, उसमें आपको क्लिक कर देना है। उसके बाद जैसे ही Buy वाला ऑप्शन पर क्लिक करोगे। देखिए वहां पर डिलीवरी और इंट्राडे लिखा हुआ रहता है। यह दो ऑप्शन है, जहा आपको एक ऑप्शन को सिलेक्ट करना है। इस शेयर को अगर डिलीवरी में खरीदोगे, तो आप जब चाहे तब उस शेयर को बेच सकते हो। इसका मतलब यह है, कि अगर आपने डिलीवरी में शेयर को खरीद लिया है, तो अब यह शेयर आपका हो गया है।

आप चाहे एक साल के बाद बेचो या आप चाहे तो 10 साल के बाद बेचो। चाहे इसको आप कभी ना बेचो, फिर भी कोई दिक्कत नहीं है। वहीं जब आप इंट्राडे के ऑप्शन पर क्लिक करके शेयर को खरीदोगे तो आपको आज ही के दिन इस शेयर को बेचना होगा। शेयर बाजार का जो टाइमिंग होता है, सुबह 9:15 बजे से शाम को 3:30 बजे तक। आपको उसी दिन बेचना होगा मार्केट बंद हो जाने से पहले ही बेचना होगा। अगर आप नहीं बेचते हो या किसी वजह से बेचना भूल जाते हो।

तो हो सकता है आपका जो ब्रोकर आपसे पेनल्टी भी ले-ले। आप जब चाहे तब शेयर को नहीं बेच सकते। इंट्राडे का मतलब यह है कि, आज के ही दिन आपको खरीदने के बाद आज ही बेचना होगा। जब आप लिमिट आर्डर में कई बार ऐसा भी होता है कि आप शेयर को बाय नहीं कर पाओगे अगर उस प्राइस तक शेयर का भाव नहीं गया तो मैं यहां पर मार्केट का भाव पर ही शेयर को खरीदने को प्रेरित करूंगा।

निवेश के लिए सही शेयर का चयन कैसे करें।

  1. कंपनी का वित्तीय स्वास्थ्य।

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किसी भी कंपनी का वित्तीय स्वास्थ्य आपके निवेश निर्णय को लेने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस बात की पुष्टि करने के लिए कि आप एक मजबूत और स्थिर कंपनी में निवेश कर रहे हैं। आपको उस कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य का विश्लेषण करना जरूरी हो जाता है। इसमें प्रमुख रूप से वित्तीय संकेतको को शामिल किया जाता है। जैसे कि, राजस्व वृद्धि, लाभ के मार्जिन का प्रतिशत और नेट लाभ। इसके अतिरिक्त आप कंपनी की बैलेंस शीट की समीक्षा कर सकते हैं तथा उसकी संपत्ति का दायित्व और शेयर धारकों की पूर्ण पूंजी को समझ कर आप किसी भी कंपनी का वित्तीय स्वास्थ्य जान सकते हैं। किसी कंपनी में नगदी प्रवाह विवरण भी यह दर्शाता है कि, कंपनी अपनी संचालन गतिविधियों में कितनी नगदी उत्पन्न कर रहा है और क्या वह अपनी वित्तीय जिम्मेदारियां को सही तरीके से प्रभावी ढंग से पूरा कर पा रहा है या नहीं। इन संकेतों के आधार पर हम यह आकलन कर सकते हैं कि किसी कंपनी का वित्तीय स्वास्थ्य कैसा है? और क्या वह दीर्घ-कालिक निवेश के लिए उपयुक्त है या नहीं? 

  • बाजार की स्थिति और ट्रेंड्स का अंदाज़ा लगाना।

Best stocks for intraday trading
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सही शेयर के चयन हेतु बाजार की स्थिति, जीडीपी, बेरोजगारी दर तथा उपभोक्ता विकास सूचकांक जैसी स्थिति बाजार की स्थिति को समझने के लिए आपकी मदद करते हैं। जिस भी प्रकार के सेक्टर में आप निवेश करना चाहते हैं। उसकी वर्तमान स्थिति और भविष्य में कंपनी को लेकर उचित संभावनाएं को जानने का प्रयास करें। प्रत्येक सेक्टर के ट्रेंड्स को जानने की कोशिश करें।टेक्नोलॉजी, ऊर्जा या फिर स्वास्थ्य सेवाएं मार्केट से शेयर को खरीदने से पहले बाजार के प्रदर्शन जैसे कि, इस समय बुल मार्केट या फिर बियर मार्केट चल रहा है। इसकी पहचान करना क्योंकि इससे आप निवेश करने का सही समय क्या हो सकता है?इसका पता लगा सकते हैं। सरकारी नीतियां राजनीतिक स्थिरता भी बाजार पर बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं। चार्ट और ग्राफ का उपयोग करके शेयर के कीमतों में भविष्य में होने वाले बदलाव तथा ट्रेंड्स का विश्लेषण करें। जिसकी वजह से आपको संभावित खरीद या बिक्री के अवसरों को पहचान करने में मदद मिल सकती है।

  • रिसर्च और एनालिसिस।

Intraday trading tips
Intraday trading tips

किसी भी शेयर को खरीदने से पहले आपको अपनी खुद की रिसर्च और एनालिसिस करना चाहिए। ताकि आप सही निर्णय ले सकें। सबसे पहले कंपनी की वित्तीय परिसंपत्तियों को देखना चाहिए। जिसमें उस कंपनी का बैलेंस शीट तथा व्यय का विवरण और नगदी प्रवाह शामिल होते हैं। इनके अलावा भी कंपनी के भविष्य के विकास की संभावनाओं को बार-बार आपको ध्यान देना चाहिए। जिससे उसकी स्थिति, प्रतिस्पर्धा और मार्केट के ट्रेड का विश्लेषण किया जाना उपयुक्त होता है।आप टेक्निकल एनालिसिस द्वारा शेयर के मूल्य की चाल का अध्ययन करते हैं। आपके लिए यह भी समझना अति महत्वपूर्ण है कि, शेयर का वर्तमान मूल्य उसके वास्तविक मूल्य से कितना कम या फिर कितना अधिक है? हर एक निवेशक को शेयर खरीदने से पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि वह दीर्घकालिक या अल्पकालीन समय के लिए निवेश कर रहे हैं ताकि उनकी रणनीति के अनुसार समय-समय पर निर्णय लिए जा सके।

  • लिमिट ऑर्डर और मार्केट ऑर्डर के बीच अंतर। 

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मार्केट ऑर्डर बाजार की मौजूदा स्थिति में किसी भी शेयर को तुरंत खरीदने या बेचने के लिए होता है। इसमें आप शेयर को तुरंत ही खरीद या बेच लेते हैं। इसका मतलब यह होता है कि, आप जिस भी कीमत पर खरीदना या भेजना चाहते हैं। इसके लिए आपको मार्केट ऑर्डर की बजाय लिमिट ऑर्डर में अपने ट्रेड को एग्जीक्यूट करना होगा। कीमत में उतार-चढ़ाव के कारण आपको आपकी अपेक्षित मूल्य  से अधिक या फिर कम कीमत पर लेन-देन को करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी तरफ लिमिट ऑर्डर में ऐसा नहीं होता। लिमिट ऑर्डर एक निश्चित कीमत पर शेयर्स को खरीदने या बेचने के लिए किया जाता है। जिसमें आप एक  उच्चतम खरीद कीमत या न्यूनतम बिक्री कीमत तय कर सकते हैं। अपनी निर्धारित कीमत पर ही लेन-देन की प्रक्रिया को लिमिट ऑर्डर कहा जाता है। लेकिन इसमें ध्यान रखने वाली बात यह होती है कि, यदि बाजार उसे मूल्य तक नहीं पहुंचता है तब आपका ट्रेड एग्जीक्यूट नहीं होता है।

  • खरीदारी के लिए ब्रोकर प्लेटफॉर्म का उपयोग।

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किसी भी शेयर को खरीदने के लिए ब्रोकर प्लेटफार्म का उपयोग करना एक सुविधाजनक और सबसे पसंदीदा तरीका है। ब्रोकर प्लेटफार्म किसी भी निवेश को शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने का एक डिजिटल माध्यम प्रदान करता है। किसी भी निवेशक या ट्रेड द्वारा इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए आसानी से शेयर को खरीदा या बेचा जा सकता है। वह भी बिना किसी वित्तीय संस्थान या दलाल के माध्यम के।आप ब्रोकर प्लेटफार्म के द्वारा आसानी से और सीधे माध्यम में शेयर्स को खरीद या बेच सकते हैं। कई प्रकार के ब्रोकर जैसे जीरोधा, अपस्टॉक्स, एंजल ब्रोकिंग तथा 5paisa.com इत्यादि कुछ भारत के पसंदीदा ब्रोकर है। जो विभिन्न प्रकार के चार्ट, एनालिटिक्स और रिसर्च टूल प्रदान करते हैं। जिसकी वजह से आप बाजार की चाल और ट्रेंड्स को समझ कर सटीक निर्णय ले सकते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए निवेशकों द्वारा कम कमिशन की दरों पर सेवाएं उपलब्ध रहती है। जिससे ट्रेडिंग का खर्च भी कम होता है। कई बार ब्रोकर मोबाइल सुविधा प्रदान करती हैं। जिसकी वजह से आप कहीं भी कभी भी ट्रेडिंग कर सकते हैं।

सही शेयर चुनने की रणनीति।

  • सेक्टर और इंडस्ट्री का विश्लेषण।

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सेक्टर तथा इंडस्ट्री का विश्लेषण करना किसी भी निवेश या फिर ट्रेडिंग के निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका मतलब है कि, प्रत्येक सेक्टर या उद्योग बाजार की व्यापक स्थिति और आर्थिक रूप से परिवर्तनों से प्रभावित होता है। इसलिए निवेशकों को यह समझना चाहिए कि, किस सेक्टर में उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।जैसे कि, जब अर्थव्यवस्था में उछाल होता है तो बैंकिंग और रियल-स्टेट सेक्टर अच्छा प्रदर्शन करते हैंवहीं दूसरी ओर मंदी के समय फार्मा और एफएमसीजी (FMCG) सेक्टर ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं। इंडस्ट्री विश्लेषण करते समय दो कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा, टेक्नोलॉजी में परिवर्तन, सरकार की रणनीतियां इत्यादि का भी खास ख्याल रखना चाहिए। ताकि आपको भविष्य की संभावनाओं को समझने में आसानी रहे। सही सेक्टर और इंडस्ट्री का चयन करना आपके निवेश की जोखिम को काफ़ी हद तक कम करने तथा बेहतर रिटर्न को हासिल करने में आपकी मदद करते है।

  • Volatile stocks का चयन क्यों आवश्यक है?

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Intraday trading में volatile stocks का चयन आवश्यक इसलिए किया जाना चाहिए क्योंकि इन शेयरों के कीमतों में तेज़ी से उतार-चढ़ाव होता है। जो छोटे समय में मुनाफा कमाने का अवसर प्रदान करता है। चूंकि intraday trading में ट्रेडर्स को एक दिन के भीतर ही शेयर खरीदने और बेचने होते हैं। इसलिए कम समय में लाभ प्राप्त करने के लिए ऐसे शेयरों की आवश्यकता रहती है जिनकी कीमतें जल्दी, तेज़ी से और महत्वपूर्ण रूप से बदलती हैं। Volatile stocks में liquidity अधिक होती है मतलब कि आप इन शेयरों की खरीदी और बिक्री आसानी से हो जाती है। जिससे एंट्री और एग्जिट करना सुविधाजनक होता है। हालांकि, ज्यादा वोलाटिलिटी के साथ जोखिम भी अधिक होता है। इसलिए स्टॉप-लॉस जैसी रणनीतियों का पालन करके नुकसान को सीमित किया जा सकता है। 

  • Volume और liquidity का महत्व।

Volume यह दर्शाता है कि, उस दिन कितने शेयर खरीदे और बेचे गए हैं। उच्च वॉल्यूम वाले शेयरों में अधिक खरीद और बिक्री होती है। जिससे यह सुनिश्चित होता है कि, ट्रेडर किसी समय आसानी से एंट्री या एग्जिट कर सकता है। अधिक वॉल्यूम से यह भी पता चलता है कि, शेयर में निवेशकों की दिलचस्पी और बाजार की गतिविधि बढ़ी हुई है। Liquidity का मतलब यह है कि आप किसी शेयर को बिना उसके मूल्य में बड़ा परिवर्तन किए आसानी से खरीद या बेच सकते हैं। अधिक liquidity वाले शेयरों में भाव स्थिर रहता है, जिसकी वज़ह से ट्रेडर बाजार में तेजी से बदलाव होने पर भी आसानी से ट्रेड कर सकते हैं। Liquidity की कमी होने पर, बड़े ऑर्डर में ट्रेड लेने से शेयर की कीमतों में अप्रत्याशित बदलाव हो सकता है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है।

  • मार्केट के ट्रेंड तथा न्यूज़ का अनुसरण।

    किसी भी शेयर को खरीदने से पहले मार्केट के ट्रेंड तथा उस कंपनी से जुड़ी न्यूज़ का अनुसरण करना, एक सफल ट्रेडर के लिए महत्वपूर्ण कदम होता है। शेयर बाजार में रोजाना उतार-चढाव होते रहते हैं। जिस पर कई बार बड़ी कंपनियां या उस सेक्टर से जुड़ी हुई कंपनियां की खबरे, देश-विदेश की आर्थिक नीतियों, राजनीतिक घटनाओं तथा किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कंपनी का विभाजन इत्यादि का संबंधित कंपनी के भाव पर अधिक प्रभाव पड़ता है। जब आप मार्केट ट्रेंड तथा खबरों पर नजर रखते हैं, तो आपको सही समय पर सही निर्णय लेने में अधिक मदद मिलती है। उदाहरण के तौर पर जब कोई कंपनी अपने मुनाफे की घोषणा यह किसी एक नए सरकारी नीति से जुड़े समाचारों का बाजार पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इससे पहले की आप उस कंपनी में निवेश करें। इन तथ्यों को समझ कर उसके भाव का आकलन लगाना चाहिए ताकि निकट भविष्य में उस कंपनी का भाव बढ़ेगा या काम होगा। इन तथ्यों को समझ कर आप अपने निवेश को अधिक सुरक्षित तथा लाभप्रद बना सकते हैं।

Risk Management की रणनीति के अनुसार शेयर का चयन।

  1. छोटे ट्रेड्स और नियमित लाभ की रणनीति।

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इस प्रकार की रणनीति स्काल्पिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान छोटे-छोटे ट्रेड्स और नियमित रूप से लाभ को प्राप्त करने की रणनीति का उपयोग किया जाता है। स्काल्पिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग बहुत ही कम समय में मुनाफे के साथ लगातार ट्रेडिंग करते रहना एक सफल ट्रेड के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है। इस रणनीति में निवेशक या ट्रेडर द्वारा ही कम समय के लिए शेयर को खरीदा या बेचा जाता है। ताकि बाजार की छोटी सी छोटी उतार चढ़ावों का भी फायदा उठाया जा सके।इस प्रकार की ट्रेडिंग में सबसे बड़ी बात यह होती है कि, इसमें सही समय पर प्रवेश और निकास करना एक ट्रेंड को आना ही चाहिए। ताकि वह अपने जोखिम को कम कर सके और नियमित रूप से छोटे-छोटे लाभ प्राप्त करते रहे। इस प्रकार की रणनीति को सफल बनाने के लिए निवेदक द्वारा टेक्निकल एनालिसिस, चार्ट तथा मार्केट ट्रेंड्स का मजबूत होनाभी जरूरी होता हैसाथ हीएक ट्रेंड को तेजी से फैसले लेने की क्षमता और अनुशासन का भी होना जरूरी है। अपने दर और लालच पर काबू करके ट्रेडर को गलत निर्णय लेने से बचना चाहिए। छोटे-छोटे ट्रेड्स की यह रणनीति ऐसे लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है। जो रोजाना की कमाई चाहते हैं लेकिन इसके साथ ही जोखिम भी उठाना चाहते हैं। इसी को नियंत्रित करने के लिए आप स्टॉप-लॉस का सही तरीके से इस्तेमाल करके इस योजना को और भी महत्वपूर्ण बना सकते हैं।

  • पूँजी के विभाजन की रणनीति।

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यह एक ऐसी अवधारणा है जिसकी सहायता से आप अपनी पूंजी को विभाजित करके लगाने का प्रयास करते हैं। पूंजी का विभाजन यह बताता है कि, किसी ट्रेड के द्वारा पूंजी को विभिन्न हिस्सों में कैसे लगाया जा सकता है। आप अपनी पूंजी को छोटे-छोटे हिस्सों में बाटकर रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो को मेंटेन करके आपअपनी कुल पूंजी को विभाजित रख सकते हैं। यह अपनी पूंजी को सुरक्षित करने का एकमात्र कारगर तरीका है। आप छोटे-छोटे हिस्सों में बिना एक साथ अपने पूंजी को खतरे में डालें बिना ही सुरक्षित ट्रेड की रणनीति को अपना सकते है। 

  • Leverage का सावधानीपूर्वक उपयोग।

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आप जितनी बार भी ट्रेडिंग करते हैं, उस ट्रेड में आपको लेवरेज भी मिलता है। जो आपका ब्रोकर प्रदान करता है। लेवरेज का सावधानीपूर्वक उपयोग करना आपकी वित्तीय प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत हो सकता है। खासकर की ऐसी स्थिति में जब आप अपने निवेश पर अत्यधिक रिटर्न प्राप्त करने के लिए या अपनी खुद की कमाई या फिर उधार के पैसों का उपयोग करके आप ट्रेडिंग कर रहे हो। हालांकि इसका उपयोग करने से आपको अधिक लाभ की संभावना भी होती है, लेकिन यह आपके मुनाफे के साथ-साथ आपको भी कई गुना जोखिम में डाल सकता है। लेवरेज का उपयोग तभी करना चाहिए जब आप सुनिश्चित हो कि, निवेश से मिलने वाला रिटर्न आपकी उधारी की लागत से अधिक होगा।ज्यादा उधारी लेने से आपके ऊपर कर्ज का बोझ भी बढ़ जाता है और अगर किसी वजह से यह ट्रेड आपका गलत या फिर आपके सोच के विपरीत चला जाता है। तो इस उधार के पैसे को चुकाने में आपको बड़ी ही मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। लेवरेज का इस्तेमाल तभी करना चाहिए जब बाजार में स्थिरता हो। इसका मतलब अधिक उतार-चढ़ाव के दौरान किसी भी ट्रेड में आपको लेवरेज का उपयोग कम से कम करना चाहिए क्योंकि उतार-चढ़ाव की स्थिति में लेवरेज के प्रयोग से आपकी निवेश का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में एक मामूली सी गिरावट भी आपको एक बड़े नुकसान में धकेल सकती है।जब आप लेवरेज के साथ ट्रेड करने का विचार करते हैं उस समय आपको अपने रिस्क मैनेजमेंट, रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो, स्टॉप-लॉस या रिस्क मैनेजमेंट टूल्स का उपयोग करना चाहिए। ताकि आप अपने अप्रत्याशित नुकसान की स्थिति को कुछ हद तक कंट्रोल में कर सकें। लेवरेज का इस्तेमाल करते समय यह सुनिश्चित करें कि आप जिस भी कंपनी में निवेश कर रहे हैं उसका सही मूल्यांकन और सही विश्लेषण के साथ ही आप उस ट्रेड को लेने का विचार बनाए हैं। गलत कंपनी में निवेश करने से आपका पूरा लेवरेज रिवर्स भी हो सकता है।

  • मार्केट के खुलते और बंद होते समय की विशेषता।

    ट्रेडिंग के दौरान किसी भी स्टॉक को खरीदने या बेचने से पहले आपको मार्केट के खुलने तथा बंद होने के समय की विशेषताओं को भी ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि यह समय निवेश और ट्रेडिंग के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। जब बाजार में उतार-चढ़ाव, अधिक वॉल्यूम और निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित किया जा सकता है। बाजार के खुलते समय उस कंपनी से जुड़े या फिर कुछ दिनों पहले के समाचार पत्र रात भर की घटनाएं और वर्ल्ड मार्केट के प्रदर्शन के कारण मार्केट के खुलते समय ही अधिक उतार और चढ़ाव देखने को मिलता है। क्योंकि इस समय नए ऑर्डर्स की संख्या अधिक होती है। जिसकी वजह से कीमतें तेजी से बदल सकते हैं। बाजार के खुलते समय अत्यधिक ट्रेड भावनाओं पर आधारित ट्रेडिंग करते हैं। जिसकी वजह से जोखिम भी बढ़ जाता है। जब शेयर बाजार खुलने का समय होता है तब ऐसी स्थिति में लिक्विडिटी किसी भी स्टॉक में बहुत ही ज्यादा होती है। क्योंकि बड़ी संख्या में ट्रेडर्स और निवेशक सक्रिय होते हैं। जिसकी वजह से कुछ ट्रेडर्स शेयर बाजार के खुलते समय को अधिक मुनाफा कमाने के मौके के रूप में देखते हैं। बाजार के बंद होते समय कई ट्रेडर्स और निवेशक अपनी ओपन पोजीशन को बंद करने की कोशिश करते हैं ताकि वे ओवरनाइट जोखिम से अपनी पूंजी को बचा सके। बाजार के बंद होने से पहले का समय या फिर अंतिम घंटा बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। जिसे हमेशा पावर ऑवर के नाम से भी पुकारा जाता है। क्योंकि यह ऐसा समय होता है जब बड़े इन्वेस्टर्स पोर्टफोलियो मैनेजर अपने ऑर्डर्स को पूरा करने की कोशिश करते हैं। जिसकी वजह से बाजार में बड़ी-बड़ी खरीदारी हो सकती है। शेयर बाजार में मार्केट के खुलने तथा बंद होने दोनों ही समय का महत्वपूर्ण योगदान होता है। कभी-कभी बाजार की अनिश्चितताओं के कारण यह जोखिम भी हो सकता है। लेकिन जब आप एक अनुभवी ट्रेडर हो जाते हैं। उसे स्थिति में आपको लाभ उठाने के लिए विशेष रणनीतियों को भी आवश्यकता नहीं होती। इन कुछ प्रमुख घंटे में ट्रेडिंग करने से पहले निवेशक को टेक्निकल एनालिसिस और बाजार की खबरों पर ध्यान देना चाहिए ताकि उसे अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके।

  • मार्केट के वोलाटाइल समय के दौरान ट्रेडिंग।

    शेयर खरीदने के 3 आसान स्टेप्स
    शेयर खरीदने के 3 आसान स्टेप्स

    जब शेयर बाजार अधिक वोलेटाइल होता है। उस समय ट्रेडिंग करना एक चुनौती पूर्ण स्थिति को दर्शाता है। क्योंकि इस समय बाजार की कीमतें बड़ी ही तेजी से कम या ज्यादा हो रही होती हैं। सही रणनीतियों और सावधानियां के साथ अगर ट्रेडिंग की जाए तो यह अधिक लाभ कमाने के अवसर के रूप में भी दिखाई दे सकता है। वोलेटाइल मार्केट के लिए आपको अपना रिस्क मैनेजमेंट करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि वोलेटाइल समय में अगर आप स्टॉप लॉस ऑर्डर का भी इस्तेमाल नहीं करते तो आपको अधिक से अधिक जोखिम उठाना पड़ सकता है। वोलेटाइल मार्केट के समय आपके छोटे-छोटे ट्रेड्स करना चाहिए। यह आपको तेजी से बदलती कीमतों में नुकसान से बचा सकता है भले ही आप छोटे लाभ को बुक कर रहे हैं। लेकिन आप इसी तकनीकी का उपयोग करके लंबी अवधि की ट्रेड्स लेने से बच सकते हैं। वोलेटाइल मार्केट में आपको लेवरेज का भी अत्यधिक सावधानी पूर्वक उपयोग करना चाहिए। क्योंकि कीमतों में अचानक बदलाव से आपकी पूरी पूंजी खतरे में पढ़ सकती है। इसीलिए लेवरेज का बड़ा ही सावधानी से और कम मात्रा में उपयोग करना चाहिए। वोलेटाइल मार्केट में बाजार के ट्रेंड पर भी नजर रखनी चाहिए। आपको रियल टाइम डाटा तथा टेक्निकल टूल्स का उपयोग करके अपने जोखिम को कम करने का प्रयास करना चाहिए। किसी भी महत्वपूर्ण घटना या राजनीतिक खबर के चलते अचानक बाजार की दिशा बदल सकती है। वोलेटाइल मार्केट के दौरान आपको अपने इमोशंस को भी नियंत्रण में रखने की आवश्यकता होती है। क्योंकि इस समय बड़ी ही तेजी से किसी भी शेयर का भाव कम या ज्यादा हो रहा होता है।

सारांश।

इस लेख में हमने आपको यह बताया कि, किसी भी शेयर्स को खरीदने या बेचने के लिए आपको किन मुख्य बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। क्योंकि जब आप शेयर बाजार में बिल्कुल भी नए होते हैं। तब ऐसी स्थिति में आपको किस प्रकार की ट्रेडिंग तथा कब मार्केट में एंट्री और एग्जिट करना है। इसके साथ-साथ ही आपको किस शेयर्स को खरीदना या बेचना है। इसकी भी जानकारी का होना जरूरी हो जाता है। शेयर बाजार में शेयर्स को खरीदने या बेचते समय आपको किस-किस प्रकार के रणनीतियों को अपने ध्यान में रखना चाहिए। इसके लिए हमने विस्तार से महत्वपूर्ण बिंदुओं पर लेख लिखें। इस लेख को पढ़ने के पश्चात आप जरूर से उन लेख की ओर भी अग्रसर हो अगर हमारे द्वारा बताई गई यह जानकारी आपके वित्तीय ज्ञान में थोड़ा सा भी अहम भूमिका रही हो तो कृपया करके इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें।

FAQ

Q.1 इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर कैसे खरीदें?

ट्रेडिंगशेयर्स को खरीदने के लिएआपके पास ट्रेडिंग अकाउंटहोना ही चाहिएट्रेडिंग अकाउंटडिमैट अकाउंट के साथ-साथ ही बनाया जाता हैबस आपकोट्रेडिंग अकाउंट बनाते समयअपने विगत 6 महीना केबैंक के स्टेटमेंट कीआवश्यकता होती हैडिमैट अकाउंट से आप किसी भी कंपनी के शेर को खरीद सकते हैं लेकिन ट्रेडिंग अकाउंट सेआप शेयर्स को खरीद और भेज सकते हैंतथा मुनाफा की राशि कोअपने बैंक अकाउंट मेंब्रोकर को टैक्स देने के बादट्रांसफर कर सकते हैं

Q.2 क्या मैं इंट्राडे में 1 लाख शेयर खरीद सकता हूं?

जी हांआप बिल्कुल ही इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान ₹100000के शेयर खरीद सकते हैंक्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंगआमतौर परब्रोकर द्वाराअधिक लेवरेजया मार्जिन की सुविधा से आप अगर अपने अकाउंट में ₹10000 भी रखे हैं तो कम से कम आपको 10 गुना का मार्जिन मिल सकता है अर्थात आप ₹100000 के शेयर भी खरीद सकते हैं, बड़ी ही आसानी से।

Q.3 इंट्राडे में मैं कितने न्यूनतम शेयर खरीद सकता हूं?

इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान आप जितना चाहे उतना शेयर खरीद सकते हैं क्योंकि इसकी कोई भी सीमा नहीं है बस आपको इस तथ्य पर ध्यान देने की जरूरत हैकि आप एक बार में एक से अधिक शहरों पर ट्रेडिंग करने का जोखिम ना ले।

Q.4 इंट्राडे लिमिट क्या है?

इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान आपको किसी भी प्रकार की लिमिट की सीमा निश्चित नहीं की जाती हैआप जितना चाहेउतने शेयर्स में खरीदी या बिक्री कर सकते हैं।

Q.5 शुरुआती लोगों के लिए कौन सा ट्रेडिंग सबसे अच्छा है?

शुरुआत के लोगों के लिए सबसे अच्छा तो यही होगा कि, वह इंट्राडे ट्रेडिंग की बजाय डिलीवरी में शेयर को खरीद कर कुछ दिनों के पश्चातअपने मुनाफे कोप्राप्त करें। क्योंकि शुरुआत में आपके ऊपर कम जानकारी का भी दबाव होता है। जिसे आप डिलीवरी में शेयर्स को खरीद कर कुछ दिनों तक अपने पास रखकर उस शेयर्स के तुरंत ही भाव के बढ़ने या घटना को नियंत्रण में कर सकते हैं। जब आप अधिक अनुभवी हो जाए फिर धीरे-धीरे आप इंट्राडे ट्रेडिंग की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

 

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राहुल कुमार सोनी

राहुल कुमार सोनी एक वित्तीय बाजार लेखक हैं, जिन्हें शेयर बाजार, ट्रेडिंग और निवेश में 6 साल से अधिक का अनुभव है। वह बी.टेक सिविल इंजीनियरिंग में ऑनर्स डिग्री के साथ एक बाजार निवेशक भी हैं।

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